उदयपुर (लाहौल-स्पीति)। शीत मरुस्थल लाहौल घाटी में बन रही विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं के विरोध में स्वर मुखर हो गए हैं। घाटी में बनने वाली परियोजनाओं के विरोध में पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर जिस्पा बांध संघर्ष समिति आंदोलन करेगी। केलांग में इस दिन महारैली होगी।
समिति के संयोजक रिगजिन संफेल हायरप्पा ने कहा कि घाटी में सैली हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, मयाड़ हाइड्रो प्रोजेक्ट, तांदी, रारिक, छतड़ू, कोकसर, कारदंग ओर रोहली में सैकड़ों मेगावाट के प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली है। इससे घाटी का पर्यावरण नष्ट हो जाएगा। पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर केलांग में इन प्रोजेक्टों के विरोध में महारैली होगी। उधर, इस रैली में हिमालयन प्रोटेक्शन सोसायटी के अध्यक्ष एवं पर्यावरण चिंतक अभिषेक राय विशेष रूप से भाग लेने जा रहे हैं। लाहौल में इतने अधिक प्रोजेक्ट लगने से पूरी नदी भूमिगत हो जाएगी। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली परियोजना मंजूर नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर विनाश किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जनजातीय क्षेत्र में कुछ भी जबरदस्ती नहीं थोपना चाहिए। वहां की कला, संस्कृति और परंपरा को बढ़वा देना चाहिए। भूमि तथा वन में इलाकावासियों के अधिकार सुरक्षित रखे जाने चाहिए। विकास कार्यों के लिए जनजातीय सुमदाय को विश्वास में लेकर ही प्रशासन और परियोजना प्रबंधन का कार्य करना चाहिए। उन्होंने दो टूक कहा कि इस विरोध में हिमालयन एन्वायरमेंट सोसायटी लाहौल वासियों के साथ है।