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Superstition: अंधविश्वास पर विश्वास कितना सही?
सरिता, पटना
Published by: Amit Mandal
Updated Sun, 29 Jan 2023 05:10 AM IST
सार
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वैसे अंधविश्वास ज्यादातर कमजोर व्यक्ति, कमजोर मनोविज्ञान और कमजोर मानसिकता वाले लोगों में देखने को मिलता है। इसके अलावा यह अशिक्षित और निम्न आय वर्ग वाले लोगों में भी देखने को मिलता है। इसका
अंधविश्वास का तात्पर्य एक तर्कहीन विश्वास से है, जिसका आधार अलौकिक प्रभावों की काल्पनिक व्याख्या है। बिल्ली को देखकर रास्ता बदल देना अंधविश्वास का एक प्रमुख उदाहरण है। अतः यह कहा जा सकता है कि किसी भी कार्य के परिणामों से अपरिचित होते हुए भी उस पर आंख मूंदकर विश्वास करना या जो तर्क के बिना मान लिया गया विश्वास हो, अंधविश्वास कहलाता है।
वैसे अंधविश्वास ज्यादातर कमजोर व्यक्ति, कमजोर मनोविज्ञान और कमजोर मानसिकता वाले लोगों में देखने को मिलता है। इसके अलावा यह अशिक्षित और निम्न आय वर्ग वाले लोगों में भी देखने को मिलता है। इसका प्रमुख कारण व्यक्ति का डर और स्वार्थ है, जिसकी वजह से वह खुद को अंधविश्वास की ओर जाने से रोक नहीं पाता है। यह एक ऐसा विश्वास है, जिसका कोई उचित कारण नहीं है। किसी छोटे बच्चे के सामने हम जैसा करते हैं, वह वही देखता सुनता है और करता भी है। यह एक ऐसा क्रिया कलाप है, जो किसी के मस्तिष्क पर ऐसी छाप छोड़ता है, जिससे उबरना बड़ा ही मुश्किल हो जाता है।
हम विज्ञान और अंधविश्वास की जब बात करते हैं तो उसमें सह-संबंध जोड़ते हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण के द्वारा अंधविश्वास की बातों को नकारते हुए विश्लेषण करने की बात करते हैं। हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण और अंधविश्वास, दोनों के मूल सामग्री का विश्लेषण करते हुए विज्ञान, कारण और तर्क के द्वारा अंधविश्वास पर व्याप्त विश्वास को समाप्त कर सकते हैं। विज्ञान और अंधविश्वास, दोनों ही स्पष्ट रूप से विपरीत हैं। हालांकि तथ्य की विडंबना विज्ञान भी कुछ हद तक सुलझाने में असफल है।
हम लोग मानते हैं कि गंगा में डुबकी लगाने से हमारे पापों के प्रभाव से छुटकारा मिल जाएगा। विश्वास करने लगते हैं, यह किसी तर्क के द्वारा समझाया नहीं जा सकता है। कुछ ऐसे अनुभव होते हैं, जो मानव बुद्धि को समझ नहीं आते और इसी समझ न आने वाली बात को लोग दैवीय शक्ति या अंधविश्वास मान लेते हैं, लेकिन इस भ्रम को दूर करने का कार्य विज्ञान के प्रयोगों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के सोच से दूर किया जा सकता है।
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