पधर (मंडी)। पांचवीं कक्षा के मासूम देशराज को क्या पता था कि साथियों की तख्ती पर सुलेख लिखने के लिए पेड़ की स्याही की कीमत उसे जान देकर चुकानी पड़ेगी। घटना के बाद दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले अक्षय, अजय कुमार और पहली कक्षा का अविनाश अपने साथी देशराज की हादसे में मौत से सहमे हुए हैं। घाटी में दुकानों की कमी के चलते उक्त छात्र बान के पेड़ से काली स्याही निकालने के लिए चढ़ा था। उक्त छात्र चौहारघाटी की दुर्गम पंचायत लटराण की राप्रामा देहरू में पढ़ता था।
वीरान जंगल में हुए दर्दनाक हादसे के तीनोें प्रत्यक्षदर्शी छात्र रोपा जंगल के बीच रास्ते में दोस्त की जान लेने वाले बान का पेड़ की याद हमेशा याद सताती रहेगी। उल्लेखनीय है कि कि स्कूल में पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों के लिए तख्ती लिखने के लिए काली स्याही का प्रयोग किया जाता है। देशराज के तीनों दोस्त पहली और दूसरी कक्षा के छात्र थे। गांव में दुकानों के अभाव के चलते तीनों को बान के पेड़ से प्राकृतिक तौर पर निकलने वाली काली स्याही को निकालने देशराज पेड़ पर चढ़ा था और पांव फिसलने से वह ढांक में गिर गया। देशराज के गिरने की भनक लगते ही इन तीनों ने ढांक से उसे निकालने का भरसक प्रयास किया, लेकिन असफल रहा। ऐसे में तीनों दौड़ते हुए गांव के समीप खेत में पहुंचे जहां देशराज के परिजन फसल काट रहे थे, जिन्हें हादसे की सूचना दी।
शुक्रवार को इस हादसे से देश राज के पैतृक गांव भमच्चवाण और प्राथमिक पाठशाला देहरू में मातम छाया रहा। गांव का माहौल काफी गमगीन था। छात्र देशराज आइआरडीपी परिवार से संबंध रखता था। उसकी दो बहनें और एक भाई है। देश राज का पैतृक गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया।