देश की सबसे बड़ी 'बॉर्डर गार्ड फोर्स' (बीएसएफ) को 156 दिन में भी स्थायी डीजी नहीं मिल सका है। पहली जनवरी से बीएसएफ महानिदेशक पद की अतिरिक्त जिम्मेदारी, सीआरपीएफ डीजी डॉ. एसएल थाउसेन संभाल रहे हैं। सीमा सुरक्षा बल के इतिहास में यह दूसरा मौका है, जब स्थायी डीजी का पद 150 दिन से भी ज्यादा समय तक खाली रहा है। इससे पहले 2020 में भी 158 दिन तक बीएसएफ को नियमित डीजी का इंतजार करना पड़ा था। उस वक्त आईटीबीपी डीजी एसएस देशवाल को बीएसएफ डीजी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था। केंद्र में दर्जनभर आईपीएस मौजूद हैं, लेकिन सरकार किसी पर भरोसा नहीं जता रही। इसके अलावा कैडर अफसर हैं, मगर उन्हें बल महानिदेशक का अतिरिक्त कार्यप्रभार भी नहीं दिया जा रहा।
दूसरी ओर, सीआरपीएफ में आईजी राजीव सिंह 'आईपीएस' को मणिपुर का डीजीपी बना दिया गया। इससे पहले केंद्र सरकार ने तीन वर्ष के लिए राजीव सिंह को उनके मूल कैडर त्रिपुरा से मणिपुर में शिफ्ट कर दिया था। बीएसएफ के पूर्व अफसरों का कहना है कि नियमित डीजी न होने का असर बल की लॉंग टर्म पॉलिसी पर पड़ता है। ऑपरेशनल जरुरतों पर गहराई से काम नहीं हो पाता है।
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लंबे समय तक अतिरिक्त कार्यभार में न रहे पद
बीएसएफ के पूर्व एडीजी एसके सूद कहते हैं, पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगते बॉर्डर पर तैनात 'सीमा सुरक्षा बल' को नियमित डीजी मिलना चाहिए। डीजी की नियमित नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार संजीदा क्यों नहीं है। केंद्र सरकार की मनोनयन 'एंपेनल्ड' सूची में दर्जनभर से ज्यादा आईपीएस अधिकारी मौजूद हैं, मगर सरकार को उनमें से कोई भी ठीक नहीं लग रहा। बीएसएफ के इतिहास में दो बार ही ऐसा हुआ है, जब फोर्स को पांच महीने बाद भी नियमित डीजी नहीं मिल सका। केंद्र सरकार, कैडर अधिकारी को महानिदेशक का अस्थायी कार्यभार भी नहीं देना चाहती। दो चार कैडर अधिकारी अगर एडीजी तक पहुंचते भी हैं, तो कुछ ही माह में उनका रिटायरमेंट आ जाता है। बीएसएफ की ऑपरेशनल जरूरतों के मद्देनजर और लंबे समय के लिए बनाई जाने वाली नीतियों को देखते हुए डीजी का पद लंबे समय तक अतिरिक्त कार्यभार में नहीं रहना चाहिए। बल की कार्मिक शाखा बहुत अहम होती है। बल छोड़ने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। हवलदार बनने में ही बीस वर्ष से ज्यादा समय लग रहा है। बल में इंस्पेक्टर, एसी, डीसी, टूआईसी, कमांडेंट और डीआईजी स्तर पर भी पदोन्नति की रफ्तार बहुत धीमी है। फोर्स को कौन से आर्मरी व्हीकल चाहिएं, ऑपरेशन का लक्ष्य और नए उपकरणों की खरीद, ऐसे मामलों में स्थायी डीजी, बेहतर तरीके से निर्णय ले सकते हैं।
केंद्र की मनोनयन सूची में हैं दर्जनों आईपीएस
