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Godhra train burning case Supreme court seeks Gujarat govt response on some convicts bail pleas
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गोधरा कांड: उम्रकैद की सजा पाए दोषियों की जमानत अर्जी पर गुजरात सरकार को नोटिस, जानें शीर्ष अदालत ने क्या कहा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: गुलाम अहमद
Updated Mon, 30 Jan 2023 04:48 PM IST
सार
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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि कुछ लोग कह रहे हैं कि दोषियों की भूमिका सिर्फ पथराव थी। लेकिन जब आप किसी बोगी को बाहर से बंद करते हैं, उसमें आग लगाते हैं और फिर पथराव करते हैं, तो यह सिर्फ पथराव का मामला नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गोधरा कांड मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कुछ दोषियों की जमानत याचिकाओं पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा है। गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सोमवार को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि यह केवल पथराव का मामला नहीं था। दोषियों ने साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी को बंद कर दिया था, जिससे ट्रेन में सवार कई यात्रियों की मौत हो गई थी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि कुछ लोग कह रहे हैं कि उनकी भूमिका सिर्फ पथराव थी। लेकिन जब आप किसी बोगी को बाहर से बंद करते हैं, उसमें आग लगाते हैं और फिर पथराव करते हैं, तो यह सिर्फ पथराव का मामला नहीं है। इस पर अदालत ने मेहता ने कहा कि ठीक है, आप इसकी जांच करें। हम जमानत याचिकाओं को दो सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करेंगे।
वहीं, दोषियों की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि राज्य सरकार ने कुछ दोषियों के मामलों में अपील दायर की है, जिनकी मौत की सजा को गुजरात हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया था। इसके बाद शीर्ष अदालत ने अब्दुल रहमान धंतिया, अब्दुल सत्तार इब्राहिम गद्दी और अन्य की जमानत याचिकाओं पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी को दी थी जमानत
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 15 दिसंबर को गोधरा कांड मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी फारूक को यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि वह 17 साल से जेल में है। हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने इसे जघन्य अपराध बताते हुए याचिका का विरोध किया था, जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया था। इतना ही नहीं, दमकल की गाड़ियों पर भी पत्थर फेंके गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने जमानत आदेश में कहा था कि हाईकोर्ट ने नौ अक्तूबर, 2017 को उसकी अपील खारिज कर दी थी। आवेदक ने इस आधार पर जमानत मांगी है कि वह 2004 से हिरासत में है और करीब 17 साल से जेल में है। मामले के तथ्यों, परिस्थितियों और आवेदक की भूमिका को ध्यान में रखते हुए, हम निर्देश देते हैं कि सत्र अदालत द्वारा लगाए गए नियमों और शर्तों के अधीन आवेदक को जमानत दी जाए।
हाईकोर्ट ने 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था
हालांकि, कई दोषियों की सजा के खिलाफ अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। फारूक समेत कई अन्य को साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे पर पथराव करने का दोषी ठहराया गया था। गौरतलब है कि 27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा में गोधरा एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 कोच में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद राज्य में दंगे भड़क उठे थे। गुजरात हाईकोर्ट ने अक्तूबर 2017 के अपने फैसले में गोधरा ट्रेन कोच जलाने के मामले में 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। जबकि 20 अन्य दोषियों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था।
Godhra convicts bail pleas
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