केलांग। देशभर में उत्तम किस्म के आलू उत्पादन के लिए विख्यात लाहौल घाटी में आलू का वजूद ही खतरे में पड़ गया है। देश के साथ ही पड़ोसी मुल्कों में आलू निर्यात करने वाले किसान आज खुद आलू बीज के एक-एक दाने को मोहताज हैं। कृषि विभाग की लापरवाही से जनजातीय क्षेत्र के सैकड़ों किसानों को संकट के दौर से गुजरना पड़ रहा है।
दरअसल बीते साल नवंबर माह में कृषि विभाग ने लाहौल की पंचायतों के जरिये सभी किसानों से ब्रीडर बीज आलू की डिमांड मांगी थी। किसानों ने विभाग को 910 क्विंटल बीज आलू की डिमांड भेजी लेकिन विभाग ने डिमांड के विपरीत किसानों को महज 610 क्विंटल बीज ही सप्लाई किया। मांग के अनुरूप आलू बीज उपलब्ध न होने से विभाग ने महज खाना पूर्ति कर प्रति किसान केवल 30 किलो बीज आवंटित किया। पर्याप्त बीज न मिलने के कारण लाहौल घाटी में करीब ढाई सौ बीघा जमीन खाली पड़ी है।
किसानों ने विभाग से सवाल किया है कि डिमांड के बावजूद आखिर बीज की आपूर्ति क्यों नहीं हो पाई। ब्रीडर बीज उपलब्ध न होने से लाहौली आलू की गुणवत्ता पर भी कई बार सवाल खडे़ हो चुके हैं। ब्रीडर बीज उपलब्ध नहीं हो पाने से किसान घटिया किस्म के बीज को बीजने को मजबूर हैं। गौशाल पंचायत प्रधान देवप्रकाश, तांदी के सुरेश कुमार, प्रधान संघ के अध्यक्ष वीर सिंह, प्रगतिशील किसान चरण दास भट्ट, विनोद कुमार तथा रामनाथ ने कहा है कि पर्याप्त बीज न मिलने के कारण घाटी के किसानों को भारी घाटा उठाना पड़ रहा है। खाली पड़ी जमीन में मटर बिजाई का समय निकल गया है। कृषि विभाग को ऐसे किसानों को मुआवजा देना चाहिए।
उधर कृषि विभाग के जिला अधिकारी डा. विजय कुमार कहते हैं अनुसंधान केेंद्राें में डिमांड के मुताबिक आलू उपलब्ध नहीं होने के कारण विभाग को महज 610 क्विंटल बीज की आपूर्ति हुई है। लिहाजा किसानों को कम बीज आवंटित हो पाया।