पांगणा/मंडी। तीन साल के बेटे को पहाड़ी से फेंककर जान लेने वाली घटना ने हर किसी को झकझोर दिया है। इसमें कोई दो राय नहीं होगी कि पति-पत्नी के झगड़े की बलि बेटा चढ़ गया। बताया जाता है दोनों में कहासुनी के बाद महिला बच्चों संग अपने मायके में रह रही थी। रजामंदी न होने पर आरोपी अपने बड़े बेटे को लेकर लौट आया और उसके बाद उसने गुस्से में आकर ऐसा कदम उठाया। वहीं, चिकित्सा विशेषज्ञ इसे मनोरोग से जोड़कर भी देख रहे हैं।
देवभूमि के नाम पर एक और कलंक उस समय लग गया जब पारिवारिक कहासुनी के बाद एक व्यक्ति ने अपने तीन साल के मासूम को ढांक से गिराकर मार डाला। करसोग उपमंडल के कडाछ निवासी कौला राम और उसकी पत्नी के बीच किसी मामले को लेकर कहासुनी होने के बाद नाराज पत्नी बच्चों समेत मायके चली गई थी। वह एक माह से मायके में रह रही थी। जबकि शुक्रवार की रात कौला राम उसे मनाने और वापस घर लाने की गर्ज से अपने ससुराल गया हुआ था। जब उसकी पत्नी और उसके बीच सुलह नहीं हो पाई होगी तो वह गुस्से में अपने बड़े बेटे सुनील जो मात्र तीन साल का था को अपने साथ वापस ले आया। मगर मासूम सुनील को क्या मालूम था कि जिस बाप के साथ वह घर वापस जा रहा है वही उसका काल बन कर उसे ढांक से फेंक देगा। यह उसका भले ही अपनी पत्नी से बदला लेने का तरीका था, मगर इससे एक मासूम जिसे अभी दुनिया देखनी थी बाप के गुस्से और पत्नी की जिद्द की बलि चढ़ गया। इधर, क्षेत्रीय अस्पताल के जन शिक्षा एवं सूचना अधिकारी एनआर ठाकुर इसे मनोरोग की स्थिति करार दी। उनका कहना है कि जब गुस्से की इंतहा होती है तो व्यक्ति का विवेक साथ छोड़ देता है। एक मिनट के गुस्से में इतनी ऊर्जा खर्च होती है जितनी 18 घंटे की मेहनत में नहीं होती। ऐसे व्यक्ति अपने और समाज दोनों के लिए घातक साबित होते हैं।