मैहतपुर (ऊना)। अपनी बिरादरी से हटकर दूसरी जाति में शादी करोगे तो सरकार शाबासी तो देगी ही, साथ ही 25 हजार की रकम भी बतौर पुरस्कार देगी। सरकार से इस तरह की शाबासी और पुरस्कार पाने वाले बीते साल में 19 जोड़े हैं। इन जोड़ों ने प्यार की खातिर अपने जाति बंधन के धर्म की दीवार को गिराकर दूसरी जाति में विवाह रचाकर जीवन भर साथ जीने मरने की कसमें खाई हैं। जिला के कल्याण विभाग ने ऐसे जोड़ों को पुरस्कार एवं प्रोत्साहन के तौर पर 4 लाख 75 हजार रुपये खर्च किए हैं।
जिला कल्याण अधिकारी ओंकारचंद ने इस बात की पुष्टि की है। इस पश्चिमी सभ्यता का असर कहें, फिल्मी कहानियों की नकल अथवा अपने माता-पिता की उम्मीदों और आकांक्षाओं को दरकिनार करना कहें। लेकिन यह हकीकत है कि ऊना जिला में युवा पीढ़ी ने अपने मनपसंद के जीवन साथी चुनने के लिए जात बिरादरी की सभी लक्ष्मण रेखाओं को पार करने का हौसला दिखाया है। इससे यह भी साबित हो रहा है कि युवा पीढ़ी जात बिरादरी की रूढ़िवादी परंपराओं को पीछे छोड़कर एक नये समाज का सृजन करने की ओर अग्रसर है। शायद यही वजह है कि राज्य सरकार का कल्याण विभाग भी ऐसे जोड़ों की पीठ थपथपाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहता। पिछले दो तीन साल के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि अंतर जातीय शादियों में साल दर साल इजाफा हो रहा है।
साल 2006-07 में जहां 12 जोड़ों ने जाति बंधनों की दीवार तोड़ी, वहीं 2007-08 में भी इतने ही युवाओं ने दूसरी जाति में शादी रचाई। 2008-09 में 18 जोड़े विवाह बंधन में बंधे, तो साल 2009-10 में 19 जोड़ों ने अपनी मर्जी से विवाह करवाया। बीते साल 2011-12 में भी 19 जोड़ों ने जात बिरादरी को दरकिनार करते हुए अपने प्यार को शादी में तबदील किया है। जिला कल्याण अधिकारी ओंकार चंद की मानें तो बीते साल इस तरह के विवाहित जोड़ों को 4 लाख 75 हजार की राशि तकसीम की गई है।