लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स

विज्ञापन
Hindi News ›   India News ›   How much votes will samajwadi party-Rashtriya janata dal gain from Ramcharitmanas Row

Ramcharitmanas Row: रामचरितमानस पर विवाद से सपा-राजद को वोटों का कितना लाभ होगा?

Amit Sharma Digital अमित शर्मा
Updated Fri, 03 Feb 2023 07:47 PM IST
सार

Ramcharitmanas Row: यूपी-बिहार की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र कुमार ने अमर उजाला से कहा कि यदि सपा-बसपा-राजद को लगता है कि वह तुलसीदास के बहाने जातिवादी कार्ड खेलकर अपने मतदाताओं को वापस खीच सकते हैं, तो यह दांव अब शायद ज्यादा कारगर नहीं होगा...

How much votes will samajwadi party-Rashtriya janata dal gain from Ramcharitmanas Row
Ramcharitmanas Row: Swami prasad Maurya and Chandrashekhar - फोटो : Agency

विस्तार

समाजवादी पार्टी नेता स्वामीप्रसाद मौर्य और बिहार सरकार के मंत्री चंद्रशेखर ने जब तुलसीदास की चौपाइयों पर आपत्तिजनक बयान दिया था, तब इसे उनका व्यक्तिगत बयान माना गया था। लेकिन अब जिस तरह समाजवादी पार्टी के विभिन्न नेता पार्टी के कार्यालयों के बाहर स्वयं को शूद्र बताते हुए रामचरितमानस और तुलसीदास पर हमला बोल रहे हैं, उससे साफ हो गया है कि यह पार्टी की सोची-समझी रणनीति है। वह 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा के 'राष्ट्रवाद और हिंदुत्व' के सामने जातिवाद के मुद्दों को उछाल कर अपना वोट बैंक मजबूत करना चाहती है। नीतीश कुमार का जातिगत जनगणना का दांव भी भाजपा को घेरने की कोशिश के तौर पर ही देखा गया था। लेकिन बदले दौर में महागठबंधन की यह कोशिश कितनी कामयाब हो सकती है?

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम बताते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा ने यूपी-बिहार की जातिवादी राजनीति को पीछे छोड़ विभिन्न जातियों के वोट हासिल किया था। इनमें वे जातियां भी शामिल थीं, जो पारंपरिक रूप से सपा-बसपा-राजद को वोट करती आईं थी। इस बदलाव का ही परिणाम था कि जहां इन दलों को बेहद कम सीटों पर सफलता मिली, वहीं भाजपा ने रिकॉर्ड बहुमत से एक बार फिर केंद्र में सरकार बनाई। सपा-राजद को लगता है कि उनकी जातिवादी राजनीति से उनका पारंपरिक वोट बैंक उनके पास वापस आ सकता है।

'केजरीवाल का दांव ज्यादा कारगर'

यूपी-बिहार की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र कुमार ने अमर उजाला से कहा कि यदि सपा-बसपा-राजद को लगता है कि वह तुलसीदास के बहाने जातिवादी कार्ड खेलकर अपने मतदाताओं को वापस खीच सकते हैं, तो यह दांव अब शायद ज्यादा कारगर नहीं होगा। यह कार्ड 2014 और 2019 में भी खेला गया था, लेकिन यह ज्यादा कारगर नहीं रहा।  

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

Followed