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मंडी। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव को देवी-देवताओं का महाकुंभ भी कहा जाता है। लेकिन, इस महाकुंभ में देवी-देवताओं के साथ चलने वाले देवलुओं के लिए प्रशासन की ओर से किए गए इंतजाम नाकाफी हैं। ठहराव की उचित व्यवस्था न होने से देवलुओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ब्वॉयज स्कूल में आलम यह है कि 400 देवलुओं के लिए मात्र दो कमरों की व्यवस्था की गई है। कुछ तो खुले बरामदे में सोने को मजबूर हैैं। वहीं, प्रशासन की ओर से दरियों का प्रावधान किया गया है। लेकिन, ठंड से बचने के लिए देवलुओं को अपने खर्चे पर बिस्तर लेना पड़ रहा है। हालांकि, देव समिति का तर्क है कि इतने देवलुओं को प्रशासन नहीं बुलाता। पंजीकृत देवी-देवताओं के साथ चुनिंदा देवलुओं को ही बुलाया जाता है। जिन देवलुओं को बुलाया जाता है उनके लिए व्यवस्था की जाती है।
उधर, भूतनाथ, भुवनेश्वरी माता, पंचवक्त्र मंदिर, जालपा माता, राज बेहड़ा, डाइट और बाल स्कूलों सहित अन्य शिक्षण संस्थाओं में ठहराए गए देवलुओं को प्रशासन की ओर से केवल दरी का प्रावधान करवाया गया है।
216 देवताओं को दिया जाता है निमंत्रण
हर वर्ष जिला प्रशासन की ओर से शिवरात्रि मेले में जिले भर से 216 पंजीकृत देवी-देवताओं को आमंत्रित किया जाता रहा है। देवी-देवता अपने कारदारों और देवलुओं के साथ शिवरात्रि में भाग लेते हैं। इस वर्ष 187 पंजीकृत देवी-देवता मंडी शिवरात्रि मेले में पधारे हैं। प्रत्येक देवता के साथ पधारने वाले करीब दस देवलुओं के रहने ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था जिला प्रशासन की ओर से की गई है। जबकि, देवता के साथ पधारे अन्य देवलुओं को अपने स्तर पर रहना पड़ रहा है।
बेगानों जैसा किया जा रहा व्यवहार
देवलुओं में शोभा राम, लाल सिंह, बबलू, राज कुमार, तिलक राज, योगराज, महेश्वर सिंह, लुदरमणी, पूर्ण चंद, धीरज ठाकुर, श्याम सिंह, वीर सिंह, विनोद कुमार सहित अन्य देवलुओं ने कहा कि मंडी शिवरात्रि सहित अन्य मेलों के दौरान निमंत्रण देने पर बुलाए गए देवताओं और देवलुओं के साथ बेगानों जैसा व्यवहार किया जाता है। इससे इस वर्ग में व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन और देवता समिति में भारी रोष है। इन लोगों ने जिला प्रशासन और सर्व देवता सेवा समिति के पदाधिकारियों से मांग उठाई है कि आगामी वर्ष देवताओं सहित उनके ठहरने की उचित व्यवस्था की जाए।
देव समिति ने यह दी सफाई
सर्व देवता सेवा समिति के प्रधान शिवपाल शर्मा का कहना है कि प्रशासन इतने देवलुओं को नहीं बुलाता। एक देवता के साथ आए 10 से 40 देवलुओं तक को ठहराव की सुविधा दी जाती है। पूर्व में देवी-देवताओं को लोगों के घरों में ठहराया जाता था लेकिन परिवारों में बिखराव होने के बाद अब राजगढ़, बेहड़ों, भूतनाथ मंदिर सराय सहित विभिन्न शिक्षण संस्थानों में अनुमति पर ही ठहराया गया है। देवलुओं को डिमांड के अनुसार दरियां दी जाती हैं। जबकि, बिस्तर का प्रावधान उन्हें अपने स्तर पर करना पड़ता है। वहीं, जिला प्रशासन की ओर से तय किए गए लोगों के अनुसार ही देवलुओं को सात दिनों तक भोजन व्यवस्था के लिए पहले ही धन राशि दी जाती है। इससे वे तीन समय की भोजन व्यवस्था स्वयं करते हैं। कहा कि देव सदन निर्माण कार्य अभी चला हुआ है। अगले वर्ष इसके पूर्ण होने की उम्मीद है। उसके बाद देवलुओं को सभी समस्याओं से निजात मिलेगी।
