बंजार (कुल्लू)। साल भर के लिए बंजार घाटी के देवी-देवता एक दूसरे से फिर बिछुड़ गए हैं। हृदय को तार-तार करने वाले इस देव बिछोह की घड़ी देख देवलुओं की आंखे नम हो गई। मौका था जिला स्तरीय बंजार मेले के अंतिम दिन का। मेला संपन्न होते ही यहां शरीक होने आए समस्त देवी-देवता देव मिलन के बाद अपने-अपने देवालयों के लिए लौट गए हैं।
इस साल बंजार मेले में दो दर्जन देवी-देवताओं ने भाग लिया। शनिवार दोपहर बाद सभी देवता अपने-अपने अस्थाई शिविरों से वापस लौट गए। उधर, मेले के अंतिम दिन घाटी के दूर-दराज से आए देवी-देवताओं के भव्य देव मिलन को देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी। इस दौरान देवमय हुए वातावरण के बीच देव रथों को देशी-विदेशी सैलानियों ने भी अपने कैमरे में कैद किया। हर कोई देवताओं के आपसी मिलन का गवाह बना। जैसे-जैसे देवता लौट गए वैसे-वैसे बंजार के मेला मैदान में सन्नाटा पसरता गया। देवताओं के जयकार के उद्घोष भी धीमे पड़ गए। इस देव उत्सव का माहौल अब अगले साल ही देखने को मिलेगा। घाटी के अराध्य देवता श्रृंगा ऋषि से मिलन करके सभी देवी-देवता सालभर के लिए अलग हो गए हैं। श्रृंगा ऋषि चैहणी, मारकंडेय ऋषि बलागाड़, शेष नाग जिभी, बालू नाग चेत्थर, बुंगड़ू महादेव गौशाला, देवता पझारी बाहू, माता पंचालिका पुजाली, वरुण देवता शील, माता बूढ़ी नागिन घयागी के अस्थाई शिविरों में दिनभर देवताओं के पास श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।
देवलुओं ने अपने-अपने देवताओं के शिविरों में मेले के दौरान पारंपरिक नाटी का भी लुत्फ लिया। अंतिम दिन मेले में लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। देवलु कुंभदास डोगरा, लच्छी राम, रोहित ने कहा कि यह भव्य नजारा देखते ही बनता था। हर साल मिलन और बिछोह की घड़ी में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है।