केंद्र सरकार में डीजी या इसके समकक्ष पद ग्रहण करने योग्य आईपीएस अधिकारियों की मनोनयन 'एंपेनल्ड' सूची को कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने गत दस फरवरी को मंजूरी प्रदान की थी। इसमें 1988 बैच से लेकर 1990 बैच तक के 20 आईपीएस का नाम शामिल था। इससे पहले 11 जुलाई 2022 को भी 1989 बैच के 14 आईपीएस अधिकारियों को उक्त सूची में शामिल किए जाने को मंजूरी दी गई थी। इसके बावजूद केंद्र सरकार में बीएसएफ डीजी के लिए कोई उपयुक्त आईपीएस अधिकारी नहीं मिल रहा।
बल के गठन के बाद दूसरी बार ऐसा हो रहा है कि इतनी लंबी अवधि तक बीएसएफ को स्थायी डीजी नहीं मिल सका। 31 दिसंबर 2022 को पंकज कुमार सिंह रिटायर हुए थे, तभी से सीआरपीएफ डीजी डॉ. एसएल थाउसेन, इस पद का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे हैं। पिछले दिनों बीएसएफ के पूर्व डीजी प्रकाश सिंह ने बीएसएफ में स्थायी डीजी न होने को लेकर नाराजगी जताई थी। उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा था कि बीएसएफ में कई माह से कोई नियमित डीजी नहीं है। यह बहुत निराशाजनक है और बल की प्रशासनिक दक्षता के लिए ठीक नहीं है। फोर्स के मनोबल के लिए यह बुरा है।
काबिल अफसरों का टूट रहा मनोबल
इस पद के लिए योग्य अधिकारियों का कहना है, बीएसएफ डीजी जैसे अहम पद को लंबे समय तक खाली रखना ठीक नहीं है। इससे उन अफसरों का मनोबल टूट जाता है जो इस पद के काबिल हैं। सरकार, उन्हें जिम्मेदारी देने से क्यों बच रही है। इससे पहले भी एक ही आईपीएस को चार-पांच बलों का कार्यभार दिया जाता रहा है। सरकार का यह कदम, समकक्ष अफसरों की मानसिक पीड़ा को बढ़ाता है। साल 2018 में एसएस देसवाल को आईटीबीपी का डीजी बनाया गया। उनके पास एसएसबी का अतिरिक्त प्रभार भी रहा। उन्हें सीआरपीएफ डीजी का भी अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। इसके बाद बीएसएफ के डीजी का पद भी उन्हें मिल गया। कुछ समय बाद राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के डीजी के रूप में भी उन्हें तैनात कर दिया गया। केंद्र में डीजी या उसके समकक्ष आईपीएस अधिकारी होने के बाद एक ही डीजी को इतने बलों का प्रमुख बना दिया जाता है। जब यह बात पहले से ही मालूम होती है कि कौन सा अधिकारी कब रिटायर होगा, तो सरकार के पास नए अधिकारी के चयन के लिए पर्याप्त समय रहता है।
रिटायरमेंट के अगले ही दिन नए डीजी के आने का चलन
केएफ रुस्तमजी ने 21 जुलाई 1965 को बीएसएफ के पहले महानिदेशक का कार्यभार संभाला था। वे 30 सितंबर 1974 तक बल प्रमुख रहे। उनके बाद अश्वनी कुमार ने एक अक्तूबर 1974 को डीजी का पदभार ग्रहण किया। वे 31 दिसंबर 1978 तक रहे। श्रवण टंडन ने 1 जनवरी 1979 को बीएसएफ की कमान संभाली और 30 नवंबर 1980 तक बने रहे। उनके बाद के. राममूर्ति ने एक दिसंबर 1980 को डीजी का पदभार ग्रहण किया। वे 31 अगस्त 1982 तक इस पद पर रहे। बीरबल नाथ ने 2 अक्तूबर 1982 से 30 सितंबर 1984 तक डीजी का पद संभाला। एमसी मिश्रा, एक अक्तूबर 1984 से लेकर 31 जुलाई 1987 तक डीजी के पद पर बने रहे। एचपी भटनागर ने एक अगस्त 1987 को डीजी की कमान संभाली और 31 जुलाई 1991 तक इस पद बने रहे। टी. अनंथाचारी ने एक अगस्त 1991 को बीएसएफ डीजी का कार्यभार संभाला। वे 31 मई 1993 तक इस पद पर रहे।

