पतलीकूहल (कुल्लू)। रियासतकालीन भोसल राजाओं की राजधानी बड़ागढ़ ढेक
में करोड़ों का खजाना छिपा पड़ा है। आप यकीन करें या न करें लेकिन इतिहास की गर्त में दफन दस्तावेज और इस किले के अहाते से सोने के सिक्के प्राप्त कर चुके लोग इसकी पुष्टि करते हैं। अंग्रेजों के जमाने के एसिस्टेंट कमिश्नर जेबी लयाल ने 1896 में छपे गजेटियर ऑफ द कांगड़ा डिस्ट्रिक्ट कुल्लू, लाहौल एंड स्पिति के पेज नंबर 27 में 1862 में बढ़ागढ़ में स्वर्ण मुद्रा का ढेर मिलने की बात का उल्लेख किया है। जांच करने पर यह पुराने राजाओं की संपदा निकली। धार्मिक मान्यताओं के चलते उसे छेड़ा नहीं गया।
पतलीकूहल में अखबार बेचने वाले भीमचंद का कहना है कि उनके दादा को यहां सोने के कुछ सिक्के मिले हैं। किले के साथ लगते बड़ाग्रां निवासी एवं कांग्रेस नेता देवेंद्र नेगी का कहना है कि बड़ागढ़ में धन दबा होने की बात क्षेत्र के बच्चे-बच्चे की जुबां पर है। भोसल राजा दो नदियों के किनारे स्थित बड़ागढ़ ढेक को धन संचय के हिसाब से सुरक्षित स्थल मानते थे। बड़ाग्रां के प्रधान चेतराम नेगी का कहना है कि इसकी जांच के लिए उन्होंने पुरातत्व विभाग को लिखा है। विभाग के अधीक्षक एसके मेहता ने भी माना कि पुराने किलों में धन मिलना आम बात है। इस मामले में खुदाई के दौरान सब सामने आ जाएगा।