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शब्दों में बहुत ताकत होती है। सुर और लय को सिर्फ महसूस किया जा सकता है। यह कहना था प्रख्यात सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान का। वह सोमवार (30 जनवरी) को 15 जनपथ स्थित भीम सभागार में आयोजित अमर उजाला शब्द सम्मान कार्यक्रम के चौथे संस्करण में मौजूद थे। उन्होंने शब्द सम्मान के विजेताओं को भी अलंकृत किया। वहीं, कार्यक्रम में केंद्रीय सामाजिक अधिकारिता मंत्री रामदास आठवले, रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन समेत तमाम शख्सियतों ने भी शिरकत की। बता दें कि अमर उजाला शब्द सम्मान का सर्वोच्च पुरस्कार दिवंगत शेखर जोशी (हिंदी) और प्रतिभा राय (उड़िया) को दिया गया।
हिंदी भाषा में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिवंगत शेखर जोशी को आकाशदीप सम्मान से अलंकृत किया गया। यह पुरस्कार उनके बेटे प्रतुल जोशी ने ग्रहण किया। शेखर जोशी कहते थे, 'एक लेखक को यह पता होना चाहिए कि वह क्या लिख रहा है, क्योंकि लेखन सामाजिक जिम्मेदारी से बंधा हुआ कर्म है।' 10 सितंबर 1932 के दिन अल्मोड़ा के ओलिया गांव में जन्मे शेखर जोशी का नाम हिंदी कहानी की धारा को नया मोड़ देने के लिए जाना जाता है। उन्होंने गरीबी, संघर्ष, कठिन जीवन, यातना, मजदूरों के हालात, निम्न वर्ग के सामाजिक-नैतिक संकट, धर्म और जाति में जड़ी रूढ़ियां उनकी रचनाओं के केंद्रीय विषय हैं। उन्होंने चार अक्तूबर 2022 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।
उड़िया की प्रख्यात कथाकार प्रतिभा राय को भी अमर उजाला शब्द सम्मान के सर्वोच्च पुरस्कार आकाशदीप से अलंकृत किया गया। उन्होंने कहा, 'इस आयोजन ने मुझे अभिभूत कर दिया। मुझे अब तक कई अवॉर्ड्स मिले, लेकिन यह सबसे अच्छा आयोजन है। साहित्य और संगीत का गहरा रिश्ता है। साहित्य में संगीत और संगीत में साहित्य होता है। मैं अब तक 23 उपन्यास लिख चुकी हूं। जब सिर्फ उपन्यास लिखती नहीं हूं। मैं उसे गुनगुनाती हूं, जीती हूं और गाती हूं। मैं गाते-गाते ही उपन्यास लय और छंद के साथ खुद को प्रस्तुत कर लेता है। मैं संगीत सुनते-सुनते ही उपन्यास लिखती हूं।'
हमारा देश बहुभाषी देश है, लेकिन यह हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत होती है। यह बहुभाषिता ही हमारी संस्कृति को समृद्ध करती है। हालांकि, भाषाओं को एक सूत्र से पिरोने के लिए हमें एक-दूसरे को निकट से समझने की जरूरत है। यह तभी संभव होगा, जब हम सभी भाषाओं को अनुवाद के जरिए एक-दूसरे से जोड़ेंगे। हमारी भाषाएं भिन्न हैं, लेकिन हमारी संस्कृति एक है।' 21 जनवरी 1944 के दिन उड़ीसा के जगतसिंह पुरा क्षेत्र के एक गांव में प्रतिभा राय का जन्म हुआ था। वह उड़िया के सर्वाधिक महत्वपूर्ण रचनाकारों में से एक हैं। वह सामाजिक बदलाव के लिए भी जानी जाती हैं। उन्होंने नौ साल की उम्र से लेखन कार्य शुरू कर दिया था। वह ज्ञानपीठ और मूर्तिदेवी पुरस्कारों से अलंकृत हैं। 2007 में उन्हें पद्मश्री और 2022 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
वर्ष की श्रेष्ठ कृति का छाप सम्मान पंकज पांडेय को 'वैधानिक गल्प' के लिए दिया गया। कविता के लिए श्रेष्ठ कृति सम्मान छाप से पूनम वासम को 'मछलियां गाएंगी एक दिन पंडुम गीत' के लिए सम्मानित किया गया। किसी भी लेखक की पहली कृति के लिए थाप सम्मान अणुशक्ति सिंह को 'शर्मिष्ठा' के लिए दिया गया। अनुवाद की परंपरा के लिए भाषाबंधु पुरस्कार आशुतोष गर्ग को द लास्ट गर्ल के लिए मिला। कथेतर श्रेणी में छाप सम्मान सुधीर चंद्र को भूपेन खख्खर... एक अंतरंग संस्मरण के लिए दिया गया। इन कृतियों को चुनने के लिए बनी ज्यूरी में पंकज बिष्ट, लीलाधर जगोड़ी, विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, मैत्रेयी पुष्पा और सूरज प्रकाश शामिल थे।
