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ओडिशा के बालासोर जिले में ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 280 हो गई हैं। वहीं कम से कम 900 से अधिक लोग घायल हो गए है। केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद यह पहली बड़ी रेल दुर्घटना है। यह पिछले 15 वर्षों में देश के सबसे भीषण रेल में से एक है। देश में पिछली बार 2016 में बड़ी रेल दुर्घटना हुई थी। 20 नवंबर 2016 को इंदौर-पटना एक्सप्रेस कानपुर में पटरी से उतर गई थी। इसमें कम से कम 150 यात्रियों की मौत हो गई थी और 150 से अधिक घायल हो गए थे।
इससे पहले 13 जनवरी 2022 को बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस के कम से कम 12 डिब्बे पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार क्षेत्र में पटरी से उतर गए, जिससे नौ लोगों की मौत हो गई थी और 36 अन्य घायल हो गए थे। वहीं, 18 अगस्त 2017 को पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस मुजफ्फरनगर में पटरी से उतर गई। इसमें 23 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 60 अन्य घायल हो गए थे।
23 अगस्त 2017 को दिल्ली की ओर आ रही कैफियत एक्सप्रेस के नौ डिब्बे उत्तर प्रदेश के औरैया के पास पटरी से उतर गए, जिससे कम से कम 70 लोग घायल हो गए थे। 26 मई 2014 को उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर इलाके में गोरखपुर की ओर जा रही गोरखधाम एक्सप्रेस खलीलाबाद स्टेशन के पास रुकी मालगाड़ी से टकरा गई थी। इससे उस हादसे में 25 लोगों की मौत हो गई थी और 50 से ज्यादा घायल हो गए थे।
जबकि 22 मई 2012 को हुए रेल हादसे में एक मालगाड़ी और हुबली-बैंगलोर हम्पी एक्सप्रेस आंध्र प्रदेश के करीब टकरा गई थी। ट्रेन के चार डिब्बों के पटरी से उतरने और उनमें से एक में आग लगने के कारण लगभग 25 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 43 घायल हो गए थे।