न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गांधीनगर
Updated Wed, 13 Jan 2021 10:10 PM IST
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गुजरात के सोला पुलिस थाने में ट्रैफिक पुलिस के एक कॉन्स्टेबल के खिलाफ कायरता की धारा के तहत केस दर्ज हुआ है। कॉन्स्टेबल पर आरोप है कि वह 4 महीने तक ड्यूटी से गायब था और अपने वरिष्ठ अधिकारियों की आज्ञा का अवहेलना करता था। आरोपी सोला पुलिस थाने में कार्यरत था।
अपने ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटकती देख आरोपी रंजीत सिंह चमनसिंह नाम के कॉन्स्टेबल ने कोर्ट से अपनी संभावित गिरफ्तारी के खिलाफ कानूनी सुरक्षा की मांग की है। वहीं कॉन्स्टेबल की अंतरिम जमानत की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है। साथ ही कोर्ट ने जांच अधिकारी को पहले उसे नोटिस देकर सात दिन का वक्त देने को कहा, ताकि कॉन्स्टेबल गिरफ्तारी से पहले अपना केस समझा सके।
गौरतलब है कि अगस्त 2019 में रंजीत सिंह का तबादला घाटलोडिया पुलिस थाने से 'ए' ट्रैफिक पुलिस स्टेशन में हुआ था। उसे ट्रैफिक की जिम्मेदारी दी गई थी। एक साल बाद अगस्त 2020 से वह ड्यूटी से अचानक गायब हो गया और चार माह तक नदारद रहा। विभाग की तरफ से उसे तीन नोटिस जारी किए गए लेकिन उसने कभी जवाब नहीं दिया। आखिरकार विभाग ने गुजरात पुलिस एक्ट (जीपी ऐक्ट) की धारा धारा 145 (2)(ए) के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी दी।
तीन साल तक हो सकती है सजा
बता दें कि धारा 145 (2) (ए) के अनुसार, कोई भी पुलिस अधिकारी जो कायरता का दोषी पाया जाएगा उसे तीन साल का कारावास या जुर्माना या फिर दोनों के तहत दंडित किया जाएगा।
गुजरात के सोला पुलिस थाने में ट्रैफिक पुलिस के एक कॉन्स्टेबल के खिलाफ कायरता की धारा के तहत केस दर्ज हुआ है। कॉन्स्टेबल पर आरोप है कि वह 4 महीने तक ड्यूटी से गायब था और अपने वरिष्ठ अधिकारियों की आज्ञा का अवहेलना करता था। आरोपी सोला पुलिस थाने में कार्यरत था।
अपने ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटकती देख आरोपी रंजीत सिंह चमनसिंह नाम के कॉन्स्टेबल ने कोर्ट से अपनी संभावित गिरफ्तारी के खिलाफ कानूनी सुरक्षा की मांग की है। वहीं कॉन्स्टेबल की अंतरिम जमानत की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है। साथ ही कोर्ट ने जांच अधिकारी को पहले उसे नोटिस देकर सात दिन का वक्त देने को कहा, ताकि कॉन्स्टेबल गिरफ्तारी से पहले अपना केस समझा सके।
गौरतलब है कि अगस्त 2019 में रंजीत सिंह का तबादला घाटलोडिया पुलिस थाने से 'ए' ट्रैफिक पुलिस स्टेशन में हुआ था। उसे ट्रैफिक की जिम्मेदारी दी गई थी। एक साल बाद अगस्त 2020 से वह ड्यूटी से अचानक गायब हो गया और चार माह तक नदारद रहा। विभाग की तरफ से उसे तीन नोटिस जारी किए गए लेकिन उसने कभी जवाब नहीं दिया। आखिरकार विभाग ने गुजरात पुलिस एक्ट (जीपी ऐक्ट) की धारा धारा 145 (2)(ए) के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी दी।
तीन साल तक हो सकती है सजा
बता दें कि धारा 145 (2) (ए) के अनुसार, कोई भी पुलिस अधिकारी जो कायरता का दोषी पाया जाएगा उसे तीन साल का कारावास या जुर्माना या फिर दोनों के तहत दंडित किया जाएगा।