राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के निदेशक डॉ. एसके सिंह ने कहा कि हम दो तरीके से सर्विलांस (निगरानी) कर रहे हैं। एक तो हम बाहर से आने वाले चिंता के कारण वेरिएंट की निगरानी कर रहे हैं और दूसरा देश में डेल्टा वेरिएंट के प्रभाव पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि आज हमें वायरस के नए म्यूटेंट की ओर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि वह किसी भी समय कहीं भी पहुंच सकते हैं।
डॉ. सिंह ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) एक रणनीति के साथ आगे आया है। इसके अनुसार ऐसे स्थानों की पहचान करने की जरूरत है जहां निगरानी होनी चाहिए और हर राज्य के हर जिले से नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग करनी होगी। उन्होंने कहा कि इस बात की जांच करना बहुत जरूरी है कि क्या कोई म्यूटेंट है जो आने वाले समय में कोई बड़ा सार्वजनिक प्रभाव डाल सकता है।
उन्होंने कहा कि हम कोरोना वायरस के जिन वेरिएंट की निगरानी कर रहे हैं वह अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और डेल्टा प्लस हैं। दो वेरिएंट इस समय जांच के दायरे में हैं। ये हैं कप्पा वेरिएंट और बी1617.3 वेरिएंट।
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राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के निदेशक डॉ. एसके सिंह ने कहा कि हम दो तरीके से सर्विलांस (निगरानी) कर रहे हैं। एक तो हम बाहर से आने वाले चिंता के कारण वेरिएंट की निगरानी कर रहे हैं और दूसरा देश में डेल्टा वेरिएंट के प्रभाव पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि आज हमें वायरस के नए म्यूटेंट की ओर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि वह किसी भी समय कहीं भी पहुंच सकते हैं।
डॉ. सिंह ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) एक रणनीति के साथ आगे आया है। इसके अनुसार ऐसे स्थानों की पहचान करने की जरूरत है जहां निगरानी होनी चाहिए और हर राज्य के हर जिले से नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग करनी होगी। उन्होंने कहा कि इस बात की जांच करना बहुत जरूरी है कि क्या कोई म्यूटेंट है जो आने वाले समय में कोई बड़ा सार्वजनिक प्रभाव डाल सकता है।
उन्होंने कहा कि हम कोरोना वायरस के जिन वेरिएंट की निगरानी कर रहे हैं वह अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और डेल्टा प्लस हैं। दो वेरिएंट इस समय जांच के दायरे में हैं। ये हैं कप्पा वेरिएंट और बी1617.3 वेरिएंट।