केंद्र द्वारा बनाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते दो माह से दिल्ली की सीमाओं पर शांतिपूर्वक चल रहा किसान आंदोलन गणतंत्र दिवस के मौके पर उग्र हो उठा। राष्ट्रीय पर्व पर दिल्ली की ऐतिहासिक परेड पर किसानों के उग्र प्रदर्शन ने पानी फेर दिया। ट्रैक्टर रैली अचानक हिंसक हो गई और राजधानी के कई हिस्सों में पुलिस व कथित किसानों के बीच जमकर तकरार हुई। लुटियंस दिल्ली में ट्रैक्टर परेड करने की मंशा से सैकड़ों ट्रैक्टरों में हजारों कार्यकर्ता पहुंचे और पुलिस के साथ सहमति से तय रूट को छोड़ते हुए मनमाने ढंग से रैली निकालने पर अड़ गए। आगे जो हुआ, वह शर्मनाक था। गणतंत्र के उल्लास पर हिंसक आंदोलन ने कालिख पोत दी। बहरहाल, संयुक्त किसान मोर्चे ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया है कि असामाजिक तत्व रैली में घुस आए थे। उन्होंने उपद्रव किया, जिसकी वह निंदा करता है। उधर दिल्ली पुलिस ने चार केस दर्ज किए हैं। आगे पढ़ें आंखों देखा हाल...
आईटीओ तक ट्रैक्टर रैली के साथ किसान बड़ी आसानी से पहुंच चुके थे, यहां से बाईं और लाल किला और दाईं ओर पूरी लुटियन दिल्ली है। ये ही दो क्षेत्र थे जिन पर कब्जा करने का उद्देश्य आंदोलनकारियों का झलक रहा था। इसलिए मंगलवार को यहीं सबसे ज्यादा बवाल हुआ।
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पुलिस और किसानों के बीच हुई बैठक में तय किया गया था कि गणतंत्र दिवस की परेड खत्म होने के बाद ही किसान अपना ट्रैक्टर मार्च शुरू करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मंगलवार सुबह 10 बजते ही किसानों ने गाजीपुर बॉर्डर से ट्रैक्टर रैली शुरू कर दी।
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सिंघु बॉर्डर से तयशुदा समय से करीब तीन घंटे पहले ही किसानों की ट्रैक्टर रैली रवाना हो गई।यह करीब 9:30 बजे दिल्ली के मुकरबा चौक पहुंची। पुलिस से मिली इजाजत के मुताबिक यहां से किसानों को संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर मुड़ना था, लेकिन मुकरबा चौक पहुंचने पर किसान आउटर रिंग रोड पर जाने को अड़ गए।
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शांति व्यवस्था बनाए रखने के वादे से शुरू हुई ट्रैक्टर रैली देखते-देखते उपद्रव व अराजकता में बदल गई। बैरिकेड तोड़ कर ट्रैक्टर रैली दिल्ली के अंदरुनी इलाकों में पहुंच गई। पहले आईटीओ यानी दिल्ली पुलिस के मुख्यालय के सामने डेरा जमाया गया, यहां उपद्रव व बवाल की शुरुआत हुई। इसके बाद कुछ वाहनों में सवार लोग ऐतिहासिक लालकिले की प्राचीर पर पहुंच गए।
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गणतंत्र दिवस यानी मंगलवार सुबह 11 बजे का वक्त था। चूंकि आईटीओ दिल्ली का प्रमुख जंक्शन है और गाजीपुर व नोएडा से आने-जाने का मुख्य रास्ता है और इस रास्ते से आंदोलनकारी किसानों के दिल्ली में घुसने की आशंका थी, इसलिए मैं वहां चौकस होकर तैनात था।
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केंद्र द्वारा बनाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते दो माह से दिल्ली की सीमाओं पर शांतिपूर्वक चल रहा किसान आंदोलन गणतंत्र दिवस के मौके पर उग्र हो उठा। राष्ट्रीय पर्व पर दिल्ली की ऐतिहासिक परेड पर किसानों के उग्र प्रदर्शन ने पानी फेर दिया। ट्रैक्टर रैली अचानक हिंसक हो गई और राजधानी के कई हिस्सों में पुलिस व कथित किसानों के बीच जमकर तकरार हुई। लुटियंस दिल्ली में ट्रैक्टर परेड करने की मंशा से सैकड़ों ट्रैक्टरों में हजारों कार्यकर्ता पहुंचे और पुलिस के साथ सहमति से तय रूट को छोड़ते हुए मनमाने ढंग से रैली निकालने पर अड़ गए। आगे जो हुआ, वह शर्मनाक था। गणतंत्र के उल्लास पर हिंसक आंदोलन ने कालिख पोत दी। बहरहाल, संयुक्त किसान मोर्चे ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया है कि असामाजिक तत्व रैली में घुस आए थे। उन्होंने उपद्रव किया, जिसकी वह निंदा करता है। उधर दिल्ली पुलिस ने चार केस दर्ज किए हैं। आगे पढ़ें आंखों देखा हाल...
