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BBC documentary BRS students group members detained for planning to screen Osmania university
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BBC documentary: हिरासत में लिए गए BRS की छात्र शाखा के सदस्य, डॉक्यूमेंट्री को दिखाने की बना रहे थे योजना
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हैदराबाद
Published by: निर्मल कांत
Updated Thu, 02 Feb 2023 07:38 PM IST
सार
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लिस ने गुरुवार को जानकारी दी कि छात्र संगठन के छह सदस्य एक दिन पहले परिसर के आर्ट्स कॉलेज के सामने एकत्र हुए और बिना अनुमति के डॉक्यूमेंट्री के स्क्रीनिंग करने की योजना बना रहे थे। उन्हें हिरासत में लिया गया, लेकिन बाद में छोड़ दिया गया।
सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की छात्र शाखा के सदस्यों को हिरासत में लिया गया है। उन पर उस्मानिया विश्वविद्यालय परिसर के अंदर 2002 के गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाने की योजना बनाने का आरोप है।
पुलिस ने गुरुवार को जानकारी दी कि छात्र संगठन के छह सदस्य एक दिन पहले परिसर के आर्ट्स कॉलेज के सामने एकत्र हुए और बिना अनुमति के डॉक्यूमेंट्री के स्क्रीनिंग करने की योजना बनाने लगे। उन्हें हिरासत में लिया गया, लेकिन बाद में छोड़ दिया गया।
उन्होंने कहा, 'उन्होंने (छात्रों ने) डॉक्यूमेंट्री नहीं दिखाई। वे (ऐसा करने की) योजना बना रहे थे... चूंकि उनके पास (डॉक्यूमेंट्री दिखाने की) अनुमति नहीं थी, इसलिए उन्हें तुरंत एहतियातन हिरासत में ले लिया गया। केंद्र ने हाल ही में यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' डॉक्यूमेंट्री तक पहुंच को रोक दिया था।
स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने 26 जनवरी को यहां हैदराबाद विश्वविद्यालय (यूओएच) में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का आयोजन किया था, जबकि आरएसएस की छात्र शाखा एबीवीपी ने परिसर में विवादास्पद फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' का प्रदर्शन किया था।
इससे पहले छात्रों के समूह फ्रेटरनिटी मूवमेंट ने हैदराबाद विश्वविद्यालय के परिसर में 21 जनवरी को बिना किसी पूर्व सूचना या अनुमति के बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का आयोजन किया था, जिसके बाद विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने आवश्यक कार्रवाई करने के लिए घटना पर एक रिपोर्ट मांगी थी।
विदेश मंत्रालय (एमईए) ने डॉक्यूमेंट्री को दुष्प्रचार का एक हिस्सा बताते हुए खारिज कर दिया था। मंत्रालय ने कहा था कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है और यह औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है। दो भागों वाली डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया है कि इसमें 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कुछ पहलुओं की जांच की गई है, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे।
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