पांवटा साहिब (सिरमौर)। कहते हैं कि नेक इरादों व फौलादी हौसलों के आगे दुनियां भी झुकती है। दो बार मिस्टर इंडिया बने विनय कुमार पर यह लाइने सही बैठती है। आठ वर्ष पहले छरहरे बदन के 18 वर्ष के विनय कुमार ने एक सपना देखा था। विषम हालात व मुफलीसी सफलता की राह में दीवार बनते रहे लेकिन हौसलों के आगे... हालात दम तोड़ते रहे और आखिर में जीत बुलंद इरादों की हुई। अब सपनों की उड़ान शिखर छूने (मि. यूनिवर्स) को कुलांचे मार रही है।
लगातार दो बार मिस्टर इंडिया रहे दिल्ली निवासी विनय कुमार व उनके कोच सुरेश कुमार पांवटा में मिस्टर नार्थ जोन प्रतियोगिता में बतौर विशेष मेहमान पहुंचे थे। इस दौरान कार्यक्रम उन्होंने ‘अमर उजाला’ से विशेष बातचीत की। बातचीत के दौरान विनय ने फर्श से अर्श की तरफ ले जाने वाले जिंदगी के अनुभव सांझा किए। विनय ने कहा कि 8 वर्ष पहले जिम जाने की जिद्द करते थे। पिता की मौत के बाद घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। किसी तरह दिल्ली के बजीरपुर जेजे कालोनी में सुरेश कुमार उर्फ जिम्मी से संपर्क हुआ।
कोच सुरेश कुमार ने बताया कि उस वक्त विनय की उम्र 18 वर्ष थी, काफी कमजोर होने के कारण भार केवल 41 किग्रा ही था। जिम में एक्सरसाइज के लिए मासिक फीस भरने तक को पैसा नहीं जुटा पाते थे। जिम में कार्य करते हुए एक्सरसाइज शुरू की। प्रशिक्षक की देखरेख में आगे बढ़ते रहे। मां गृहिणी थी, बढ़े भाई शेखर को निजी क्षेत्र में नौकरी मिली। गरीबी के चलते कई विषम हालात से गुजरे।
मिस्टर इंडिया विनय के कोच सुरेश कुमार ने बताया कि जीवन में कड़ी मेहनत से आगे बढ़ने व सफलता की भूख के जीवट उदाहरण विनय बने हुए हैं। गरीबी व विषम हालात से लड़ कर मिस्टर इंडिया तक का सफर बेहद कठिन रहा है। कोच ने कहा कि मिस्टर यूनिवर्स समेत अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाओं में भाग लेने के लिए भी आर्थिक दिक्कतों से हमेशा आज तक भी जूझते आ रहे है। विनय कुमार ने वर्ष 2011 व 2012 में लगातार मिस्टर इंडिया का खिताब जीता है। इसके अलावा 2011 में हल्दवानी में फेडरेशन कप में गोल्ड मेडल हासिल किया। वर्ष 2012 में बेस्ट इंप्रवूड बॉडी बिल्डर खिताब पर भी कब्जा जमाया। अब आगे की मंजिल को तैयारियों चल रही है।
पांवटा साहिब (सिरमौर)। कहते हैं कि नेक इरादों व फौलादी हौसलों के आगे दुनियां भी झुकती है। दो बार मिस्टर इंडिया बने विनय कुमार पर यह लाइने सही बैठती है। आठ वर्ष पहले छरहरे बदन के 18 वर्ष के विनय कुमार ने एक सपना देखा था। विषम हालात व मुफलीसी सफलता की राह में दीवार बनते रहे लेकिन हौसलों के आगे... हालात दम तोड़ते रहे और आखिर में जीत बुलंद इरादों की हुई। अब सपनों की उड़ान शिखर छूने (मि. यूनिवर्स) को कुलांचे मार रही है।
लगातार दो बार मिस्टर इंडिया रहे दिल्ली निवासी विनय कुमार व उनके कोच सुरेश कुमार पांवटा में मिस्टर नार्थ जोन प्रतियोगिता में बतौर विशेष मेहमान पहुंचे थे। इस दौरान कार्यक्रम उन्होंने ‘अमर उजाला’ से विशेष बातचीत की। बातचीत के दौरान विनय ने फर्श से अर्श की तरफ ले जाने वाले जिंदगी के अनुभव सांझा किए। विनय ने कहा कि 8 वर्ष पहले जिम जाने की जिद्द करते थे। पिता की मौत के बाद घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। किसी तरह दिल्ली के बजीरपुर जेजे कालोनी में सुरेश कुमार उर्फ जिम्मी से संपर्क हुआ।
कोच सुरेश कुमार ने बताया कि उस वक्त विनय की उम्र 18 वर्ष थी, काफी कमजोर होने के कारण भार केवल 41 किग्रा ही था। जिम में एक्सरसाइज के लिए मासिक फीस भरने तक को पैसा नहीं जुटा पाते थे। जिम में कार्य करते हुए एक्सरसाइज शुरू की। प्रशिक्षक की देखरेख में आगे बढ़ते रहे। मां गृहिणी थी, बढ़े भाई शेखर को निजी क्षेत्र में नौकरी मिली। गरीबी के चलते कई विषम हालात से गुजरे।
मिस्टर इंडिया विनय के कोच सुरेश कुमार ने बताया कि जीवन में कड़ी मेहनत से आगे बढ़ने व सफलता की भूख के जीवट उदाहरण विनय बने हुए हैं। गरीबी व विषम हालात से लड़ कर मिस्टर इंडिया तक का सफर बेहद कठिन रहा है। कोच ने कहा कि मिस्टर यूनिवर्स समेत अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाओं में भाग लेने के लिए भी आर्थिक दिक्कतों से हमेशा आज तक भी जूझते आ रहे है। विनय कुमार ने वर्ष 2011 व 2012 में लगातार मिस्टर इंडिया का खिताब जीता है। इसके अलावा 2011 में हल्दवानी में फेडरेशन कप में गोल्ड मेडल हासिल किया। वर्ष 2012 में बेस्ट इंप्रवूड बॉडी बिल्डर खिताब पर भी कब्जा जमाया। अब आगे की मंजिल को तैयारियों चल रही है।