परीक्षित निर्भय से जानिए लाल किले पर आंखों देखा हाल
आईटीओ तक ट्रैक्टर रैली के साथ किसान बड़ी आसानी से पहुंच चुके थे, यहां से बाईं और लाल किला और दाईं ओर पूरी लुटियन दिल्ली है। ये ही दो क्षेत्र थे जिन पर कब्जा करने का उद्देश्य आंदोलनकारियों का झलक रहा था। इसलिए मंगलवार को यहीं सबसे ज्यादा बवाल हुआ।
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गाजीपुर बॉर्डर : शुजात आलम से जानें आंखों देखा हाल
पुलिस और किसानों के बीच हुई बैठक में तय किया गया था कि गणतंत्र दिवस की परेड खत्म होने के बाद ही किसान अपना ट्रैक्टर मार्च शुरू करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मंगलवार सुबह 10 बजते ही किसानों ने गाजीपुर बॉर्डर से ट्रैक्टर रैली शुरू कर दी।
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मुकरबा चौक पर क्या हुआ-संतोष कुमार की आंखों देखी
सिंघु बॉर्डर से तयशुदा समय से करीब तीन घंटे पहले ही किसानों की ट्रैक्टर रैली रवाना हो गई।यह करीब 9:30 बजे दिल्ली के मुकरबा चौक पहुंची। पुलिस से मिली इजाजत के मुताबिक यहां से किसानों को संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर मुड़ना था, लेकिन मुकरबा चौक पहुंचने पर किसान आउटर रिंग रोड पर जाने को अड़ गए।
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लाल किले पर आखिर हुआ क्या - मनीष मिश्रा की आंखों देखी
शांति व्यवस्था बनाए रखने के वादे से शुरू हुई ट्रैक्टर रैली देखते-देखते उपद्रव व अराजकता में बदल गई। बैरिकेड तोड़ कर ट्रैक्टर रैली दिल्ली के अंदरुनी इलाकों में पहुंच गई। पहले आईटीओ यानी दिल्ली पुलिस के मुख्यालय के सामने डेरा जमाया गया, यहां उपद्रव व बवाल की शुरुआत हुई। इसके बाद कुछ वाहनों में सवार लोग ऐतिहासिक लालकिले की प्राचीर पर पहुंच गए।
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आईटीओ पर आखिर हुआ क्या-राहुल संपाल की आंखों देखी
गणतंत्र दिवस यानी मंगलवार सुबह 11 बजे का वक्त था। चूंकि आईटीओ दिल्ली का प्रमुख जंक्शन है और गाजीपुर व नोएडा से आने-जाने का मुख्य रास्ता है और इस रास्ते से आंदोलनकारी किसानों के दिल्ली में घुसने की आशंका थी, इसलिए मैं वहां चौकस होकर तैनात था।
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