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भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दूसरे राष्ट्रीय सीरो-सर्वे में कहा गया है कि भारत में अगस्त तक 10 साल या उससे अधिक आयु के लगभग 7.43 करोड़ लोग कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आ चुके थे। इनमें सबसे अधिक लोग शहरी झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में थे। इसके बाद गैर झुग्गी-झोपड़ी वाले और ग्रामीण इलाकों में मिले।
'लैंसेट ग्लोबल हेल्थ' में प्रकाशित सर्वेक्षण परिणामों के अनुसार भारत में 10 साल से कम आयु के लोगों पर किए गए सीरो सर्वे से पता चला है कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा नोवेल कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आने के मामले में अतिसंवेदनशील है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 'भारत के अधिकतर राज्यों में संक्रमण का प्रसार तब तक जारी रहने की आशंका है जब तक सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लक्ष्य को हासिल नहीं कर लिया जाता। अब यह काम प्राकृतिक तरीके से संक्रमण से हो या टीकाकरण से।'
रिपोर्ट के अनुसार, 'अगस्त 2020 तक दस साल या उससे अधिक आयु के लगभग 15 लोगों में से एक व्यक्ति सार्व-सीओवी-2 के संक्रमण की चपेट में था। मई और अगस्त 2020 के बीच संक्रमण के प्रसार में 10 गुणा तक वृद्धि हुई।'
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दूसरे राष्ट्रीय सीरो-सर्वे में कहा गया है कि भारत में अगस्त तक 10 साल या उससे अधिक आयु के लगभग 7.43 करोड़ लोग कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आ चुके थे। इनमें सबसे अधिक लोग शहरी झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में थे। इसके बाद गैर झुग्गी-झोपड़ी वाले और ग्रामीण इलाकों में मिले।
'लैंसेट ग्लोबल हेल्थ' में प्रकाशित सर्वेक्षण परिणामों के अनुसार भारत में 10 साल से कम आयु के लोगों पर किए गए सीरो सर्वे से पता चला है कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा नोवेल कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आने के मामले में अतिसंवेदनशील है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 'भारत के अधिकतर राज्यों में संक्रमण का प्रसार तब तक जारी रहने की आशंका है जब तक सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लक्ष्य को हासिल नहीं कर लिया जाता। अब यह काम प्राकृतिक तरीके से संक्रमण से हो या टीकाकरण से।'
रिपोर्ट के अनुसार, 'अगस्त 2020 तक दस साल या उससे अधिक आयु के लगभग 15 लोगों में से एक व्यक्ति सार्व-सीओवी-2 के संक्रमण की चपेट में था। मई और अगस्त 2020 के बीच संक्रमण के प्रसार में 10 गुणा तक वृद्धि हुई।'