कुल्लू। खाली पड़ी जमीन पर अब हरियाली के साथ नकदी फसलें भी लहलहाने लगी हैं। सेब की फसल तक सीमत रहने वाले बागवान और किसान अन्य नकदी फसलें भी उगा रहे हैं। किसानों की इस मेहनत को दिशा दे रहा है बागवानी विभाग। बागवानी तकनीकी मिशन के तहत सब्सिडी देकर छोटे और मध्यम वर्ग के बागवानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ की जा रही है। इस बीच खेती का ढंग भी बदला है। किसान अब जैविक खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।
उद्यान विकास अधिकारी डा. बिंदू शर्मा ने बताया कि बागवानी तकनीकी मिशन के तहत बागवानों को कई प्रकार की सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं। बागवानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें बागवानी तकनीकी मिशन के तहत सब्सिडी भी दी जा रही है। जैविक खेती के लिए बर्मी कंपोस्ट पिट बनाने के लिए बागवानों को तीस हजार तक की सब्सिडी दी जा रही है। कुल्लू जिला में अब तक बागवानी तकनीकी मिशन के तहत 362 बागवानों को बर्मी कंपोस्ट पिट बनाने के लिए तीस-तीस हजार की सब्सिडी दी जा चुकी है।
नग्गर विकास खंड में 20, कुल्लू में 22, बंजार में 20, आनी और निरमंड में कुल 300 बागवान बर्मी कंपोस्ट पिट बनाने के लिए उपदान हासिल कर चुके हैं। विभाग के इन प्रयासों से बड़ी संख्या में बागवान वर्मी कंपोस्ट पिट बनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। इससे बागवानों की जमीन की उपजाऊ शक्ति बनेगी रहेगी। रसायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग कम होने से पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। जैविक खाद से तैयार की गई फसलों को बाजार में अच्छे दाम मिल रहे हैं।