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Bihar, Jharkhand, UP emerge as poorest states in India: Niti Aayog
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नीति आयोग की रिपोर्ट: बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश देश के सबसे गरीब राज्य, इन प्रदेशों में सबसे कम गरीबी
पीटीआई, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Fri, 26 Nov 2021 04:52 PM IST
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि महत्वपूर्ण रूप से यह सूचकांक परिवारों द्वारा सामना किए जाने वाले कई अभावों को दर्ज करता है।
गरीबी सूचकांक में ये राज्य आगे
- फोटो : pixabay
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नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) के अनुसार, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश भारत के सबसे गरीब राज्यों के रूप में उभरे हैं। सूचकांक के अनुसार, बिहार की 51.91 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है, इसके बाद झारखंड में 42.16 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 37.79 प्रतिशत लोग गरीब हैं। सूचकांक में मध्य प्रदेश (36.65 प्रतिशत) को चौथे स्थान पर रखा गया है, जबकि मेघालय (32.67 प्रतिशत) पांचवें स्थान पर है।
इन राज्यों में सबसे कम गरीबी
केरल (0.71 प्रतिशत), गोवा (3.76 प्रतिशत), सिक्किम (3.82 प्रतिशत), तमिलनाडु (4.89 प्रतिशत) और पंजाब (5.59 प्रतिशत) सूचकांक के साथ पूरे भारत में सबसे कम गरीबी दर्ज की है। ये राज्य सूचकांक में सबसे नीचे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत का राष्ट्रीय एमपीआई का मानक, ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव (ओपीएचआई) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा विकसित विश्व स्तर पर स्वीकृत और मजबूत कार्यप्रणाली का उपयोग करता है।
केंद्रशासित प्रदेशों में पुडुचेरी में सबसे कम गरीब
जबकि केंद्र शासित प्रदेशों दादरा और नगर हवेली (27.36 प्रतिशत), जम्मू और कश्मीर व लद्दाख (12.58), दमन और दीव (6.82 प्रतिशत) और चंडीगढ़ (5.97 प्रतिशत) सबसे गरीब केंद्र शासित प्रदेश के रूप में उभरे हैं। पुडुचेरी में 1.72 प्रतिशत आबादी ही गरीब है, जबकि लक्षद्वीप में 1.82 प्रतिशत, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 4.30 प्रतिशत और दिल्ली में 4.79 प्रतिशत गरीब हैं।
भारत के एमपीआई में तीन आयाम
रिपोर्ट में कहा गया है कि महत्वपूर्ण रूप से यह सूचकांक परिवारों द्वारा सामना किए जाने वाले कई अभावों को दर्ज करता है। इसमें कहा गया है कि भारत के एमपीआई में तीन समान आयाम हैं- स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर। ये पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, प्रसवपूर्व देखभाल, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते जैसे 12 संकेतकों द्वारा दर्शाए जाते हैं।
2015 में 193 देशों द्वारा अपनाए गए सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) ढांचे ने दुनिया भर में विकास की प्रगति को मापने के लिए विकास नीतियों, सरकारी प्राथमिकताओं और मैट्रिक्स को फिर से परिभाषित किया है। 17 वैश्विक लक्ष्यों और 169 लक्ष्यों के साथ एसडीजी ढांचा अपने पूर्ववर्ती मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स (एमडीजी) की तुलना में काफी व्यापक है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने अपने प्रस्ताव में कहा कि भारत के राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक का विकसित होना एक सार्वजनिक नीति उपकरण स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है जो बहुआयामी गरीबी की निगरानी करता है, साक्ष्य-आधारित और केंद्रित हस्तक्षेपों के बारे में सूचित करता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी पीछे रह गया है।
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