अमृतपाल सिंह के मामले में पंजाब पुलिस और केंद्रीय इंटेलिजेंस एजेंसियों की किरकिरी हो रही है। अभी तक कोई भी एजेंसी, अमृतपाल की लोकेशन का पता नहीं लगा सकी। केंद्रीय एजेंसियों के मुताबिक, इस बाबत पंजाब सरकार को हर तरह का अलर्ट दे दिया गया था। वह कहां से भाग सकता है, उसकी आगे की प्लानिंग क्या है, समर्थक कौन हैं, मंशा क्या है और पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी 'आईएसआई' की प्लांनिग, इन सबको लेकर पंजाब सरकार के साथ अहम जानकारी साझा की गई थी। इसके बावजूद अमृतपाल, पंजाब पुलिस की नाक के नीचे से निकल जाता है।
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सूत्रों का कहना है कि अमृतपाल का टर्निंग प्वाइंट, नेपाल हो सकता है। अभी तक वह पाकिस्तानी आईएसआई की प्लानिंग के मुताबिक, सुरक्षित तौर पर आगे बढ़ रहा है। अगर अमृतपाल इस प्लानिंग पर चलता रहा, तो इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी कि उसे पड़ोसी मुल्क नेपाल से नई फ्लाइट मिल जाए। यानी वह पंजाब पुलिस और भारतीय जांच एजेंसियों से इतनी दूर पहुंच जाए, जहां से उसकी वापसी आसान नहीं होगी।
विदेश में बैठे खालिस्तान समर्थकों को मिला बल
विश्वस्त सूत्रों ने बताया, यह पंजाब पुलिस का फेल्योर है। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट तो पहले ही इस मामले में पंजाब पुलिस को फटकार लगा चुका है कि 80 हजार पुलिस के होते हुए अमृतपाल कैसे सुरक्षित निकल गया। पूर्व आईपीएस एवं पुलिस सुधारों के लिए लंबी अदालती लड़ाई लड़ने वाले प्रकाश सिंह भी यह मानते हैं कि 'वारिस पंजाब दे' प्रमुख अमृतपाल सिंह को न पकड़ पाना, पुलिस की असफलता है। इससे अमृतपाल और विदेशों में बैठे खालिस्तान समर्थकों को बल मिलेगा। कई मुल्कों में तो पहले से ही खालिस्तान की मुहिम को आगे बढ़ाने वाले लोग बैठे हैं। सूत्र बताते हैं कि अमृतपाल सिंह को लेकर पुलिस की ऐसी आशंका है कि वह नेपाल पहुंच सकता है। इसी आशंका के चलते काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास ने, वहां की स्थानीय एजेंसियों को भी अलर्ट कर दिया है। यह बात कही गई है कि अमृतपाल नेपाल में छिप सकता है। वहां से उसके लिए किसी दूसरे मुल्क की फ्लाइट पकड़ना कोई मुश्किल काम नहीं होगा।
एनर्जी ड्रिंक पीते हुए नजर आता है, मगर हाथ नहीं आता
केंद्रीय एजेंसियों के सूत्र बताते हैं कि पंजाब पुलिस की आंखों के सामने से अमृतपाल भाग निकला। जिस गाड़ी में वह सवार था, वह उसी काफिले का हिस्सा था, जिसे पुलिस ने रोका था। कई गाड़ियां पकड़ ली जाती हैं, उसके सहयोगी पकड़ जाते हैं, मगर अमृतपाल भाग जाता है। उस वक्त पंजाब में 80 हजार पुलिस कर्मी, ड्यूटी पर थे। बावजूद इसके अमृतपाल, पंजाब से बाहर निकलने में कामयाब हो जाता है। उसके बाद सीसीटीवी फुटेज सामने आती हैं। ऐसे फोटो भी आते हैं कि जिनमें अमृतपाल, एनर्जी ड्रिंक पीते हुए नजर आता है। सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान की 'आईएसआई' अमृतपाल को आगे बढ़ा रही है। उसके सहयोगी और एसएफजे का प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू भी गत वर्ष पाकिस्तान आया था। उसके बाद से ही पंजाब में खालिस्तान की गतिविधियां तेजी से बढ़ती चली गई। लंदन में भारतीय दूतावास, कनाडा, न्यूयॉर्क और आस्ट्रेलिया में मौजूद खालिस्तान समर्थक, इस मुहिम को छेड़े हैं। भारत सरकार की शिकायत पर ऐसे लोगों के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कार्रवाई की जा रही है।
आईएसआई के लिए नेपाल एक सॉफ्ट कॉर्नर है
