धर्मशाला। नए जिलों के नाम पर कांगड़ा को तोड़ने की कवायद पर फिर खलबली मच गई है। बेशक कांगड़ा के विधायकों ने जिलों पर बनी कमेटी के समक्ष अपनी राय दी हो, मगर अंदरखाते कांगड़ा के अधिकतर विधायक जिला के बंटवारे पर सहमत नहीं हैं। शांता समर्थित एक अन्य विधायक का कहना है कि जिलों के नाम पर शांता के खिलाफ एक चक्रव्यूह रचा जा रहा है। इसका नुकसान पार्टी को ही होगा।
शांता खेमे के एक विधायक का कहना है कि जनता की मांग तो शिमला, सुंदरनगर और सरकाघाट में भी है। मगर कांगड़ा को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है? महज एक मंत्री और एक विधायक की महत्वाकांक्षा के चलते कांगड़ा को तोड़ना कितना उचित है। इस पर व्यापक मंथन की जरूरत है। गौर हो कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती की अध्यक्षता में बनी कमेटी कांगड़ा को तीन टुकड़ों में बांटने के निर्णय पर लगभग पहुंच चुकी है। अगले माह ही इस पर सरकार कोई आधिकारिक घोषणा कर सकती है। हालांकि सरकार के समक्ष अभी तक शांता कुमार का मत भी खुलकर सामने नहीं आया है। जिला के एक कबीना मंत्री और विधायक के जोर पर एकतरफा दबाव जरूर बना है। लेकिन दोनों खेमों में इस मुद्दे पर आरपार की लड़ाई जरूर जगजाहिर हुई है। अब देखना यह है कि सत्तारूढ़ सरकार नए जिलों पर अपनी ही पार्टी के लोगों को साथ लेकर चलती है या फिर इस पर एक पक्षीय निर्णय लिया जाएगा।