समाजवादी पार्टी नेता स्वामीप्रसाद मौर्य और बिहार सरकार के मंत्री चंद्रशेखर ने जब तुलसीदास की चौपाइयों पर आपत्तिजनक बयान दिया था, तब इसे उनका व्यक्तिगत बयान माना गया था। लेकिन अब जिस तरह समाजवादी पार्टी के विभिन्न नेता पार्टी के कार्यालयों के बाहर स्वयं को शूद्र बताते हुए रामचरितमानस और तुलसीदास पर हमला बोल रहे हैं, उससे साफ हो गया है कि यह पार्टी की सोची-समझी रणनीति है। वह 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा के 'राष्ट्रवाद और हिंदुत्व' के सामने जातिवाद के मुद्दों को उछाल कर अपना वोट बैंक मजबूत करना चाहती है। नीतीश कुमार का जातिगत जनगणना का दांव भी भाजपा को घेरने की कोशिश के तौर पर ही देखा गया था। लेकिन बदले दौर में महागठबंधन की यह कोशिश कितनी कामयाब हो सकती है?
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम बताते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा ने यूपी-बिहार की जातिवादी राजनीति को पीछे छोड़ विभिन्न जातियों के वोट हासिल किया था। इनमें वे जातियां भी शामिल थीं, जो पारंपरिक रूप से सपा-बसपा-राजद को वोट करती आईं थी। इस बदलाव का ही परिणाम था कि जहां इन दलों को बेहद कम सीटों पर सफलता मिली, वहीं भाजपा ने रिकॉर्ड बहुमत से एक बार फिर केंद्र में सरकार बनाई। सपा-राजद को लगता है कि उनकी जातिवादी राजनीति से उनका पारंपरिक वोट बैंक उनके पास वापस आ सकता है।
यूपी-बिहार की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र कुमार ने अमर उजाला से कहा कि यदि सपा-बसपा-राजद को लगता है कि वह तुलसीदास के बहाने जातिवादी कार्ड खेलकर अपने मतदाताओं को वापस खीच सकते हैं, तो यह दांव अब शायद ज्यादा कारगर नहीं होगा। यह कार्ड 2014 और 2019 में भी खेला गया था, लेकिन यह ज्यादा कारगर नहीं रहा।
उनका मानना है कि भाजपा के हिंदुत्व कार्ड से मुकाबला करने के लिए ज्यादा कट्टर हिंदू कार्ड कहीं ज्यादा कामयाब हो सकता है। भाजपा केंद्र सरकार में सत्ता में है। वह एक सीमा से आगे जाकर हिंदुत्व कार्ड नहीं खेल सकती। यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब मुसलमानों को साथ लेने की बात करते हुए दिखाई पड़ते हैं, तो उनकी यह मजबूरी इसी संदर्भ में समझी जा सकती है, जबकि केंद्र में सत्ता में न होने के कारण समाजवादी पार्टी जैसे दल इस पर ज्यादा आक्रामक रुख अपना सकते हैं।
अरविंद केजरीवाल ने भाजपा को मात देने के लिए यही रणनीति अपनाई थी और उन्हें सफलता मिली थी। भाजपा ने अरविंद केजरीवाल को घेरने के लिए उनके सामने भी यही हिंदुत्व कार्ड खेला था। भाजपा ने अरविंद केजरीवाल पर हिंदुत्व और राम विरोधी होने का आरोप लगाने लगी। इसके बदले में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह पर हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू कर दिया। इससे भाजपा का हिंदुत्व कार्ड उनके सामने सफल नहीं हो पाया।
सभी जातियों को दिया सम्मान
भाजपा ने एक रणनीति के अंतर्गत सभी जातियों को अपने साथ जोड़ने का काम किया है। सभी जातियों को पार्टी संगठन और केंद्र-राज्य सरकारों में उचित भारीगादारी देकर उनका विश्वास जीतने का काम किया है। राष्ट्रपति जैसे महत्त्वपूर्ण पद पर दलित-अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों को बिठाकर इन समुदायों का भरोसा जीतने की कोशिश की है। केंद्र सरकार ने बजट के माध्यम से भी इन जातियों के लिए लाभकारी योजनाएं बनाकर उनको आगे बढ़ाने का काम किया है, इस बात की संभावना कम ही है कि ये जातियां लौटकर सपा-बसपा-आरजेडी के पास वापस जाएंगीं।
भाजपा ने सभी जातियों को अपने साथ जोड़ने का ही काम नहीं किया है, बल्कि उसने इन जातियों के नेता भी तैयार किये हैं। इससे इन जातियों के अंदर यह विश्वास बढ़ा है कि भाजपा का यह कार्य केवल राजनीति के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव के लिए है। भाजपा की इस जमीनी कोशिश के बदले सपा-आरजेडी की केवल जातिगत राजनीति सफल हो पाएगी, इसकी संभावना कम ही है।
इन चौपाइयों की पुनः व्याख्या हो
रामचरितमानस विवाद पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आईबी सिंह ने अमर उजाला से कहा कि आरक्षण से दलित-पिछड़ी जातियों को सरकारी नौकरियों में हिस्सेदारी मिली है, लेकिन उनका सामाजिक सशक्तीकरण अभी भी नहीं हो पाया है। आजादी के 75 साल बाद भी दलितों-पिछ़ड़ों को समाज में अपमान सहना पड़ता है। ऐसी परिस्थिति में ऐसे धर्मग्रंथों की पुनः व्याख्या करने की आवश्यकता है जो समाज में जातिवाद के आधार पर खाई पैदा करते हैं।
काम नहीं आएगी समाज को तोड़ने की साजिश
वहीं, उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि एक साजिश के अंतर्गत समाजवादी पार्टी के कुछ नेता हिंदुओं को अपमानित करने का काम कर रहे हैं। रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों की गलत व्याख्या कर समाज में जातिवाद का जहर घोल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा यह कोशिश केवल जातिवादी आधार पर वोटरों के बंटवारे के लिए कर रही हैं, लेकिन उनकी यह कोशिश सफल नहीं होगी क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार ने समाज के हर वर्गों के उत्थान के लिए काम किया है।
उन्होंने कहा कि यदि भाजपा को समाज के हर वर्गों का साथ मिल रहा है, तो इसका कारण जातिवादी राजनीति नहीं, बल्कि सबके कल्याण के लिए किया गया कार्य है। उन्होंने कहा कि भाजपा सबको साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है। कुछ राजनीतिक दल केवल जातिवाद के बल पर अपनी राजनीति जिंदा रखने की कोशिश कर रहे हैं।
लेकिन 2014 से लेकर 2022 तक के विभिन्न चुनावों में मतदाताओं ने यह साबित कर दिया है कि जातिवादी राजनीति अब सफल नहीं होगी। उन्हें अपने लिए बेहतर आर्थिक अवसर और बच्चों के लिए बेहतर भविष्य चाहिए जो केंद्र-राज्य सरकार उन्हें उपलब्ध करा रही है। भाजपा नेता ने दावा किया कि अब सपा-बसपा-राजद की जातिगत राजनीति सफल नहीं होगी।