उस्ताद अमजद अली खान ने सबसे पहले अमर उजाला के 75वें वर्ष में प्रवेश करने पर बधाई दी। उन्होंने कहा, 'मेरे जीवन में मैं शब्दों को समझ नहीं पाया, लेकिन शब्दों में जो ताकत है, उसका मुझे अहसास है। हमारे देश के महान लेखकों, बड़े-बड़े साधु-संतों ने जो कुछ लिखा, उससे बहुत कुछ सीखने को मिला। हालांकि, मेरे पिता कहते थे कि एक जीवन में आप एक ही काम कर सकते हो। आप चाहे स्वर को समझ लो या शब्दों को समझ लो। स्वर को समझने के लिए भी काफी जिंदगी की जरूरत होती है। सुर और लय को सिर्फ महसूस किया जा सकता है। शब्दों की ताकत बहुत ज्यादा होती है।'
उस्ताद अमजद अली खान ने कहा कि दुनिया में शांति बनी रहे। हमारे देश में शांति बनी रहे। हम लोग शांति के प्रति समर्पित हैं। आज रूस-यूक्रेन का युद्ध जिस तरह जारी है, उसे देखकर मुझे हैरानी होती है कि क्या दुनिया में कोई ऐसी ताकत नहीं है कि इसको रोक सके। मुझे बड़ी उम्मीद है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व गुरु हैं। उनसे मेरा निवेदन है कि वह कोशिश करें कि इस लड़ाई को रुकवा दें। साथ ही, कोशिश करें कि किस तरह से इस लड़ाई को रोका जा सकता है।
अमर उजाला के चेयरमैन राजुल माहेश्वरी ने कहा कि कार्यक्रम को अविस्मरणीय बनाने के लिए सभी का आभार जताया। उन्होंने खासतौर पर उस्ताद अमजद अली खान और उड़िया कथाकार प्रतिभा राय को विशेष रूप से धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, 'हम कामना करते हैं कि हम हमेशा कमजोर लोगों की आवाज बनें।'
अमर उजाला के ग्रुप एडवाइजर यशवंत व्यास ने कहा, 'यह एक अद्भुत अवसर है, उन तमाम लोगों के लिए, जो लेखन से जुड़े हुए हैं। हमने शुरू से कोशिश की कि भारतीय भाषाएं एक-दूसरे के पास आएं। इस पुरस्कार के पहले संस्करण में कन्नड़ के गिरीश कर्नाड को सम्मानित किया गया। वहीं, दूसरे संस्करण में बांग्ला के शंख घोष और तीसरे संस्करण में मराठी के बालचंद निवाणे को अलंकृत किया गया। जब भाषाएं एक-दूसरे के साथ संवाद करती हैं, तब लोगों की जिंदगी अलग तरीके से बनती है। उसमें संगीत चीजों को सर्वोच्च स्तर पर ले जाता है। हम अमर उजाला के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, एक अखबार के नाते यह हमारे लिए गौरव की बात है। वहीं, साहित्य की सेवा के हिसाब से भी बहुत बड़ी बात है।' बता दें कि अमर उजाला का पहला अंक 18 अप्रैल 1948 के दिन पाठकों तक पहुंचा था। इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश के आगरा से हुई थी।
अमर उजाला शब्द सम्मान का मकसद साहित्य का, साहित्य के लिए, साहित्य को समर्पित और शब्द साधना अलंकरण है। इस सम्मान की शुरुआत 2018 में की गई थी। इसका उद्देश्य समस्त भारतीय भाषाओं के मनीषियों को सम्मानित करना है।
शब्दों की महान परंपरा के सतत सम्मान और श्रेष्ठतम सृजन को सम्मानित करने के मकसद से अमर उजाला परिवार ने शब्द सम्मान के रूप में छह अलंकरणों की स्थापना करने का निर्णय 2018 में लिया गया था। इसके तहत अमर उजाला की तरफ से हर साल साहित्य में दो सर्वोच्च सम्मान आकाशदीप दिए जाते हैं। इनमें एक हिंदी और एक दूसरी भारतीय भाषा में विशिष्ट रचनात्मक योगदान के लिए पांच-पांच लाख रुपये की राशि के साथ अलंकृत किया जाता है। एक अलंकरण किसी भी लेखक की पहली कृति के लिए दिया जाता है। वहीं, तीन अलंकरण कथा, कविता और गैर-कथा श्रेणियों में दिया जाता है। इनके अलावा एक विशेष अलंकरण भारतीय भाषाओं में पुल बनाने वाली अनुवाद परंपरा के लिए दिया जाता है। इन पुरस्कारों में विजेताओं को एक-एक लाख रुपये की राशि दी जाती है।
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