गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुए किसानों के हिंसक प्रदर्शन ने राजधानी की कानून-व्यवस्था को तार-तार कर दिया। ट्रैक्टर रैली के लिए दिल्ली की सीमाओं पर निर्धारित मार्गों का उल्लंघन कर राजधानी में घुसे किसानों ने नांगलोई, आईटीओ और अक्षरधाम जैसी जगहों पर जमकर उपद्रव किया। वहीं, ऐतिहासिक लाल किले की एक गुंबद पर चढ़े प्रदर्शनकारियों ने धार्मिक और किसान संगठनों के झंडे फहरा दिए।
इसी प्रदर्शन में अभिनेता दीप सिद्धू भी शामिल थे। एत समय में अभिनेता से नेता बने भाजपा नेता सनी देओल के करीबी माने जाने वाले अभिनेता-कार्यकर्ता दीप सिद्धू को मंगलवार को हुए प्रदर्शन के दौरान लाल किले पर देखा गया था। किसानों ने उन पर लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराने का आरोप लगाया है।
सोशल मीडिया पर भी इसकी खूब चर्चा रही। उधर, खुद दीप सिद्धू ने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों ने लाल किले से राष्ट्रीय ध्वज को नहीं उतारा था बल्कि केवल सांकेतिक प्रदर्शन के रूप में धार्मिक ध्वज को फहराया था। उन्होंने वीडियो में दावा किया कि यह एक स्वाभाविक कार्य था।
दिल्ली पुलिस आयुक्त बोले- किसान नेताओं ने वादा तोड़ा, हमारे पास हैं वीडियो, किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा
वहीं, दिल्ली पुलिस ने बुधवार को इस घटनाक्रम को लेकर एक प्रेस वार्ता की। पुलिस आयुक्त एनएन श्रीवास्तव ने इससे जुड़ी जानकारियां साझा कीं और कहा कि हिंसा करने वाले जिस-जिस व्यक्ति की पहचान होगी, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वार्ता के अंत में दीप सिद्धू को लेकर कए गए सवाल का उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। वह सवाल को इसी जवाब के साथ टालते रहे कि जो पहचान में आएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले किस तरह प्रदर्शन हिंसक हुआ इसके बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने आह्वान किया था कि उनके समर्थन 26 जनवरी को दिल्ली में आके ट्रैक्टर रैली में सहयोग करें। हमें जैसे ही इसकी जानकारी मिली हमने किसान नेताओं से संपर्क किया और विस्तार से बात हुई।
उन्होंने कहा कि पांच दौर की वार्ताएं हुई और फोन पर भी बात हुई। उनसे कहा गया था कि गणतंत्र दिवस के बाद मार्च करें। लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया। हमने उनको सुझाव दिया कि कुंडली मानेसर और पलवल की सीमाओं पर मार्च निकालें। दिल्ली पुलिस ने ट्रैक्टर रैली के दौरान सुरक्षा, यातायात व्यवस्था और मीडिया कवरेज में भी सहयोग का आश्वासन दिया था। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने दिल्ली में मार्च निकालने की ठान ली।
गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुए किसानों के हिंसक प्रदर्शन ने राजधानी की कानून-व्यवस्था को तार-तार कर दिया। ट्रैक्टर रैली के लिए दिल्ली की सीमाओं पर निर्धारित मार्गों का उल्लंघन कर राजधानी में घुसे किसानों ने नांगलोई, आईटीओ और अक्षरधाम जैसी जगहों पर जमकर उपद्रव किया। वहीं, ऐतिहासिक लाल किले की एक गुंबद पर चढ़े प्रदर्शनकारियों ने धार्मिक और किसान संगठनों के झंडे फहरा दिए।
इसी प्रदर्शन में अभिनेता दीप सिद्धू भी शामिल थे। एत समय में अभिनेता से नेता बने भाजपा नेता सनी देओल के करीबी माने जाने वाले अभिनेता-कार्यकर्ता दीप सिद्धू को मंगलवार को हुए प्रदर्शन के दौरान लाल किले पर देखा गया था। किसानों ने उन पर लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराने का आरोप लगाया है।
सोशल मीडिया पर भी इसकी खूब चर्चा रही। उधर, खुद दीप सिद्धू ने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों ने लाल किले से राष्ट्रीय ध्वज को नहीं उतारा था बल्कि केवल सांकेतिक प्रदर्शन के रूप में धार्मिक ध्वज को फहराया था। उन्होंने वीडियो में दावा किया कि यह एक स्वाभाविक कार्य था।
दिल्ली पुलिस आयुक्त बोले- किसान नेताओं ने वादा तोड़ा, हमारे पास हैं वीडियो, किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा
वहीं, दिल्ली पुलिस ने बुधवार को इस घटनाक्रम को लेकर एक प्रेस वार्ता की। पुलिस आयुक्त एनएन श्रीवास्तव ने इससे जुड़ी जानकारियां साझा कीं और कहा कि हिंसा करने वाले जिस-जिस व्यक्ति की पहचान होगी, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वार्ता के अंत में दीप सिद्धू को लेकर कए गए सवाल का उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। वह सवाल को इसी जवाब के साथ टालते रहे कि जो पहचान में आएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले किस तरह प्रदर्शन हिंसक हुआ इसके बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने आह्वान किया था कि उनके समर्थन 26 जनवरी को दिल्ली में आके ट्रैक्टर रैली में सहयोग करें। हमें जैसे ही इसकी जानकारी मिली हमने किसान नेताओं से संपर्क किया और विस्तार से बात हुई।
उन्होंने कहा कि पांच दौर की वार्ताएं हुई और फोन पर भी बात हुई। उनसे कहा गया था कि गणतंत्र दिवस के बाद मार्च करें। लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया। हमने उनको सुझाव दिया कि कुंडली मानेसर और पलवल की सीमाओं पर मार्च निकालें। दिल्ली पुलिस ने ट्रैक्टर रैली के दौरान सुरक्षा, यातायात व्यवस्था और मीडिया कवरेज में भी सहयोग का आश्वासन दिया था। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने दिल्ली में मार्च निकालने की ठान ली।