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Ayurvedic drug Ayush-64 efficacious well-tolerated and safe for use in Covid patients New Study
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New Study: कोविड रोगियों में आयुर्वेदिक दवा आयुष-64 असरदार, मंत्रालय ने कोरोना संक्रमण प्रबंधन में बेहतर बताया
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: गुलाम अहमद
Updated Fri, 24 Mar 2023 06:24 AM IST
सार
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पुणे स्थित सीसीआरएएस के डॉ. अरविंद चोपड़ा ने बताया कि साल 2020 में कोरोना की पहली लहर के दौरान संक्रमित रोगियों को लेकर यह अध्ययन किया गया जिसमें 140 मरीजों को आयुष 64 दवा के जरिये उपचार किया गया था।
एक अध्ययन में दावा किया गया है कि पॉली-हर्बल आयुर्वेदिक दवा आयुष -64 कोरोना संक्रमण को बढ़ने से रोकने में मदद करती है। गुरुवार को केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने इस अध्ययन के जरिये आयुष 64 को कोरोना संक्रमण प्रबंधन में बेहतर बताया है। प्लस वन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में पता चला है कि इस दवा ने अस्पताल में भर्ती होने वाले रोगियों की संख्या में कमी लाई है और उनके स्वास्थ्य में सुधार किया है।
पुणे स्थित सीएसआईआर के सेंट्रल काउंसिल ऑफ रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज (सीसीआरएएस) के डॉ. अरविंद चोपड़ा ने बताया कि साल 2020 में कोरोना की पहली लहर के दौरान संक्रमित रोगियों को लेकर यह अध्ययन किया गया जिसमें 140 मरीजों को आयुष 64 दवा के जरिये उपचार किया गया था।
मानसिकता को तोड़ा
डॉ. चोपड़ा ने कहा, यह अध्ययन इस मानसिकता को तोड़ता है कि आयुर्वेदिक दवाएं पुरानी चिकित्सा विकारों के लिए शायद प्रभावी नहीं हैं और तीव्र संक्रमण में काम नहीं कर सकती हैं जबकि अध्ययन में देखा गया कि कोई भी रोगी गंभीर स्थिति में नहीं आया।
भारत जैसा नेतृत्व होना जरूरी, 2025 में टीबी मुक्त होगा...
उधर, जनता के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सभी जनप्रतिनिधियों की रहती है। हमारे पास भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा एक क्लोन है जो दुनिया के प्रत्येक देश में होना चाहिए। गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों से लड़ना भारत से सीखना चाहिए और भारत जैसा नेतृत्व पूरी दुनिया में होना चाहिए। यह कहना है स्टॉप टीबी पार्टनरशिप की कार्यकारी निदेशक डॉ. लुसिका डिटियू का।
मोदी सरकार को सराहा
गुरुवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया से मुलाकात के बाद डॉ. लुसिका बोलीं, अगर टीबी संक्रमण का उदाहरण लें जिसे खत्म करने के लिए सभी देशों ने 2030 तक का लक्ष्य तय किया है लेकिन भारत ने इसे पांच साल पहले यानी 2025 तक टीबी खत्म करने का निर्णय लिया। अच्छी बात यह है कि भारत इसमें काफी हद तक कामयाब होता दिखाई भी दे रहा है। डॉ. लुसिका ने कहा, भारत की तरह दूसरे देशों में राजनीतिक प्रतिबद्धता को बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। भारत टीबी पर केंद्रित है और पीएम मोदी की सरकार इस राजनीतिक प्रतिबद्धता को बनाकर रखने में कामयाब हो रही है।
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