प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री को लेकर दुनियाभर में हंगामा मचा हुआ है। भारत से लेकर लंदन तक बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री का विरोध हो रहा है। कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो भारत सरकार की ओर से डॉक्यूमेंट्री पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ खड़े हो गए हैं। खासतौर पर विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बना लिया है।
वामदलों के छात्र संगठनों ने जेएनयू और जामिया में इस प्रतिबंधित डॉक्यमेंट्री के स्क्रीनिंग को लेकर बवाल किया। विपक्षी दलों का कहना है कि इस डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाकर सरकार अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन कर रही है। वहीं, केंद्र सरकार ने इसे देश के खिलाफ एक प्रोपेगेंडा बताया। भाजपा नेताओं का कहना है कि इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जी-20 सम्मेलन की अध्यक्षता मिली है। यही कारण है कि जानबूझकर इस तरह की भ्रामक और झूठी डॉक्यूमेंट्री को जारी किया जा रहा है।
खैर, ऐसा नहीं है कि पहली बार इस तरह की किसी फिल्म को देश में प्रतिबंधित किया गया है। इसके पहले भी भारत में 43 फिल्मों पर प्रतिबंध लग चुका है। हालांकि, बाद में इनमें से कुछ को बहाल भी किया गया, लेकिन कुछ पर अभी भी प्रतिबंध जारी है। सबसे ज्यादा प्रतिबंध तो कांग्रेस की सत्ता में रहने के दौरान ही लगाया गया। आइए जानते हैं उन फिल्मों के बारे में जिन्हें भारत सरकार का प्रतिबंध झेलना पड़ा था।
ये हैं भारत में प्रतिबंध झेलने वाली फिल्में
आंकड़े बताते हैं कि भारत में कुल 43 फिल्मों को अब तक प्रतिबंध झेलना पड़ा है। हालांकि, इनमें से कई ऐसी फिल्में थीं, जिन्हें बाद में हरी झंडी भी दे दी गई थी। जिन फिल्मों पर प्रतिबंध लगाया गया था, उनमें 1955 में समर टाइम, 1959 में नील अक्षर नीचे, 1963 में गोकुल शंकर, 1973 में गरम हवा, 1975 में आंधी, 1977 में किस्सा कुर्सी का, 1971 में सिक्किम, 1979 में खाक और खून, 1984 में इंडियाना जोन्स एंड द टेंपल ऑफ डूम, 1987 में पति परमेश्वर, 1993 में कुत्रपथिरिकै, 1994 में बैंडिट क्वीन, 1996 में काम सूत्र : अ टेल ऑफ लव, 1996 में फायर, 2001 में पंच, 2003 में हवाएं, 2004 में द पिंक मिरर, फाइनल सॉल्युशन और हवा आने दे, 2005 में ब्लैक फ्राइडे, अमु, वॉटर, 2009 में हैद अनहद, 2011 में द गर्ल विद ड्रैगन टैटू, चत्रक, 2013 में पापिलो बुद्धा, 2014 में गुर्जर आंदोलन अ फाइट फॉर राइट, 2014 में नो फायर जोन, कौम द हीरे, 2015 में फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे, मैं हूं रजनीकांत, अनफ्रिडम, इंडियाज डॉटर, पत्ता पत्ता दा सिंघन दा वैरी, पोर्कलाथिल ओरु पू, द मास्टरमाइंड जिंदा सुक्खा, द पेंटेड हाउस, मुत्त्रुपुलिया, 2016 में मोहल्ला अस्सी, धरम युद्ध मोर्चा, 2017 में नीलम और तूफान फिल्मों को प्रतिबंध झेलना पड़ चुका है। इनमें कई फिल्मों में उग्रवादी और आतंकवादियों का महिमामंडन किया गया था। कुछ फिल्मों को नग्नता और कंटेंट की वजह से रोक झेलना पड़ा।