डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Tue, 10 Jul 2018 10:45 PM IST
देश में एक साथ चुनाव (वन नेशन, वन इलेक्शन) के अंदर कोई तथ्य नहीं है। केंद्र की हलचल पैदा करने वाली सरकार का यह नया शिगूफा है। कांग्रेस पार्टी ने इसी आरोप के साथ प्रधानमंत्री के देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इरादे ठीक नहीं है। उनका यह विचार संविधान के लिए जहर जहर बुझे तीर जैसा है। यह वैधानिक रूप से अनुचित है। लोकतंत्र के विरुद्ध है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने इसे पूरे देश को बरगलाने वाला कदम बताया। उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ कभी भी अविश्वास प्रस्ताव लाने का विकल्प है। इस अविश्वास प्रस्ताव को सरकार के गठन होने के बाद कभी भी लाया जा सकता है और चुनी सरकार को सत्ता से बेदखल किया जा सकता है? यह लोकतंत्र की खूबी है। क्या सरकार इस तरह की व्यवस्था के पक्ष में नहीं है?
इसी तरह से लंबे समय इस देश के राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना कहां तक उचित है? इस देश में 15 साल तक एक साथ चुनाव हुए, लेकिन उसके बाद राज्य सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। वहां वैधानिक परंपरा के अनुरुप जल्द ही चुनाव कराए गए। चुनी सरकार को पांच साल का कार्य करने का समय मिला। हमारे संविधान निर्माताओं ने भी संभवत: इन स्थितियों को भांपकर ही एक साथ चुनाव के बारे में नहीं सोचा। ऐसे में यह सरकार का यह विचार समझ से परे हैं।
देश में एक साथ चुनाव (वन नेशन, वन इलेक्शन) के अंदर कोई तथ्य नहीं है। केंद्र की हलचल पैदा करने वाली सरकार का यह नया शिगूफा है। कांग्रेस पार्टी ने इसी आरोप के साथ प्रधानमंत्री के देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इरादे ठीक नहीं है। उनका यह विचार संविधान के लिए जहर जहर बुझे तीर जैसा है। यह वैधानिक रूप से अनुचित है। लोकतंत्र के विरुद्ध है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने इसे पूरे देश को बरगलाने वाला कदम बताया। उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ कभी भी अविश्वास प्रस्ताव लाने का विकल्प है। इस अविश्वास प्रस्ताव को सरकार के गठन होने के बाद कभी भी लाया जा सकता है और चुनी सरकार को सत्ता से बेदखल किया जा सकता है? यह लोकतंत्र की खूबी है। क्या सरकार इस तरह की व्यवस्था के पक्ष में नहीं है?
इसी तरह से लंबे समय इस देश के राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना कहां तक उचित है? इस देश में 15 साल तक एक साथ चुनाव हुए, लेकिन उसके बाद राज्य सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। वहां वैधानिक परंपरा के अनुरुप जल्द ही चुनाव कराए गए। चुनी सरकार को पांच साल का कार्य करने का समय मिला। हमारे संविधान निर्माताओं ने भी संभवत: इन स्थितियों को भांपकर ही एक साथ चुनाव के बारे में नहीं सोचा। ऐसे में यह सरकार का यह विचार समझ से परे हैं।