मंडी। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव को देवी-देवताओं का महाकुंभ भी कहा जाता है। लेकिन, इस महाकुंभ में देवी-देवताओं के साथ चलने वाले देवलुओं के लिए प्रशासन की ओर से किए गए इंतजाम नाकाफी हैं। ठहराव की उचित व्यवस्था न होने से देवलुओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ब्वॉयज स्कूल में आलम यह है कि 400 देवलुओं के लिए मात्र दो कमरों की व्यवस्था की गई है। कुछ तो खुले बरामदे में सोने को मजबूर हैैं। वहीं, प्रशासन की ओर से दरियों का प्रावधान किया गया है। लेकिन, ठंड से बचने के लिए देवलुओं को अपने खर्चे पर बिस्तर लेना पड़ रहा है। हालांकि, देव समिति का तर्क है कि इतने देवलुओं को प्रशासन नहीं बुलाता। पंजीकृत देवी-देवताओं के साथ चुनिंदा देवलुओं को ही बुलाया जाता है। जिन देवलुओं को बुलाया जाता है उनके लिए व्यवस्था की जाती है।
उधर, भूतनाथ, भुवनेश्वरी माता, पंचवक्त्र मंदिर, जालपा माता, राज बेहड़ा, डाइट और बाल स्कूलों सहित अन्य शिक्षण संस्थाओं में ठहराए गए देवलुओं को प्रशासन की ओर से केवल दरी का प्रावधान करवाया गया है।
216 देवताओं को दिया जाता है निमंत्रण
हर वर्ष जिला प्रशासन की ओर से शिवरात्रि मेले में जिले भर से 216 पंजीकृत देवी-देवताओं को आमंत्रित किया जाता रहा है। देवी-देवता अपने कारदारों और देवलुओं के साथ शिवरात्रि में भाग लेते हैं। इस वर्ष 187 पंजीकृत देवी-देवता मंडी शिवरात्रि मेले में पधारे हैं। प्रत्येक देवता के साथ पधारने वाले करीब दस देवलुओं के रहने ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था जिला प्रशासन की ओर से की गई है। जबकि, देवता के साथ पधारे अन्य देवलुओं को अपने स्तर पर रहना पड़ रहा है।
बेगानों जैसा किया जा रहा व्यवहार
देवलुओं में शोभा राम, लाल सिंह, बबलू, राज कुमार, तिलक राज, योगराज, महेश्वर सिंह, लुदरमणी, पूर्ण चंद, धीरज ठाकुर, श्याम सिंह, वीर सिंह, विनोद कुमार सहित अन्य देवलुओं ने कहा कि मंडी शिवरात्रि सहित अन्य मेलों के दौरान निमंत्रण देने पर बुलाए गए देवताओं और देवलुओं के साथ बेगानों जैसा व्यवहार किया जाता है। इससे इस वर्ग में व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन और देवता समिति में भारी रोष है। इन लोगों ने जिला प्रशासन और सर्व देवता सेवा समिति के पदाधिकारियों से मांग उठाई है कि आगामी वर्ष देवताओं सहित उनके ठहरने की उचित व्यवस्था की जाए।
देव समिति ने यह दी सफाई
सर्व देवता सेवा समिति के प्रधान शिवपाल शर्मा का कहना है कि प्रशासन इतने देवलुओं को नहीं बुलाता। एक देवता के साथ आए 10 से 40 देवलुओं तक को ठहराव की सुविधा दी जाती है। पूर्व में देवी-देवताओं को लोगों के घरों में ठहराया जाता था लेकिन परिवारों में बिखराव होने के बाद अब राजगढ़, बेहड़ों, भूतनाथ मंदिर सराय सहित विभिन्न शिक्षण संस्थानों में अनुमति पर ही ठहराया गया है। देवलुओं को डिमांड के अनुसार दरियां दी जाती हैं। जबकि, बिस्तर का प्रावधान उन्हें अपने स्तर पर करना पड़ता है। वहीं, जिला प्रशासन की ओर से तय किए गए लोगों के अनुसार ही देवलुओं को सात दिनों तक भोजन व्यवस्था के लिए पहले ही धन राशि दी जाती है। इससे वे तीन समय की भोजन व्यवस्था स्वयं करते हैं। कहा कि देव सदन निर्माण कार्य अभी चला हुआ है। अगले वर्ष इसके पूर्ण होने की उम्मीद है। उसके बाद देवलुओं को सभी समस्याओं से निजात मिलेगी।