अनूप वाजपेयी, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sun, 01 Jul 2018 06:27 AM IST
उत्तराखंड में लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारी कांग्रेस अभी से स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर सतर्क हो गई है। राज्य को मिले नए प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह ने चुनाव की तारीखें घोषित होने से पहले चुनावों के लिए राज्य के नेताओं को राजनीतिक रैकी के लिए मैदान में उतारने जा रहे हैं। पहला मौका होगा जब कांग्रेस स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर स्क्रीनिंग कमेटी बनाएगी जो मजबूत उम्मीदवारों की खोज करेगी।
उत्तराखंड में नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है और हाईकोर्ट के निर्देशों पर सब जगहों पर प्रशासक नियुक्त हो चुके हैं। परिसीमन को लेकर कानूनी दांवपेच के चलते राज्य सरकार नए चुनावों की तारीखें अभी घोषित नहीं कर सकी है। कोर्ट का फैसला आ जाने के बावजूद फिलहाल राज्य में चुनाव कराना मुश्किल होगा।
दरअसल पहाड़ों में मानसून आ चुका है और बारिश के चलते तमाम इलाके प्रभावित हो जाते हैं। लिहाजा चुनाव सितंबर या उसके बाद ही कराए जा सकेंगे। कांग्रेस ने चुनाव के लिए अभी से उम्मीदवारों पर फोकस कर दिया है। बड़ी संख्या में कांग्रेस के बड़े नेताओं के पार्टी छोड़कर भाजपा में चले जाने का प्रभाव भी स्थानीय स्तर पर पड़ा है। प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह ने बताया कि पार्टी मजबूत उम्मीदवार उतारने के लिए 20-25 लोगों की एक स्क्रीनिंग कमेटी गठित करेगी।
रविवार को कमेटी के गठन को लेकर राज्य के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक होनी है। उनका कहना है कि उम्मीदवार सर्वसम्मति से तय किए जाएंगे। उन्होंने इस बात से भी इंकार नहीं किया कि पार्टी के छोड़कर गए कुछ नेता वापसी कर सकते हैं। उनका कहना है कि पार्टी ने उन सभी नेताओं का विकल्प तैयार कर लिया है जो छोड़कर भाजपा में गए थे।
उत्तराखंड में लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारी कांग्रेस अभी से स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर सतर्क हो गई है। राज्य को मिले नए प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह ने चुनाव की तारीखें घोषित होने से पहले चुनावों के लिए राज्य के नेताओं को राजनीतिक रैकी के लिए मैदान में उतारने जा रहे हैं। पहला मौका होगा जब कांग्रेस स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर स्क्रीनिंग कमेटी बनाएगी जो मजबूत उम्मीदवारों की खोज करेगी।
उत्तराखंड में नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है और हाईकोर्ट के निर्देशों पर सब जगहों पर प्रशासक नियुक्त हो चुके हैं। परिसीमन को लेकर कानूनी दांवपेच के चलते राज्य सरकार नए चुनावों की तारीखें अभी घोषित नहीं कर सकी है। कोर्ट का फैसला आ जाने के बावजूद फिलहाल राज्य में चुनाव कराना मुश्किल होगा।
दरअसल पहाड़ों में मानसून आ चुका है और बारिश के चलते तमाम इलाके प्रभावित हो जाते हैं। लिहाजा चुनाव सितंबर या उसके बाद ही कराए जा सकेंगे। कांग्रेस ने चुनाव के लिए अभी से उम्मीदवारों पर फोकस कर दिया है। बड़ी संख्या में कांग्रेस के बड़े नेताओं के पार्टी छोड़कर भाजपा में चले जाने का प्रभाव भी स्थानीय स्तर पर पड़ा है। प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह ने बताया कि पार्टी मजबूत उम्मीदवार उतारने के लिए 20-25 लोगों की एक स्क्रीनिंग कमेटी गठित करेगी।
रविवार को कमेटी के गठन को लेकर राज्य के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक होनी है। उनका कहना है कि उम्मीदवार सर्वसम्मति से तय किए जाएंगे। उन्होंने इस बात से भी इंकार नहीं किया कि पार्टी के छोड़कर गए कुछ नेता वापसी कर सकते हैं। उनका कहना है कि पार्टी ने उन सभी नेताओं का विकल्प तैयार कर लिया है जो छोड़कर भाजपा में गए थे।