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असम-मेघालय करार में पेच: असम के वैष्णवों को समझौता मंजूर नहीं, महासभा ने दी कोर्ट जाने की धमकी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गुवाहाटी Published by: सुरेंद्र जोशी Updated Sat, 29 Jan 2022 12:55 PM IST
सार

महासभा ने आरोप लगाया है कि उसके दो 'सत्र' (वैष्णव मठ) और 20 से ज्यादा 'नामघर' (प्रार्थना भवन) इस समझौते के कारण मेघालय में चले जाएंगे यह उसे मंजूर नहीं है। 

Assam-Meghalaya agreement: Vaishnavites of Assam do not accept the agreement, the Mahasabha threatens to go to court
असम के सीएम सरमा (बाएं) और मेघालय के मुख्यमंत्री संगमा। - फोटो : Social Media

विस्तार

असम-मेघालय सीमा समझौते पर अमल को लेकर अदालती पेच फंस सकता है। असम के वैष्णवों को यह समझौता मंजूर नहीं है। इसलिए असम सत्र महासभा (Asom Sattra Mahasabha) ने इसके खिलाफ कोर्ट जाने की धमकी दी है। इस बीच असम और मेघालय सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने सीमा विवाद पर गुवाहाटी में बैठक की। असम के मंत्री पीयूष हजारिका ने कहा कि हम अपने संबंधित सीएम को रिपोर्ट सौंपेंगे। वे इसे प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को सौंपेंगे। अंतिम निर्णय संसद में ही लिया जाएगा। असम और मेघालय के बीच अंतर-राज्यीय सीमा मुद्दों पर अंतिम निर्णय संसद की ओर से लिया जाएगा, क्योंकि दो राज्यों के भीतर सीमा निर्धारण केंद्र के अधीन है।

 

वहीं, महासभा ने आरोप लगाया है कि उसके दो 'सत्र' (वैष्णव मठ) और 20 से ज्यादा 'नामघर' (प्रार्थना भवन) इस समझौते के कारण मेघालय में चले जाएंगे यह उसे मंजूर नहीं है। असम के वैष्णव मठ-मंदिरों के अग्रणी संगठन असम सत्र महासभा ने असम व मेघालय के बीच सीमा विवाद हल करने को लेकर मंजूर करार पर आपत्ति जताई है। दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच बीते 50 सालों से सीमा विवाद जारी है। इसे लेकर कई बार आंदोलन व झड़प भी हो चुकी है। हाल ही में दोनों राज्यों के  मंत्रिमंडल ने इस करार को मंजूरी दी है। 



बीते सप्ताह असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा व मेघालय के सीएम कॉनराड संगमा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर उन्हें दोनों राज्यों की क्षेत्रीय समितियों की सिफारिशों से अवगत कराया था। इन समितियों ने 12 विवादित सीमा क्षेत्रों में से छह को विभाजित करने का सुझाव दिया है।  समझौते पर अमल दोनों राज्यों के बीच लेन-देन यानी जमीनों की अदला-बदली के रूप में होगा। दोनों सीएम ने शाह से आग्रह किया कि केंद्र सरकार इस बारे में आवश्यक कदम उठाए, ताकि इन सिफारिशों पर अमल किया जा सके। 
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