लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र से नवाजा गया है। हालांकि, उनके परिजन इससे खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कर्नल को परमवीर चक्र मिलना चाहिए था। बता दें कि महावीर चक्र देश का दूसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है।
कर्नल संतोष बाबू के पिता बिकुमल्ला उपेंद्र ने कहा कि बेटे को महावीर चक्र मिलने से हम पूरी तरह निराश हैं। मुझे उम्मीद थी कि मेरे बेटे के बलिदान के लिए उसे परमवीर चक्र से सम्मानित किया जाएगा। बता दें कि बिकुमल्ला उपेंद्र भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त हुए हैं। वह तेलंगाना के सूर्यापेट शहर में रहते हैं।
कर्नल संतोष बाबू के पिता ने कहा कि मेरे बेटे का बलिदान साधारण नहीं था। वह बेहद अजीबोगरीब हालात में 16वीं बिहार बटालियन का नेतृत्व कर रहे थे। गलवान घाटी में मौसम जवानों का सबसे बड़ा दुश्मन था। उस मुश्किल माहौल में भी मेरा बेटा करीब 13 महीने तक गलवान घाटी में तैनात रहा। इसके बाद दुश्मन का बखूबी मुकाबला भी किया।
पिता ने कहा कि मेरे बेटे ने बिना किसी हथियार के चीनी सैनिकों से लड़ाई की थी और उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया था। उनकी बहादुरी की वजह से चीनी सेना को पीछे हटना पड़ा था। इसके बावजूद मेरे बेटे को परमवीर चक्र से सम्मानित नहीं किया गया। केंद्र सरकार ने उनके लिए महावीर चक्र से सम्मानित करने का विकल्प चुना।
गौरतलब है कि 15-16 जून 2020 की रात पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी के भारतीय इलाकों में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी। उस दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। दावा किया जाता है कि इस झड़प में चीन के 40 सैनिक मारे गए थे, लेकिन चीन ने इसकी पुष्टि नहीं की। इस झड़प में 16वीं बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अफसर कर्नल संतोष बाबू भी शहीद हो गए थे।
लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र से नवाजा गया है। हालांकि, उनके परिजन इससे खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कर्नल को परमवीर चक्र मिलना चाहिए था। बता दें कि महावीर चक्र देश का दूसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है।
पिता ने कही यह बात
कर्नल संतोष बाबू के पिता बिकुमल्ला उपेंद्र ने कहा कि बेटे को महावीर चक्र मिलने से हम पूरी तरह निराश हैं। मुझे उम्मीद थी कि मेरे बेटे के बलिदान के लिए उसे परमवीर चक्र से सम्मानित किया जाएगा। बता दें कि बिकुमल्ला उपेंद्र भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त हुए हैं। वह तेलंगाना के सूर्यापेट शहर में रहते हैं।
साधारण नहीं था मेरे बेटे का बलिदान
कर्नल संतोष बाबू के पिता ने कहा कि मेरे बेटे का बलिदान साधारण नहीं था। वह बेहद अजीबोगरीब हालात में 16वीं बिहार बटालियन का नेतृत्व कर रहे थे। गलवान घाटी में मौसम जवानों का सबसे बड़ा दुश्मन था। उस मुश्किल माहौल में भी मेरा बेटा करीब 13 महीने तक गलवान घाटी में तैनात रहा। इसके बाद दुश्मन का बखूबी मुकाबला भी किया।
बिना हथियार लड़े थे कर्नल संतोष बाबू
पिता ने कहा कि मेरे बेटे ने बिना किसी हथियार के चीनी सैनिकों से लड़ाई की थी और उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया था। उनकी बहादुरी की वजह से चीनी सेना को पीछे हटना पड़ा था। इसके बावजूद मेरे बेटे को परमवीर चक्र से सम्मानित नहीं किया गया। केंद्र सरकार ने उनके लिए महावीर चक्र से सम्मानित करने का विकल्प चुना।
एलएसी पर 20 जवान हुए थे शहीद
गौरतलब है कि 15-16 जून 2020 की रात पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी के भारतीय इलाकों में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी। उस दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। दावा किया जाता है कि इस झड़प में चीन के 40 सैनिक मारे गए थे, लेकिन चीन ने इसकी पुष्टि नहीं की। इस झड़प में 16वीं बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अफसर कर्नल संतोष बाबू भी शहीद हो गए थे।