कुल्लू। पश्चिम बंगाल के सिंगुर में बिजली गिरने से कुल्लू जिले के बीएसएफ जवान की मौत हो गई थी। जवान का बुधवार को बदाह में ब्यास नदी के किनारे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। बीएसएफ जवान को बुधवार को श्रद्धांजलि देने के लिए लोग उमड़े। इसमें पूर्व सांसद महेश्वर सिंह सहित कई अन्य लोग मौजूद रहे। लोगों ने नम आंखों से जवान को अंतिम विदाई दी। महाराजा कोठी के गुंघरा गांव के 41 वर्षीय नरेश ठाकुर की किस्मत ने साथ नहीं दिया।
सिंगुर में जिस जगह पर वह तैनात था, वहां ड्यूटी खत्म होने में महज पांच मिनट ही बचे थे। शाम के छह बजे उसकी ड्यूटी खत्म होनी थी। लेकिन इससे पांच मिनट पहले ही बिजली काल बनकर गिरी और नरेश ठाकुर को अपने साथ ले गई। इससे नरेश के परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट गया है। अगर पांच मिनट तक यह बिजली नहीं गिरती तो शायद नरेश बच जाता। परिजनों ने कभी नहीं सोचा था कि अब वे नरेश से कभी मिल नहीं पाएंगे। जैसे ही उसके परिजनों व रिश्तेदारों को हादसे के बारे में पता चला तो टिकराबावड़ी और गुंघरा गांव में शोक पसर गया। परिवार अपने लाल के आने का इंतजार करते रहे। दो दिनों तक दोनों गांवों के कई घरों में चूल्हा नहीं जला। परिजन भी जवान के पार्थिव शरीर के इंतजार में भूखे-प्यासे बैठे रहे। अपने जवान बेटे को खो देने के बाद परिवार के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल है। शोकाकुल परिवार को ढांढस बंधाने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं।
कुल्लू। पश्चिम बंगाल के सिंगुर में बिजली गिरने से कुल्लू जिले के बीएसएफ जवान की मौत हो गई थी। जवान का बुधवार को बदाह में ब्यास नदी के किनारे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। बीएसएफ जवान को बुधवार को श्रद्धांजलि देने के लिए लोग उमड़े। इसमें पूर्व सांसद महेश्वर सिंह सहित कई अन्य लोग मौजूद रहे। लोगों ने नम आंखों से जवान को अंतिम विदाई दी। महाराजा कोठी के गुंघरा गांव के 41 वर्षीय नरेश ठाकुर की किस्मत ने साथ नहीं दिया।
सिंगुर में जिस जगह पर वह तैनात था, वहां ड्यूटी खत्म होने में महज पांच मिनट ही बचे थे। शाम के छह बजे उसकी ड्यूटी खत्म होनी थी। लेकिन इससे पांच मिनट पहले ही बिजली काल बनकर गिरी और नरेश ठाकुर को अपने साथ ले गई। इससे नरेश के परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट गया है। अगर पांच मिनट तक यह बिजली नहीं गिरती तो शायद नरेश बच जाता। परिजनों ने कभी नहीं सोचा था कि अब वे नरेश से कभी मिल नहीं पाएंगे। जैसे ही उसके परिजनों व रिश्तेदारों को हादसे के बारे में पता चला तो टिकराबावड़ी और गुंघरा गांव में शोक पसर गया। परिवार अपने लाल के आने का इंतजार करते रहे। दो दिनों तक दोनों गांवों के कई घरों में चूल्हा नहीं जला। परिजन भी जवान के पार्थिव शरीर के इंतजार में भूखे-प्यासे बैठे रहे। अपने जवान बेटे को खो देने के बाद परिवार के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल है। शोकाकुल परिवार को ढांढस बंधाने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं।