ओडिशा के बालासोर जिले के बहनागा बाजार स्टेशन पर तीन अलग-अलग पटरियों पर बेंगलुरू-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, कोरोमंडल एक्सप्रेस और मालगाड़ियों में तीन-तरफा दुर्घटना हुई। ओडिशा सरकार के विशेष राहत आयुक्त कार्यालय के अनुसार दोनों ट्रेनों के 17 डिब्बे पटरी से उतर गए थे और गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए थे। जिसमें लगभग 300 यात्रियों की जान चली गई जबकि 900 घायल हो गए। वहीं इन सब के बीच एक नाम बार-बार सामने आ रहा है वह कवच।
कवच को लेकर रेल मंत्रालय के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने शनिवार को सूचित किया ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (टीसीएएस) या कवच, जिसे पिछले साल परीक्षणों के लिए शुरू किया गया था, अगले साल ट्रेनों में स्थापित होने की संभावना है। आगे रेलवे के प्रवक्ता ने कहा कि तकनीक देश भर में शुरू की गई है और इसे कई रेलवे लाइनों में उपयोग के लिए भी मंजूरी दी गई है।
अमिताभ शर्मा ने कहा कि ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (टीसीएएस) या कवच का पिछले साल परीक्षण किया गया था। यह तकनीक ट्रेनों को एक ही ट्रैक पर आने पर स्वचालित रूप से ब्रेक लगाने में सक्षम बनाती है। 2024 तक ट्रेनों में तकनीक स्थापित होने की संभावना है।
क्या है ‘कवच’ ?
भारतीय रेलवे ने चलती ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए बनाई गई स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली को 'कवच' का नाम दिया है। कवच भारतीय उद्योग के सहयोग से अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा एक स्वदेशी रूप से विकसित एटीपी (एंटी ट्रेन प्रोटेक्शन) प्रणाली है। भारतीय रेलवे में ट्रेन संचालन में सुरक्षा के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए दक्षिण मध्य रेलवे ने मार्च 2022 में इसका परीक्षण किया था। यह सम्पूर्ण सुरक्षा स्तर-4 मानकों की एक आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है।
रेल मंत्रालय की मानें तो कवच न केवल लोको पायलट को सिग्नल पासिंग एट डेंजर (एसपीएडी) और ओवर स्पीडिंग से बचने में मदद करेगा बल्कि खराब मौसम जैसे घने कोहरे के दौरान ट्रेन चलाने में भी मदद करेगा। इस प्रकार, कवच ट्रेन संचालन की सुरक्षा और दक्षता को बढ़ाएगा।
यह कैसे काम करता है?
कवच ट्रेनों को खतरे (लाल) पर सिग्नल पार करने और टक्कर रोकने के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए है। यदि चालक गति सीमा के अनुसार ट्रेन को नियंत्रित करने में विफल रहता है तो यह ट्रेन ब्रेकिंग सिस्टम को स्वचालित रूप से सक्रिय करता है। इसके अलावा, यह ऐसे दो इंजनों के बीच टक्कर को रोकता है जिनमें कवच प्रणाली काम कर रही है।
इसकी विशेषता क्या है?
1. खतरे में सिग्नल पार करने से रोकना (एसपीएडी)
2. ड्राइवर मशीन इंटरफेस (डीएमआई) / लोको पायलट ऑपरेशन कम इंडिकेशन पैनल (एलपीओसीआईपी) में सिग्नल की स्थित दिखाने के साथ ट्रेन की आवाजाही का निरंतर अपडेट
3. ओवर स्पीडिंग की रोकथाम के लिए स्वचालित ब्रेक लगाना
4. रेलवे फाटक को पार करते समय स्वचालित रूप से सीटी बजना
5. कवच प्रणाली से लैस दो इंजनों के बीच टकराव को रोकना
6. आपातकालीन स्थितियों के दौरान एसओएस संदेश देना
7. नेटवर्क मॉनिटर सिस्टम के माध्यम से ट्रेन की आवाजाही की केंद्रीकृत लाइव निगरानी
शुरूआती जांच में खुलासा: लूप लाइन पर चली गई थी कोरोमंडल एक्सप्रेस
हादसे की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस बहनगा बाजार स्टेशन से पहले मुख्य के बजाय लूप लाइन पर चली गई थी, जहां उसकी टक्कर पहले से खड़ी मालगाड़ी से हुई। सूत्रों के मुताबिक प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोमंडल एक्सप्रेस के लिए अप मेनलाइन का सिग्नल दिया गया और उतार दिया गया। इससे ट्रेन लूप लाइन में घुस गई। मालगाड़ी से टकराने के बाद उसके कुछ कोच पटरी से उतर गए। इस बीच, बंगलूरू-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस डाउन मेन लाइन से गुजरी और उसके दो कोच पटरी से उतरे कोरोमंडल एक्सप्रेस के कोच से टकराने के बाद पलट गए।
हालांकि, रेलवे के किसी भी अधिकारी ने ट्रेन के लूप लाइन में जाने की बात नहीं कही है। अभी टक्कर का कारण साफ नहीं है, लेकिन सूत्रों की मानें तो सिग्नल फेल होना संभावित कारण हो सकता है।
128 किमी की गति से दौड़ रही थी ट्रेन
कोरोमंडल एक्सप्रेस 128 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही थी, वहीं बंगलूरू-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस 116 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी।
2,500 से अधिक थे यात्री
दोनों ट्रेनों में 2,500 से अधिक यात्री सवार थे। हादसे के बाद भटके 1,500 यात्रियों को विशेष ट्रेनों से उनकी मंजिल तक पहुंचाया जा रहा है। शनिवार को 1,000 यात्रियों को हावड़ा पहुंचाया गया। एक अन्य ट्रेन से 200 यात्री बालासोर से हावड़ा लाए जा रहे हैं। भद्रक से चेन्नई के लिए विशेष ट्रेन में 250 यात्री रवाना हुए। इनमें 133 यात्री चेन्नई, 41 विशाखापट्टनम व बाकी अन्य शहरों में उतरेंगे।
200 एंबुलेंस, वायुसेना के दो हेलिकॉप्टर तैनात
अधिकारियों ने बताया, 1,200 कर्मियों के अलावा 200 एंबुलेंस, 50 बस और 45 मोबाइल स्वास्थ्य यूनिट दुर्घटनास्थल पर काम कर रही हैं। वायुसेना ने गंभीर रूप से घायल यात्रियों को बाहर निकालने के लिए डॉक्टरों की टीम के साथ दो एम-आई हेलिकॉप्टर तैनात किए हैं।
ओडिशा, तमिलनाडु में रहा एक दिन का राजकीय शोक
ओडिशा व तमिलनाडु की राज्य सरकारों ने हादसे के मद्देनजर शनिवार को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया। इस दौरान दोनों राज्यों में कोई भी सरकारी कार्यक्रम, जश्न नहीं मनाया गया।