सूत्रों ने बताया, पाकिस्तानी आईएसआई के लिए नेपाल एक सॉफ्ट कॉर्नर है। पहले भी वहां आईएसआई के लोग मौजूद रहे हैं। गत वर्ष अग्निवीर योजना के प्रति नेपाल के गोरखाओं को भड़काने के लिए आईएसआई ने प्लानिंग की थी। हालांकि उस बैठक का खुलासा समय रहते हो गया था। भारतीय एजेंसियों ने काफी हद तक उस सीक्रेट बैठक का काउंटर भी कर दिया था। अमृतपाल, नेपाल में सुरक्षित पहुंच जाता है, तो वहां से आईएसआई उसे किसी सुरक्षित मुल्क में भेज सकती है। वहां से वह खालिस्तान की गतिविधियों को चला सकता है। अमृतपाल को लेकर केंद्रीय एजेंसियों ने जो आशंका जताई थी, वे सभी सच हो रही हैं। अजनाला थाने पर हुए हमले के बाद पुलिस ने अमृतपाल के जिन सहयोगियों को गिरफ्तार किया था, अब उनकी रिहाई को लेकर 60 सिख संगठन सामने आ गए हैं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी की अध्यक्षता में इन संगठनों की बैठक हुई है। एसजीपीसी ने पंजाब सरकार को चेताया है कि 24 घंटे में उन सभी सिखों को रिहा करें, जो अमृतपाल के मामले में गिरफ्तार हुए हैं। ऐसे युवाओं को कानूनी मदद प्रदान की जाएगी।
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हिंदू धर्म के खिलाफ भी उगलता रहा आग
इंटेलिजेंस एजेंसी ने पहले भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पंजाब में धर्म को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। कट्टरपंथ को हवा दी जा रही है। अमृतपाल, आईएसआई के हाथ में खेल रहा है। पहले भी वह ईसा मसीह को नीचा दिखाने की कोशिश कर चुका है, तो वहीं हिंदू धर्म के खिलाफ भी उसने कई अवसरों पर आग उगली है। उसे खालसा पंत के सिद्धांतों से कोई सरोकार नहीं है। उसके मन में कट्टरता का समावेश है, इसीलिए उसने हिंदू धर्म को भी टारगेट करना शुरू कर दिया। पंजाब में उसने हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण दे डाले। अमृतसर में दिन दहाड़े हिंदूवादी नेता सुधीर सूरी की हत्या कर दी गई। हत्यारोपी संदीप सिंह उर्फ सनी, अमृतपाल का ही सहयोगी था। उसने लोगों से कहा, वे अमृतधारी और शस्त्रधारी या नशीले पदार्थों से अपने जीवन को खत्म करने की बजाए सिख धर्म के लिए काम करें। सिख धर्म की राह पर चलकर वे अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं। इसके लिए उन्हें अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार रहना होगा।
शस्त्र लाइसेंस रद्द करने को लेकर सरकार को चेताया
पंजाब सरकार, सिखों के शस्त्र लाइसेंस रद्द करने का प्रयास कर रही है। इसके लिए अमृतपाल ने पंजाब सरकार को चेताया था। उसने कहा, पंजाब में ड्रग्स की समस्या के लिए पाकिस्तान को दोष नहीं देना चाहिए। अमृतपाल ने पुलिसकर्मियों से कहा, वे बेअदबी के मामले में कानून के अनुसार न चलें। उन्हें अपने धर्म के लिए खड़ा होना चाहिए। उसने भाई दिलावर सिंह, भाई बेअंत सिंह, भाई सतवंत सिंह और भाई केहर सिंह का नाम लिया। ये लोग पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और सीएम बेअंत सिंह की हत्या के लिए जिम्मेदार थे। अमृतपाल, पुलिस को कुछ नहीं समझता था। वरिंद्र सिंह का अपहरण और दूसरे आपराधिक मामले, अमृतपाल के हाथ खोलने में लगे थे। बेअदबी की घटना पर उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं होना, कपूरथला और जालंधर के गुरुद्वारों में तोड़-फोड़, ईसा मसीह और हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण आदि देने से उसका दुस्साहस बढ़ता जा रहा था। पंजाब में एक विशेष तबके का समर्थन, अब पहले से कहीं अधिक अमृतपाल को मिलने लगा है।