मद्रास हाई कोर्ट के कुछ बार अधिवक्ताओं ने एडवोकेट लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाई कोर्ट का जज बनाए जाने की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर नाराजगी जताई है। इस बाबत मद्रास हाईकोर्ट के 21 अधिवक्ताओं के एक समूह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। इसमें इन अधिवक्ताओं ने अधिवक्ता लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी को मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम की सिफारिश वापस करने का आग्रह किया है।
मद्रास हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि एडवोकेट गौरी के प्रतिगामी विचार पूरी तरह से मूलभूत संवैधानिक मूल्यों के विपरीत हैं। उनके विचार गहरी धार्मिक कट्टरता को दर्शाते हैं। ऐसे में वह उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के अयोग्य हैं।
गौरतलब है कि एडवोकेट लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी खुद को ट्विटर पर 'भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव' बताती हैं। बीती 17 जनवरी को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाले कॉलेजियम ने न्यायिक नियुक्ति के लिए चार अन्य अधिवक्ताओं के साथ गौरी के नाम की सिफारिश की थी।
25 सालों से भी ज्यादा समय से लंबित हैं चार लाख से ज्यादा मामले-कानून मंत्री
इससे पहले, गुरुवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में विधि और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि देश भर की विभिन्न अदालतों में चार लाख से अधिक मामले ऐसे हैं जो 25 वर्षों से भी अधिक समय से लंबित हैं। उनके मुताबिक, ऐसे लंबित मामलों की कुल संख्या 4,01,099 है।
कानून मंत्री ने बताया कि 27 जनवरी 2023 तक एकीकृत वाद प्रबंधन सूचना प्रणाली (आईसीएमआईएस) से मिले डाटा के अनुसार भारत के सुप्रीम कोर्ट में 25 वर्षों से अधिक समय तक लंबित मुकाबलों की संख्या 81 है। 30 जनवरी 2023 तक राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) पर उपलब्ध डाटा के अनुसार, उच्च न्यायालय और जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में 25 वर्षों से अधिक समय तक लंबित मामलों की संख्या क्रमशः 1,24,810 और 2,76,208 है।
जवाब में कानून मंत्री ने यह भी बताया कि लंबित मामलों की समस्या एक बहुआयामी समस्या है। जो देश की जनसंख्या में वृद्धि और जनता में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ ही साल दर साल बढ़ रही है। इसके अतिरिक्त साल 2020 के दौरान आई कोविड-19 महामारी ने भी पिछले तीन सालों में लंबित मामलों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नति के लिए अनुशंसित 5 नामों को मिल सकती है सरकार की मंजूरी
सरकार हाई कोर्ट के तीन मुख्य न्यायाधीशों और दो न्यायाधीशों के नामों को मंजूरी दे सकती है, जिनकी सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के लिए सिफारिश की गई है। सरकार द्वारा इन पांच नामों की नियुक्तियों को हरी झंडी दिए जाने की संभावना है। सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि पांचों के शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने के बाद वहां जजों की संख्या 32 हो जाएगी।
गौरतलब है कि बीते साल 13 दिसंबर को, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पंकज मिथल; न्यायमूर्ति संजय करोल, मुख्य न्यायाधीश, पटना उच्च न्यायालय; न्यायमूर्ति पी वी संजय कुमार, मुख्य न्यायाधीश, मणिपुर उच्च न्यायालय; पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह; और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए सरकार से सिफारिश की थी।