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Gujarat High Court dismisses rape victim plea to allow abortion
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Gujarat: दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की इजाजत नहीं, हाईकोर्ट ने कहा- मनुस्मृति पढ़ें; जानें इसके पीछे की कहानी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अहमदाबाद
Published by: Jeet Kumar
Updated Thu, 08 Jun 2023 10:58 PM IST
गुजरात हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति समीर दवे ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा कि यदि लड़की और भ्रूण दोनों स्वस्थ हैं तो वह याचिका की अनुमति नहीं दे सकते हैं।
गुजरात हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता द्वारा गर्भपात कराने को लेकर दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही उन्होंने हिंदू ग्रंथ मनुस्मृति का हवाला देते हुए टिप्पणी की कि लड़कियों के लिए कम उम्र में शादी करना और 17 साल की उम्र से पहले बच्चे को जन्म देना सामान्य बात थी।
गुजरात हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति समीर दवे ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा कि यदि लड़की और भ्रूण दोनों स्वस्थ हैं तो वह याचिका की अनुमति नहीं दे सकते हैं। दुष्कर्म पीड़िता 16 साल 11 महीने की है और उसके गर्भ में सात महीने का भ्रूण है। उसके पिता ने गर्भपात की अनुमति के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया क्योंकि उसकी गर्भावस्था 24 हफ्ते की उस सीमा को पार कर गई है जिसमें अदालत की अनुमति के बिना गर्भपात किया जा सकता है।
बुधवार को उनके वकील ने जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि लड़की की उम्र को लेकर परिवार चिंतित है। न्यायमूर्ति दवे ने कहा कि चिंता इसलिए है क्योंकि हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। आगे कहा कि अपनी माँ या परदादी से पूछो कि पहले शादी की उम्र चौदह-पंद्रह थी और लड़कियां 17 साल की होने से पहले अपने पहले बच्चे को जन्म देती थीं। लड़कियां लड़कों से पहले परिपक्व हो जाती हैं। आपको एक बार मनुस्मृति पढ़नी चाहिए।
न्यायाधीश ने कहा कि अगर भ्रूण या लड़की में कोई गंभीर बीमारी पाई जाती है तो अदालत गर्भपात पर विचार कर सकती है। लेकिन अगर दोनों सामान्य हैं, तो अदालत के लिए इस तरह का आदेश पारित करना बहुत मुश्किल होगा। डिलीवरी की संभावित तारीख 16 अगस्त है। इसके लिए उन्होंने अपने चैंबर में विशेषज्ञ डॉक्टरों से सलाह ली।
अंत में, अदालत ने राजकोट सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा लड़की की जांच कराने का निर्देश दिया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि गर्भ में पल रहे बच्चे और लड़की की क्या स्थिति है। न्यायमूर्ति दवे ने कहा कि डॉक्टरों को लड़की का अस्थि परीक्षण भी करना चाहिए और एक मनोचिकित्सक को उसकी मानसिक स्थिति का पता लगाना चाहिए, अस्पताल को सुनवाई की अगली तारीख 15 जून तक रिपोर्ट जमा करने को कहा।
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