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Bombay HC deny petition of company saying no basis for not paying compensation after death of the husband
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Bombay HC: बीमा कंपनी को फटकार, जज बोले- महिला की दूसरी शादी पहले पति की मौत का हर्जाना न देने का आधार नहीं
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: जलज मिश्रा
Updated Sat, 01 Apr 2023 02:14 PM IST
सार
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इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। एमएसटी का आदेश था कि 2010 में सड़क हादसे में हुई पहले पति की मौत का मुआवजा पत्नी को दिया जाए।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शनिवार को बीमा कंपनी की एक याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि विधवा की दोबारा शादी होने के कारण सड़क हादसे में हुई पहले पति की मौत का हर्जाना देने से इनकार नहीं किया जा सकता। जस्टिस एसजी दिगे की बेंच ने 3 मार्च को बीमा कंपनी की अपील पर फैसला सुनाया।
यह है पूरा मामला
इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। एमएसटी का आदेश था कि 2010 में सड़क हादसे में हुई पहले पति की मौत का मुआवजा पत्नी को दिया जाए। जबकि, कंपनी के वकील का कहना था कि मृतक गणेश की पत्नी ने दूसरी शादी की थी, इसलिए वह मुआवजा पाने की हकदार नहीं है। जिसपर अदालत ने कहा कि यह उम्मीद करना गलत है कि कोई महिला सिर्फ मुआवजा पाने के लिए जीवन भर या जब तक मुआवजा न मिले तबतक विधवा रहे।
हाइवे पर ऑटो ने बाइक को मार दी थी टक्कर
अदालत ने कहा कि पति की मृत्यु के समय महिला 19 साल की थी। महिला की उम्र और उसके पति की सड़क हादसे में मौत हुई, ये मुआवजा देने के लिए पर्याप्त है। पति की मौत के बाद मुआवजा पाने के लिए दूसरी शादी न करना किसी के लिए वर्जित नहीं हो सकता। मई 2010 में महिला का पति गणेश बाइक की पिछली सीट पर बैठकर मुंबई-पुणे हाइवे पर कामशेट की ओर जा रहा था। तभी एक ऑटोरिक्शा ने बाइक को मार दिया, जिससे गणेश की मौत हो गई। मामले में जस्टिस डिगे ने अपील खारिज करते हुए कहा, कि मामले में मुझे अपीलकर्ता के वकील के तर्कों में योग्यता नहीं दिखती।
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