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Explained: Bharat Jodo Yatra and impact on opposition unity, know about non participating parties
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Bharat Jodo Yatra: राहुल की यात्रा से कितना जुड़ा विपक्ष, न्योते के बाद भी कई दलों के दूरी बनाने के क्या मायने?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवेंद्र तिवारी
Updated Mon, 30 Jan 2023 04:58 PM IST
सार
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भारत जोड़ो यात्रा के समापन कार्यक्रम के लिए कांग्रेस ने 21 दलों के नेताओं को न्योता दिया था। इनमें से 12 दलों ने इस कार्य्रकम में आने की सहमति दी थी। हालांकि, खराब मौसम की वजह से कुछ ही दलों के नेता कश्मीर पहुंचे।
भारत जोड़ो यात्रा में शामिल विभिन्न दलों के नेता
- फोटो : बासित जरगर
राहुल गांधी की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को संपन्न हो गई। समापन समारोह में श्रीनगर में मौलाना आजाद रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय में राहुल गांधी ने तिरंगा फहराया। इसके बाद शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में जनसभा को भी संबोधित किया। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ विपक्षी दलों के कई बड़े नेता मौजूद रहे।
यात्रा के समापन कार्यक्रम के लिए कांग्रेस ने 21 दलों के नेताओं को न्योता दिया था। इनमें से 12 दलों ने इस कार्य्रकम में आने की सहमति दी थी। वहीं, नौ दलों ने इससे दूरी बना ली थी। हालांकि, खराब मौसम की वजह से कुछ ही दलों के नेता कश्मीर पहुंचे। भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में किन विपक्षी दलों को आमंत्रण भेजा गया? इसमें कौन-कौन से दल शामिल हुए? आमंत्रण के बावजूद कौन से दल नहीं आए और क्यों? किन विपक्षी दलों को आमंत्रण तक नहीं दिया गया? इन तीनों के सियासी मायने क्या हैं? आइये जानते हैं...
कश्मीर में भारत जोड़ो यात्रा
- फोटो : कांग्रेस
भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में किन दलों को आमंत्रण?
राहुल गांधी के नेतृत्व में 134 दिन चली कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को संपन्न हो गई। यात्रा में 14 राज्यों के 75 जिलों को कवर किया गया। सोमवार को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में यात्रा का समापन हुआ। इस समापन समारोह में शामिल होने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने टीएमसी, जेडीयू, शिवसेना, टीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, सीपीआई, सीपीएम, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल सहित 21 दलों के अध्यक्षों को निमंत्रण दिया गया था। पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, डीएमके, आरएलडी, आईयूएमएल, आरएसपी और जेडीएस भी इसमें शामिल थे।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), कांग्रेस
- फोटो : PTI
किन दलों को कांग्रेस ने भेजा था न्योता?
इस महीने की शुरुआत में, कांग्रेस ने समान विचारधारा वाले 21 दलों को भारत जोड़ो यात्रा की समापन रैली में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। हालांकि, इनमें से 12 दलों ने समापन रैली में शामिल होने के लिए हामी भरी। इनमें डीएमके, फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, महबूबा मुफ्ती की पीडीपी, विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके), आईयूएमएल, केरल कांग्रेस, सीपीआई, आरएसपी, झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसे दल शामिल थे।
भारी बर्फबारी के बीच हुए समापन कार्यक्रम में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने कहा कि देश को वास्तव में इस यात्रा की जरूरत थी। राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहीं। मुफ्ती ने कहा, 'आज, पूरा देश राहुल गांधी में आशा की किरण देख सकता है'। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि आज जो राजनीति देश में चल रही है उससे देश का भला नहीं होगा, ये तोड़ने-बांटने, नफरत की राजनीति है।
समापन समारोह में आने के लिए शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड), सीपीएम ने हामी भरी थी। हालांकि, खराब मौसम की वजह से इन दलों के नेता यहां नहीं पहुंच सके।
राहुल और अखिलेश
- फोटो : amar ujala
आमंत्रण के बावजूद कौन से दल नहीं आए और क्यों?
भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में कई बड़े विपक्षी दल शामिल नहीं हुए। इनमें अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), बसपा, आम आदमी पार्टी जैसे दल शामिल थे। एक्सपर्ट कहते हैं कि इन दलों के इस कार्यक्रम में शामिल होने के उम्मीद थी भी नहीं। टीएमसी से लेकर आप तक के नेता खुद को प्रधानमंत्री पद के दौड़ में रखना चाहते हैं। इनमें से ज्यादातर दल कांग्रेस की जमीन पर ही बढ़े हैं।
किन दलों को नहीं मिली न्योता और क्यों?
कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से दिए गए न्योते में विपक्ष के पांच दल शामिल नहीं थे। इनमें एआईएडीएमके, जगनमोहन रेड्डी की YSRCP, नवीन पटनायक की बीजेडी, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और AIUDF शामिल थीं। इन दलों से कांग्रेस की दूरी की एक्सपर्ट अलग-अलग कारण बताते हैं। जैसे- एआईएडीएमके को न्योता नहीं देने का कारण तमिलनाडु में कांग्रेस का डीएमके से गठबंधन रहा। राज्य में सत्ताधारी डीएमके और कांग्रेस गठबंधन में हैं। डीएमके और एआईडीएमके के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। ऐसे में कांग्रेस ने एआईएडीएमके से दूरी रखी। वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी समय-समय पर केंद्र का समर्थन करती रही हैं। वाईएसआर कांग्रेस आंध्र प्रदेश में कांग्रेस की जमीन पर बढ़ी है। वहीं, बीजेडी का ओडिशा में कांग्रेस से मुकाबला रहा है। ओवैसी की पार्टी और एआईयूडीएफ से दूरी के पीछे की वजह एक्सपर्ट दोनों दलों की धर्म आधारित राजनीति से दूरी को वजह बताते हैं।
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