खराहल (कुल्लू)। कुल्लू में लहसुन उत्पादकों को उचित मूल्य न मिलने के कारण किसानों की खर्च की हुई लागत भी पूरी नहीं हो रही। ऐसे में किसान बैकफुट पर आ गए हैं। दक्षिण भारत में लहसुन उत्पादन अधिक होने से मांग घट गई है। बताया जा रहा है कि दक्षिण भारत में हिमाचली लहसुन सबसे अधिक निर्यात होता है। चीनी लहसुन की दस्तक से भी दाम 20 रुपये से आगे नहीं बढ़ पा रहे। जिला किसान सभा ने प्रस्ताव पारित कर केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से लहसुन का समर्थन मूल्य कम से कम 50 रुपये प्रतिकिलो तय करने की मांग की है। सभा ने बाकायदा लहसुन खरीद के लिए राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान विकास फाउंडेशन को अधिकृत करने की मांग उठाई है।
जिले में 1200 हेक्टेयर भूमि पर लहसुन की खेती हो रही है। प्रति हेक्टेयर लहसुन का उत्पादन 70 से 80 क्विंटल उत्पादनहो रहा है। लेकिन, इस बार हालात यह है कि मुनाफा कमाने वाले किसान कम मूल्य मिलने से कर्ज तले दब गए हैं। किसान 20 रुपये किलो लहसुन के दाम उचित नहीं मान रहे। किसानसभा के उपाध्यक्ष देवीराज नेगी, सचिव होतम सिंह सौंखला, कृषि विकास संघ के प्रधान जय चंद ठाकुर, सचिव अमित ठाकुर ने कहा कि किसानों ने 75 किलो बीज खरीदकर खेती की है। उस पर खाद, दवाई आदि कई गुना महंगी हो गई है। इस कारण किसानों को खर्च हुई राशि भी पूरी वापस नहीं मिल पाई है।
देव राज नेगी ने कहा कि सरकार समर्थन मूल्य जल्द तय करें। अन्यथा किसान सड़कों पर उतरने के लिए विवश होंगे। घाटी के किसान सुरेश, नारायण महंत, भुपेंद्र सिंह, राम नाथ पंडित, रोशन, शेर सिंह, अनिश, संजीव शर्मा, बुद्धि प्रकाश शर्मा और यशपाल ने कहा कि कम दाम मिलने से लहसुन पर हुआ खर्चा भी पूरा नहीं हो रहा। राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष अनिरुद्ध शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार को केंद्रीय मंत्री शरद पवार को एक प्रस्ताव भेजकर एनएचआरडीएफ से इसकी खरीद के लिए मांग उठानी चाहिए। कृषि उपज एवं विपणन समिति के सचिव शेर सिंह ठाकुर ने कहा कि दक्षिण भारत में जहां लहसुन की अधिक मांग होती थी, इस बार वहां लहसुन का उत्पादन अधिक हुआ है। इस कारण मांग में कमी आई है। लिहाजा, कीमत कुछ कम हुई है।