प्रकाश सिंह ने संभाली थी बीएसएफ डीजी की कमान
प्रकाश सिंह ने 9 जून 1993 को डीजी की कमान संभाली और वे 31 जनवरी 1994 तक बने रहे। उनके बाद डीके आर्य को एक फरवरी 1994 को बल प्रमुख बनाया गया। उन्होंने 4 दिसंबर 1995 तक इस अपनी सेवाएं दी। अरुण भगत को चार दिसंबर 1995 को बल का कार्यभार सौंपा गया। वे एक अक्तूबर 1996 तक इस पद पर बने रहे। एके टंडन को एक अक्तूबर 1996 को बल प्रमुख बनाया गया। उन्होंने 4 दिसंबर 1997 तक अपनी सेवाएं दी। उनके बाद ईएन राममोहन ने 4 दिसंबर 1997 को बल की कमान संभाली और वे 30 नवंबर 2000 तक इस पद पर बने रहे। गुरबचन सिंह जगत को 30 नवंबर 2000 को बल की कमान सौंपी गई। वे 30 जून 2002 तक डीजी बने रहे। अजय राज शर्मा ने एक जुलाई 2002 को डीजी पद संभाला और 31 दिसंबर 2004 तक इस पद पर बने रहे। आरएस मूशाहरे ने दस जनवरी 2005 को बल की कमान संभाली और 27 फरवरी 2006 तक बने रहे। एके मित्रा को 27 फरवरी 2006 को बल की कमान सौंपी गई। उन्होंने 30 सितंबर 2008 तक इस पद पर कार्य किया। एमएल कौमावत ने 1 अक्तूबर 2008 से लेकर 31 जुलाई 2009 तक इस पद पर कार्य किया। रमन श्रीवास्तव ने एक अगस्त 2009 को बल प्रमुख का कार्यभार संभाला। वे 31 अक्तूबर 2011 तक इस पद पर बने रहे।
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2020 और 2023 में नए डीजी की नियुक्ति में हुई देरी
एक नवंबर 2011 से लेकर 30 नवंबर 2012 तक यूके बंसल ने बल की कमान संभाली। सुभाष जोशी ने 19 दिसंबर 2012 से 28 फरवरी 2014 तक बल का नेतृत्व किया। डीके पाठक को 8 अप्रैल 2014 को बल प्रमुख बनाया गया। वे 29 फरवरी 2016 को सेवानिवृत्त हुए। उनके बाद केके शर्मा ने एक मार्च 2016 को डीजी का पदभार ग्रहण किया। वे 30 सितंबर 2018 तक इस पद पर बने रहे। रजनीकांत मिश्रा ने 1 अक्तूबर 2018 को बल प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली। वे 31 अगस्त 2019 तक इस पद पर बने रहे। वीके जौहरी ने एक सितंबर 2019 से लेकर 11 मार्च 2020 तक डीजी का पदभार संभाला। उसके बाद लंबे समय तक बल को स्थायी डीजी नहीं मिल सका। आईटीबीपी डीजी एसएस देसवाल को 12 मार्च 2020 से लेकर 17 अगस्त 2020 तक बीएसएफ डीजी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। 18 अगस्त 2020 से लेकर 28 जुलाई 2021 तक राकेश अस्थाना को डीजी बनाया गया। 31 अगस्त 2021 से लेकर 31 दिसंबर 2022 तक पंकज कुमार सिंह ने बल प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली।