काईस (कुल्लू)। सड़क को प्राथमिकता देने वाली प्रदेश सरकार के दावों की जमीनी स्तर पर हवा निकल गई है। आजादी के छह दशक पूरा करने के बाद भी कुल्लू जिला के 366 गांवों के लोग सड़क सुविधा से महरूम हैं। अति दुर्गम इलाकों में बसे इन लोगों का जीवन तार स्पेनों पर टिका है। ऐसा नहीं है कि सड़क बनाने के लिए पहल नहीं हुई। औपचारिकताएं पूरी भी की गई। लेकिन कहीं वन विभाग की एनओसी नहीं मिलने से कार्य लटक गए तो कहीं लोग स्वेच्छा से भूमि दान करने से मुकर गए। दुर्गम इलाकों के इन गांवों में साग सब्जियों और फलों को मंडियों तक पहुंचाना तार स्पेन पर ही निर्भर है। यदि कोई बीमार हो जाए तो उसे सड़क तक पहुंचाने के लिए कुर्सी या फिर चारपाई का सहारा लेना पड़ता है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक अधिकतर सड़कों की डीपीआर तैयार है लेकिन वन विभाग की एनओसी न मिलने के कारण कार्य लटके पड़े हैं। वन विभाग की मंजूरी न मिलने से कुल्लू एक की लगभग एक दर्जन सड़कों का कार्य रुका है। कुल्लू दो में भी इतनी ही सड़कें एनओसी न मिलने के कारण रुकी पड़ी हैं। आउटर सराज के तहत आनी और निरमंड में डेढ़ दर्जन से अधिक सड़कों का कार्य लटका पड़ा है। आनी-निरमंड में 221 गांव सड़क से नहीं जुडे़ हैं। कुल्लू एक में 84 और कुल्लू दो में 61 गांव सड़क से महरूम है। जिला के तांदला, धारा, शरन, घाट, पीणी, तलपीणी, कसलादी, शाहिटा, शाक्टी, मरोड़, जठानी, खारका, मडघन, खोपरी, श्रीकोट, शिल्ली, परवाड़ी, रंभी, बनौण, सजवाड़, सोलंग, भनारा समेत कुल 366 गांवों के लोगों को सड़क का इंतजार है।
एनओसी न मिलने से दिक्कत
वन विभाग से एनओसी न मिलने के कारण अधिकतर सड़कों का कार्य लटका पड़ा है। इस बारे प्रक्रिया शुरू कर दी है। कई जगहों पर ग्रामीण भूमि भी नहीं दे रहे। ....विजय कपूर, अधीक्षण अभियंता लोनिवि
दिल्ली भेज दिए हैं सारे मामले
वन विभाग के डीएफओ अनिल शर्मा ने कहा कि विभाग ने सड़कों से संबंधित तमाम मामले पर्यावरण मंत्रालय दिल्ली को भेज दिए हैं। वहां से मंजूरी मिलते ही अगली प्रक्रिया शुरू होगी।
मनरेगा के तहत बनेंगी सड़कें
250 से अधिक आबादी वाले गांवों का खाका तैयार किया जा रहा है। ऐसे गांवों को मनरेगा के तहत सड़क से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए शेल्फ तैयार कर लोनिवि को दिए जाएंगे।
...हरि चंद शर्मा, अध्यक्ष जिला परिषद कुल्लू