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Centre to SC States responsible for implementing schemes related to menstrual health
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SC: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- मासिक चक्र संबंधी स्वास्थ्य योजनाओं को लागू करने के लिए राज्य जिम्मेदार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: निर्मल कांत
Updated Sat, 01 Apr 2023 09:01 PM IST
सार
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शीर्ष कोर्ट के समक्ष दायर एक हलफनामे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि उसने जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं और देशभर में लड़कियों के लिए जरूरी संसाधान उपलब्ध कराए हैं।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह युवा और किशोर लड़कियों के लिए मासिक चक्र के दौरान स्वच्छता तक पहुंच में सुधार के लिए समर्पित है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्य का विषय है।
शीर्ष कोर्ट के समक्ष दायर एक हलफनामे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि उसने जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं और देशभर में लड़कियों के लिए जरूरी संसाधान उपलब्ध कराए हैं। बेंच ने कहा, सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्य का विषय है और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है।
मंत्रालय ने कहा, केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियां मासिक चक्र से संबंधित योजनाओं के लिए कार्यान्वयन निकाय नहीं है और यह वास्तव में राज्य और उनकी एजेंसियां हैं जो नीतियों को लागू करने में सबसे आगे हैं। मंत्रालय ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि केंद्र सरकार युवा और किशोर लड़कियों के मासिक चक्र के दौरान स्वच्छता में सुधार करने और जरूरी संसाधनों मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह हलफनामा कांग्रेस नेता जया ठाकुर की जनहित याचिका (पीआईएल) के जवाब में दायर किया गया है, जिसमें देश भर के सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 से 12 में पढ़ने वाली लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी पैड प्रदान करने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई थी।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मासिक चक्र और मासिक चक्र के दौरान की बातें वर्जान से भरी पड़ी है। इस दौरान भारत में बच्चियों से लकर महिलाओं तक पर तमाम सामाजिक-सांस्कृतिक पाबंदियां होती हैं और न सिर्फ सैनिटरी पैड तक उनकी पहुंची सीमित होती है, बल्कि उन्हें सुरक्षित स्वच्छता सुविधाएं भी नहीं मिलती हैं।
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मंत्रालय ने कहा, इसके अलावा पारंपरिक रूप से पुराने कपड़ों को रिसाइकिल करके पैड के रूप में इस्तेमाल करना, राख या पुआल का उपयोग करने की प्रथाएं हैं। लेकिन इससे न सिर्फ मासिक चक्र के दौरान स्वच्छता प्रभावित होती है, बल्कि इससे महिलाओं के प्रजनन पर भी दीर्घकालिक कुप्रभाव होता है।
उन्होंने कहा, सरकार मासिक चक्र के दौरान स्वच्छता पर किशोरियों के बीच जागरूकता बढ़ाने, आत्मसम्मान का निर्माण करने और बेहतर समाजीकरण के लिए लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित है। सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सैनिटरी नैपकिन की पहुंच और उपयोग बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रही है।
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