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Bihar Politics: कुशवाहा के पालाबदल के बाद तेज होगा आया राम-गया राम का खेल, गठबंधन रास नहीं आ रहा
हिमांशु मिश्र, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Mon, 06 Feb 2023 06:22 AM IST
सार
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जदयू नेता और पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी कार्यकर्ताओं को एक खुला पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने अपने समर्थकों से 19-20 फरवरी को पटना में दो दिवसीय बैठक में शामिल होने का आह्वान किया है।
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू को घेरने के लिए भाजपा ने बड़ी रणनीति तैयार की है। पार्टी की रणनीति जदयू के वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा को इसी महीने साधने के बाद पार्टी उन नेताओं को साधेगी जो या तो अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त नहीं हैं, या जिन्हें जदयू-राजद का गठबंधन रास नहीं आ रहा।
इसी क्रम में जदयू के तीन सांसदों के भाजपा के संपर्क में होने की चर्चा है। दरअसल नीतीश के भाजपा से पल्ला झाड़ने और महागठबंधन में शामिल होने के बाद जदयू के कुछ सांसद और नेता कई कारणों से असहज महसूस कर रहे हैं। महागठबंधन में कई दलों के शामिल होने से कुछ सांसदों को अपनी सीट गंवाने का भय सता रहा है। फिर नीतीश का अगला चुनाव उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की अगुवाई में लड़ने की घोषणा से भी कई नेता असहज हैं।
कुशवाहा ने लिखा खुला पत्र कार्यकर्ताओं को पटना बुलाया
जदयू नेता और पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी कार्यकर्ताओं को एक खुला पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने अपने समर्थकों से 19-20 फरवरी को पटना में दो दिवसीय बैठक में शामिल होने का आह्वान किया है। कुशवाहा ने दावा किया कि आंतरिक कारणों से पार्टी दिनोंदिन कमजोर होती जा रही है। उन्होंने कहा, मैं जदयू को बचाना चाहता हूं। पार्टी कार्यकर्ताओं को खुले पत्र के पीछे यही मंशा है। अभी भी बीच में 15 दिन बाकी हैं। मुझे उम्मीद है कि पार्टी में सद्बुद्धि आएगी।
मजबूत प्रभाव नहीं छोड़ पाया गठबंधन
जदयू के राजग से नाता तोड़ने के बाद जातीय समीकरण के हिसाब से मजबूत बताया जा रहा गठबंधन अब तक अपना मजबूत प्रभाव नहीं छोड़ पाया है। तीन सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव में दो सीटें भाजपा के हाथ लगीं। इसके अलावा इन चुनावों में भाजपा को अति पिछड़ी जातियों का समर्थन भी मिला। फिर विपक्ष को अपने नेतृत्व में एकजुट करने के मामले में भी नीतीश के हाथ कुछ नहीं आया। इसी बीच नीतीश का भविष्य में गठबंधन की अगुवाई तेजस्वी के द्वारा करने की घोषणा ने भी पार्टी के एक धड़े को असहज किया।
अंदरखाने बढ़ रही तकरार
भाजपा से नाता तोड़ने के बाद नीतीश की योजना जदयू-राजद का विलय कराने की थी। नीतीश जनता दल परिवार को भी एकजुट करना चाहते थे। पार्टी में बगावत की स्थिति पैदा होने की आशंका से राजद-जदयू का विलय नहीं हो पाया। इसके अलावा नीतीश जनता परिवार को भी एकजुट नहीं कर सके। अब राजद का एक खेमा चाहता है कि वादे के अनुरूप नीतीश लोकसभा चुनाव से पहले सरकार की कमान तेजस्वी को दें।
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