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Amritpal Singh Punjab: Soft corner on Khalistan will help to return militancy of eighties
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Punjab: अजनाला में हुई हिंसा बड़े खतरे का संकेत, क्या फिर लौट सकता है अस्सी वाला दौर?
Amritpal Singh Punjab: गुरुवार को पंजाब के अजनाला में पुलिस और खालिस्तान समर्थक संगठन 'वारिस पंजाब दे' के लोगों के बीच बड़ी झड़प हो गई। हजारों लोगों ने अमृतसर के अजनाला थाने पर हमला कर दिया। उनके हाथों में बंदूकें और तलवारें थीं...
Punjab: Amritpal Singh Supporters
- फोटो : Agency
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पंजाब में आए दिन खालिस्तान समर्थकों द्वारा कानून तोड़ा जा रहा है। पुलिस पर हमला हो रहा है। बड़े नेताओं को अटैक की धमकी मिल रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय, ऐसी घटनाओं पर नजर रखे हुए है। जानकारों का कहना है कि पंजाब में जो कुछ चल रहा है, वह ठीक नहीं है। 'खालिस्तान' पर आंखें मूंदना, बहुत महंगा पड़ सकता है। पंजाब में लंबे समय तक इंटेलिजेंस से जुड़े रहे एक अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं, खालिस्तान को लेकर सियासतदानों की 'सॉफ्ट' पॉलिसी, राज्य की युवा पीढ़ी को तबाही के रास्ते पर ले जा सकती है।
अमृतसर के अजनाला थाने पर हमला
गुरुवार को पंजाब के अजनाला में पुलिस और खालिस्तान समर्थक संगठन 'वारिस पंजाब दे' के लोगों के बीच बड़ी झड़प हो गई। हजारों लोगों ने अमृतसर के अजनाला थाने पर हमला कर दिया। उनके हाथों में बंदूकें और तलवारें थीं। वे लोग संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह के साथी तूफान सिंह की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे। बाद में पंजाब पुलिस ने आरोपी को रिहा करने का एलान कर दिया। उससे पहले उग्र भीड़ थाने के भीतर घुस आई। इस झड़प में करीब आधा दर्जन पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। दूसरे पक्ष के लोगों को भी चोट लगने की बात कही जा रही है। अमृतपाल के समर्थकों ने खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए।
पूर्व आईपीएस अधिकारी बताते हैं कि शासन प्रशासन की जरा सी ढिलाई, अस्सी के दौर वाली मिलिटेंसी का दौर लौटा सकती है। खालिस्तान को पड़ोसी मुल्क से तो समर्थन मिल ही रहा है, मगर बड़ी बात यह है कि अपने ही देश में उनका अपना कोई तो मददगार है। पिछले कुछ वर्षों से पंजाब में खालिस्तान विंग अपना विस्तार कर रही है। अधिकांश जिलों में इसके सहयोगी संगठन खड़े हो गए हैं। खालिस्तान मूवमेंट को राजनीतिक समर्थन मिल रहा है। पंजाब में पाकिस्तान सीमा से हथियार और नशे की खेप आ रही है। मोहाली स्थित पुलिस के इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर पर रॉकेट लांचर से हमला होता है। उसके बाद भारत-पाकिस्तान सीमा से 40 किलोमीटर दूर सरहाली थाने पर राकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड का हमला होता है। पुलिस की जांच शुरू भी नहीं होती, जब तक खालिस्तान संगठन, हमले की जिम्मेदारी ले लेते हैं। पंजाब में खालिस्तान के पोस्टर बैनर दिखना आम बात हो चली है।
अमृतपाल सिंह पर हाथ नहीं डाल पा रही पंजाब पुलिस
सिख प्रचारक एवं जरनैल सिंह भिंडरांवाले का समर्थक अमृपाल सिंह संधू, खुलेआम खालिस्तान का प्रचार कर रहा है। कनाडा और यूएस से अपनी गतिविधियां चला रहे खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ इंटरपोल द्वारा रेड कॉर्नर नोटिस जारी नहीं हो सका है। पंजाब पुलिस अमृतपाल सिंह पर हाथ डालने का साहस नहीं जुटा पा रही है। खालिस्तान का समर्थन करने वाले सिमरनजीत सिंह मान, पंजाब के संगरूर से लोकसभा सांसद चुने जाते हैं। इसका मतलब, खालिस्तान मूवमेंट केवल हवा में नहीं है। पूर्व आईपीएस अधिकारी के मुताबिक, इस मूवमेंट को पूरी तरह खत्म करने के लिए राजनीतिक दलों को एक मंच पर आना होगा। अगर यहां पर कोई दल ईमानदार नहीं है तो खालिस्तान को बढ़ने से रोकना, बड़ी चुनौती बन जाएगी।
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