बालासोर ट्रेन हादसे के बाद 65 साल पुराने जिस बहनगा उच्च विद्यालय में शवों को रखा गया था, वहां अब विद्यार्थी अपनी कक्षाओं में वापस आने से डर रहे हैं। वहीं, स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) ने राज्य सरकार से इमारत को गिराने की गुहार लगाई है, क्योंकि यह बहुत पुरानी है।
एसएमसी के एक सदस्य ने जिलाधिकारी को बताया कि स्कूल की इमारत में पड़े शवों को टेलीविजन चैनलों पर देखने के बाद बच्चे सदमे में हैं और 16 जून को फिर से स्कूल खुलने पर वे आने से कतरा रहे हैं। हालांकि, शवों को भुवनेश्वर ले जाया गया है और स्कूल परिसर को साफ कर दिया गया है, लेकिन छात्र और अभिभावक डरे हुए हैं।
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका प्रमिला स्वैन ने कहा, छात्र डरे हुए हैं। स्कूल ने धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने और कुछ अनुष्ठान करने की योजना बनाई है। स्कूल के कुछ वरिष्ठ छात्र और एनसीसी कैडेट भी बचाव कार्य में शामिल हुए थे।
जीर्णोद्धार करना चाहते हैं
बालासोर के जिलाधिकारी दत्तात्रेय भाउसाहेब शिंदे ने कहा, मैंने स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों, प्रधानाध्यापिका और स्थानीय लोगों से मुलाकात की है। वे पुरानी इमारत को तोड़कर उसका जीर्णोद्धार करना चाहते हैं, ताकि बच्चों को कक्षाओं में जाने में कोई डर या आशंका न हो।
बिहार के 50 यात्रियों की मौत, 19 लापता
बालासोर हादसे में बिहार के 50 यात्रियों की मौत हो गई और 19 लोग अब भी लापता हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, हादसे में बिहार के 43 लोग घायल भी हुए हैं। मृतकों में मधुबनी, भागलपुर समेत कुल 17 जिलों के यात्री शामिल हैं।
ने एक बयान में बताया, कोरोमंडल एक्सप्रेस में यात्रा करने वाले बिहार के लापता यात्रियों में चार मधुबनी जिले के दो दरभंगा, दो मुजफ्फरपुर, दो पूर्वी चंपारण, दो समस्तीपुर, एक सीतामढ़ी, एक पटना, एक पूर्णिया, एक शेखपुरा, एक सिवान और एक बेगूसराय से हैं। इस हादसे में बिहार के 43 लोग घायल भी हुए हैं। मृतकों में मधुबनी, भागलपुर समेत कुल 17 जिलों के यात्री शामिल हैं। शवों की पहचान के लिए बुधवार को बिहार के 12 लोगों के डीएनए सैंपल लिए गए।
हादसे में घायल हुआ था किशोर, टीवी पर सजीव प्रसारण ने माता-पिता से मिलाया
ट्रेन हादसे में अपनों को खोने वालों में से कई लोग अभी भी लापता हैं। इस बीच टीवी पर लाइव प्रसारण ने नेपाली दंपती को उनके नाबालिग बेटे को खोजने में मदद की। दरअसल, उनका 15 वर्षीय बेटा ट्रेन हादसे में घायल हो गया था और अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। वहां उसने टेलीविजन पर एक अपने माता-पिता को देखा और फिर उसने प्रशासन को यह सूचना दी।
एक अधिकारी ने बताया कि उस अस्पताल ने बच्चे को उसके माता-पिता से मिलवाया जो हादसे की खबर सुनने के बाद उसकी तलाश में नेपाल से आये थे। रामानंद के पिता हरि पासवान ने कहा, अपने बेटे को पाकर मैं बहुत खुश हूं। वह हमारे तीन रिश्तेदारों के साथ यात्रा कर रहा था। सभी इस हादसे में अपनी जान गंवा बैठे, लेकिन वह चमत्कारिक ढंग से बच गया। बस उसे चोट आई।
एससीबी मेडिकल कॉलेज के आपात अधिकारी डॉ बी एन मोहराणा ने कहा, अस्पताल ने टीवी चैनल के कार्यालय में फोन किया, वीडियो मंगवाया और फिर रामानंद से उसके माता-पिता के बारे में इस वीडियो की पुष्टि करवायी गयी। उसके बाद अस्पताल प्रशासन रामानंद को उसके माता-पिता से मिलवाने में सफल रहा।