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कुल्लू। भारी बर्फबारी के बाद पर पटरी से उतरा मलाणा का पेयजल सिस्टम अभी तक दुरुस्त नहीं हो पाया है। अब आलम यह है कि पानी के लिए लोगों के बीच झगड़े भी होने लगे हैं। चारों तरफ बर्फ से घिरे मलाणा तक राहत पहुंचाना प्रशासन के लिए भी मुश्किल है।
ग्रामीणों को मीलों दूर से पानी लाना पड़ रहा है या फिर बर्फ को पिघलाकर काम चलाना पड़ रहा है। मीलों दूर स्थित एक मात्र जलस्रोत भी जमने की कगार पर है। स्त्रोत में कम पानी से ग्रामीणों में कई बार आपस में झगड़ा और बहस भी हो रही है। मलाणा गांव में करीब तीन सौ परिवार रहते हैं।
लोगों का कहना है कि वे करीब 13 दिनों से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। पानी की पाइपें पानी के सोर्स से लेकर गांव तक जम चुकी हैं। ग्रामीण मोती राम, शामटू राम, नंत राम, चूहडू राम, देवा, राजू राम, बुधराम, माघी देवी, बंती देवी और राजू का कहना है कि लोगों को 13 दिन से पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रहा। गांव से मीलों दूर एकमात्र जलस्त्रोत है। वहां भी पानी जम चुका है। दिनभर लोगों को लंबी कतारों में खड़े होकर यहां से पानी ढोना पड़ रहा है। आपस में पानी भरने के पीछे एक-दूसरे के साथ लड़ाई भी हो रही है। ग्रामीण मोती राम ने बताया कि शनिवार को भी छह-सात महिलाएं आपस में पानी के लिए झगड़ पड़ी। बाद में मामला शांत हो गया। ग्रामीणों का कहना है अगर एक-दो दिनों के भीतर पानी की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो ग्रामीण सड़काें पर उतरने को मजबूर होंगे।
कुल्लू। भारी बर्फबारी के बाद पर पटरी से उतरा मलाणा का पेयजल सिस्टम अभी तक दुरुस्त नहीं हो पाया है। अब आलम यह है कि पानी के लिए लोगों के बीच झगड़े भी होने लगे हैं। चारों तरफ बर्फ से घिरे मलाणा तक राहत पहुंचाना प्रशासन के लिए भी मुश्किल है।
ग्रामीणों को मीलों दूर से पानी लाना पड़ रहा है या फिर बर्फ को पिघलाकर काम चलाना पड़ रहा है। मीलों दूर स्थित एक मात्र जलस्रोत भी जमने की कगार पर है। स्त्रोत में कम पानी से ग्रामीणों में कई बार आपस में झगड़ा और बहस भी हो रही है। मलाणा गांव में करीब तीन सौ परिवार रहते हैं।
लोगों का कहना है कि वे करीब 13 दिनों से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। पानी की पाइपें पानी के सोर्स से लेकर गांव तक जम चुकी हैं। ग्रामीण मोती राम, शामटू राम, नंत राम, चूहडू राम, देवा, राजू राम, बुधराम, माघी देवी, बंती देवी और राजू का कहना है कि लोगों को 13 दिन से पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रहा। गांव से मीलों दूर एकमात्र जलस्त्रोत है। वहां भी पानी जम चुका है। दिनभर लोगों को लंबी कतारों में खड़े होकर यहां से पानी ढोना पड़ रहा है। आपस में पानी भरने के पीछे एक-दूसरे के साथ लड़ाई भी हो रही है। ग्रामीण मोती राम ने बताया कि शनिवार को भी छह-सात महिलाएं आपस में पानी के लिए झगड़ पड़ी। बाद में मामला शांत हो गया। ग्रामीणों का कहना है अगर एक-दो दिनों के भीतर पानी की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो ग्रामीण सड़काें पर उतरने को मजबूर होंगे।