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Chhawla gangrape-murder case: SC dismisses pleas seeking review of verdict acquitting 3 death row convicts
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Chhawla Case: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका, कहा- दोषियों को बरी करने के फैसले में कोई त्रुटि नहीं
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Tue, 28 Mar 2023 10:53 PM IST
सार
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शीर्ष अदालत ने 8 फरवरी को इस मामले में मौत की सजा के तीन दोषियों को बरी करने के अपने फैसले की समीक्षा के लिए दलीलों पर विचार करने के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित करने पर सहमति व्यक्त की थी। गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के अलावा, पीड़िता के पिता, उत्तराखंड बचाओ आंदोलन और उत्तराखंड लोक मंच ने फैसले की समीक्षा की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी के छावला इलाके में 2012 में 19 साल की लड़की की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में मौत की सजा पाए तीन दोषियों को बरी करने के अपने फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एस रविंद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवादी की पीठ ने कहा, इस अदालत की ओर से पारित निर्णय में कोई तथ्यात्मक या कानूनी त्रुटि नहीं है जिसकी समीक्षा की आवश्यकता है। पीठ ने यह फैसला दो मार्च को सुनाया था। आदेश मंगलवार को अपलोड किया गया।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 8 फरवरी को इस मामले में मौत की सजा के तीन दोषियों को बरी करने के अपने फैसले की समीक्षा के लिए दलीलों पर विचार करने के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित करने पर सहमति व्यक्त की थी। गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के अलावा, पीड़िता के पिता, उत्तराखंड बचाओ आंदोलन और उत्तराखंड लोक मंच ने फैसले की समीक्षा की मांग की थी।
अदालत ने दिया था फैसला
गौरतलब है कि छावला गैंगरेप-हत्या में सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर के शुरुआती सप्ताह में आरोपियों को रिहा करने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाया पीड़िता का क्षत-विक्षत शव घटना के तीन दिन के बाद बरामद किया गया था। शरीर पर गहरे जख्म मिले थे। इस घटना पर निचली अदालत ने तीन आरोपियों को दोषी ठहराया था। हाई कोर्ट ने अगस्त 2014 में इसे बरकरार रखा था। बाद में जब मामला शीर्ष अदालत में पहुंचा तो वहां उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया गया। बाद में पिछले साल नवंबर में उन्हें अपराधों से बरी कर दिया, जिससे फैसले पर बहस छिड़ गई।
क्या था मामला?
छावला इलाके में साल 2012 में घटना को अंजाम दिया गया था जिसने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थी। तीन युवकों ने इलाके की रहने वाली 19 साल की युवती को कार से अगवा कर लिया और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद उसकी आंखों में तेजाब डालकर मार डाला। घटना 14 फरवरी 2012 की है। युवती काम खत्म करने के बाद शाम को अपने घर जा रही थी। इसी दौरान रास्ते में तीन युवकों ने कार से उसे अगवा कर लिया। काफी देर तक बेटी के घर नहीं पहुंचने पर परिवार वालों को चिंता सताने लगी और वह अपने स्तर पर अपनी बेटी की तलाश शुरू की। उसके बाद परिजनों ने पुलिस को घटना की जानकारी दी।
पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज कर जांच शुरू की। शुरूआत में पुलिस को पता चला कि तीन युवक पीड़िता को कार से अगवा कर ले गए हैं। पुलिस ने कुछ दिन बाद इस मामले में तीन आरोपी रवि कुमार, राहुल और विनोद को गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला कि आरोपियों ने युवती को अगवा करने के बाद उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इस दौरान कार में इस्तेमाल होने वाले औजारों से उसे पीटा गया। उसके शरीर को सिगरेट से जलाया गया।
बदहवास हो गई युवती की दोनों आखों में तेजाब डालकर उसकी हत्या कर दी। इस मामले में निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद दोषियों की तरफ से सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के पलटते हुए तीनों दोषियों को बरी कर दिया था।
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