पतलीकूहल (कुल्लू)। कुल्लू जिला की उझी घाटी के दुर्गम गावं शांगचर की जिंदू देवी ने 115 बसंत देखने के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया। जिंदू देवी को इलाके की सबसे बुजुर्ग महिला होने का गौरव प्राप्त था। इन दिनों जिंदू देवी की छठी पीढ़ी पल बढ़ रही है। बुधवार को जिंदू देवी ने अंतिम सांस ली।
ब्राण के पूर्व प्रधान पन्नालाल का कहना है कि हंसमुख जिंदू 115 साल की उम्र में भी सबको मिलजुलकर रहने की नसीहत देती रहती थीं। वे हमेशा कहती कि यदि सौ साल से ज्यादा तक जिंदा रहना है, तो गुस्से को त्याग दो। रामचंद, सोहन, प्रेम, नाथू, पना, कालूराम और मंथरादेवी ने कहा कि जिंदू देवी इलाके के लिए उम्र की लिहाज से ही नहीं बल्कि बतौर व्यवहार की भी एक मिसाल थीं। वे हमेशा कुदरती चश्मों का पानी पीती थीं। अस्वस्थ होने पर अंग्रेजी दवाइयों की जगह जड़ी बुटियों को ही तरजीह देती थीं। शांगचर पंचायत की प्रधान ने बताया जिंदू देवी अपने पीछे 50 लोगों का भरा पूरा परिवार छोड़ गई हैं। उन्होंने बताया उनके स्वर्गवास से ग्रामीण शोकग्रस्त हैं।
पतलीकूहल (कुल्लू)। कुल्लू जिला की उझी घाटी के दुर्गम गावं शांगचर की जिंदू देवी ने 115 बसंत देखने के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया। जिंदू देवी को इलाके की सबसे बुजुर्ग महिला होने का गौरव प्राप्त था। इन दिनों जिंदू देवी की छठी पीढ़ी पल बढ़ रही है। बुधवार को जिंदू देवी ने अंतिम सांस ली।
ब्राण के पूर्व प्रधान पन्नालाल का कहना है कि हंसमुख जिंदू 115 साल की उम्र में भी सबको मिलजुलकर रहने की नसीहत देती रहती थीं। वे हमेशा कहती कि यदि सौ साल से ज्यादा तक जिंदा रहना है, तो गुस्से को त्याग दो। रामचंद, सोहन, प्रेम, नाथू, पना, कालूराम और मंथरादेवी ने कहा कि जिंदू देवी इलाके के लिए उम्र की लिहाज से ही नहीं बल्कि बतौर व्यवहार की भी एक मिसाल थीं। वे हमेशा कुदरती चश्मों का पानी पीती थीं। अस्वस्थ होने पर अंग्रेजी दवाइयों की जगह जड़ी बुटियों को ही तरजीह देती थीं। शांगचर पंचायत की प्रधान ने बताया जिंदू देवी अपने पीछे 50 लोगों का भरा पूरा परिवार छोड़ गई हैं। उन्होंने बताया उनके स्वर्गवास से ग्रामीण शोकग्रस्त हैं।