कोटली (मंडी)। प्रदेश सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के खोखले दावों की पोल कोटली में खुल रही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटली में स्टाफ की वर्षों से चली आ रही कमी के चलते सैकड़ों मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 1960 के दशक से भी पुराने बने इस स्वास्थ्य केंद्र से हजारों की आबादी स्वास्थ्य सुविधाएं लेती हैं। एनएच पर होने के चलते मरीजों की भरमार रहती है। लेकिन स्टाफ की कमी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के यहां हजारों मरीज कई प्रकार की समस्याओं से बेहाल है।
आबादी के बढ़ते दबाव तथा लाइलाज बीमारियों के चलते मरीजों का स्वास्थ्य केंद्र में भारी तादाद में आना जाना लगा रहता है। लेकिन सरकार ने तीन वर्ष पूर्व यहां दो एमबीबीएस डाक्टरों की पोस्टें कम कर दी। इसके चलते कार्यरत चिकित्सकों पर काम का भारी बोझ बढ़ गया है। इसके अलावा सीएचसी में रेडियोग्राफर के दो पद स्वीकृत हैं। मगर, वर्तमान समय में दोनों पद खाली पड़े हैं। ऐसे में मरीजों को मजबूरन निजी अस्पतालों का रुख कर महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है। जबकि स्वास्थ्य केंद्र में दो फार्मासिस्टों के पद भी रिक्त चल रहे हैं। अस्पताल में हर रोज 250 से ऊपर ओपीडी हैं।
पूर्व पंचायत समिति अध्यक्ष जानकी दास डोगरा, पूर्व प्रधान मुरारी लाल, मोहन सिंह, हरीश ठाकुर, कमल किशोर का कहना है कि सीएचसी में स्टाफ की कमी मरीजों तथा तीमारदारों के लिए सिरदर्द बन गई है। उक्त लोगाें ने चेताया है कि यदि जल्द स्टाफ की कमी पूरी नहीं की गई तो धरना प्रदर्शन शुरू कर देंगे।
इधर, बीएमओ केएस मल्होत्रा का कहना है कि स्टाफ की कमी बारे जिला स्वास्थ्य अधिकारी को अवगत करवा दिया है।