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देश के दो बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में कैडर अधिकारी, पदोन्नति के मोर्चे पर पिछड़ रहे हैं। खासतौर पर, सीआईएसएफ व एसएसबी के मुकाबले इन दोनों बलों में बतौर सहायक कमांडेंट भर्ती हुए अधिकारियों को पदोन्नति के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। सीआईएसएफ में 2008 बैच वाले अधिकारी अब 'पे-बैंड 4' में सीनियर कमांडेंट का वेतन पा गए हैं। दूसरी ओर सीआरपीएफ और बीएसएफ में 2008 बैच वाले अभी तक डिप्टी कमांडेंट हैं। एसएसबी में 2007 से लेकर 2010 के बीच सेवा में आए सहायक कमांडेंट, अब डिप्टी कमांडेंट के पद पर काम कर रहे हैं। सीआरपीएफ में सहायक कमांडेंट को कमांडेंट के पद तक पहुंचने में लगभग 25 वर्ष लग जाते हैं। पदों की मौजूदा स्थिति बताती है कि सहायक कमांडेंट से डिप्टी कमांडेंट बनने के लिए 14-15 साल लग सकते हैं।
सीआईएसएफ में कमांडेंट को मिला 'एनएफएसजी' ...
सीआईएसएफ में 2003-2004 में बतौर सहायक कमांडेंट, सेवा में आए अधिकारी अब कमांडेंट बन चुके हैं। पांच दिसंबर को जारी एक आदेश में उन्हें गैर कार्यात्मक प्रवर कोटि 'एनएफएसजी' प्रदान किया गया है। इन अधिकारियों के लिए वेतन लेवल 13 (123100-215900 रुपये) को स्वीकृति प्रदान की गई है। जिन्हें यह वेतनमान मिला है, उनमें कमांडेंट सुनील कुमार सिंह, अमरेंदू माना, रविश कुमार सिंह, रवि कुमार शर्मा, बिधान, राजीव, विकास कुमार, सेन्थिल राजन, शक्तिपाल शेखावत, विवेक आर्य, विशाल शर्मा, दीपक मणी तिवारी, कुमार अभिषेक, अमित कुमार, कुंदन कुमार, अक्षत पटेल, अंसारी मजनुद्दीन, राकेश चौधरी, हरिश कुमार, राज प्रताप, चंचल सरकार और अन्य को गैर कार्यात्मक प्रवर कोटि 'एनएफएसजी' प्रदान किया गया है।सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल, सीआरपीएफ में कैडर अधिकारियों की पदोन्नति का केस सर्वोच्च अदालत में विचाराधीन है।
सीआरपीएफ और बीएसएफ में पदोन्नति के लिए इंतजार ...
सीआरपीएफ में 2003-2005 के बीच सीधी भर्ती के जरिए बतौर 'सहायक कमांडेंट' सेवा में आने वाले अधिकारी अभी तक टूआईसी यानी 'सेकंड इन कमांड' तक पहुंचे हैं। कुछ अफसर डिप्टी कमांडेंट के पद तक ही पहुंच सके हैं। 2008 तक के अधिकारी (38वें बैच से लेकर 42वें बैच तक) अभी तक डिप्टी कमांडेंट हैं। इसके बाद के सभी अधिकारी सहायक कमांडेंट के पद पर काम कर रहे हैं। सीमा सुरक्षा बल 'बीएसएफ' में भी कुछ यही हाल है। पदोन्नति को लेकर इस बल में भी कैडर अधिकारियों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। एसएसबी में 2003 बैच के सहायक कमांडेंट, अब कमांडेंट बन चुके हैं। 2004-2006 के दौरान एसएसबी में आए अधिकारी टूआईसी बने हैं। 2007 से लेकर 2010 के बीच सेवा में आए सहायक कमांडेंट, अब डिप्टी कमांडेंट के पद पर काम कर रहे हैं।
सीआईएसएफ में 40/41 बैच को मिला 'एनएफएसजी' ...
आईटीबीपी में 2003-2004 के दौरान सेवा में आए अधिकारी अभी टूआईसी तक पहुंचे हैं। 2005-2010 के बीच वाले सहायक कमांडेंट, अब डिप्टी कमांडेंट बन चुके हैं। इसके बाद सेवा में आए अधिकारी, सहायक कमांडेंट ही हैं। यहां पर सीआईएसएफ की बात करें तो 2003-2004 में बतौर सहायक कमांडेंट, सेवा में आए अधिकारी अब कमांडेंट बन चुके हैं। 2006-2007 व 2008 वाले अधिकारी टूआईसी बन गए हैं। 2009 और 2010 के दौरान सेवा में आए अधिकारी अब डिप्टी कमांडेंट बन चुके हैं। सीआईएसएफ में 2008 बैच वाले अधिकारी अब 'पे-बैंड 4' सीनियर कमांडेंट का वेतन पा गए हैं। दूसरी ओर सीआरपीएफ और बीएसएफ में 2008 बैच वाले अभी तक डिप्टी कमांडेंट हैं। सीआईएसएफ में 40/41 बैच के अधिकारियों को गैर कार्यात्मक प्रवर कोटि 'एनएफएसजी' मिल गया है। 'पे-बैंड 4' में कमांडेंट की सेलरी मिल रही है। साथ ही एक रैंक या दो रैंक का फायदा हो जाता है। सेलरी में लगभग 50 हजार रुपये प्रति माह का इजाफा होता है।