पालमपुर (कांगड़ा)। भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्य सभा सांसद शांता कुमार ने कहा कि यूपीए सरकार का अनाज प्रबंधन अति कमजोर है। इस कारण 400 लाख टन से अधिक अनाज खुले में पड़ा है। राज्य सभा में सोमवार को चर्चा करते हुए शांता कुमार ने कहा कि देश में 680 लाख टन अनाज सरकार के पास जमा है। इस बार की फसल आने के बाद यह मात्रा 800 लाख टन से अधिक हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य निगम के पास कुल भंडारण क्षमता 400 लाख टन के करीब है। शेष अनाज का भंडारण खुले में होने से 60 हजार करोड़ का अनाज प्रति वर्ष खराब हो रहा है। शांता ने कहा कि देश के कई भागों से अनाज के लिए अपने जिगर के टुकड़ों को बेचने के समाचार पढ़ने को मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी भूख से पीड़ित लोगों को अनाज प्रदान करने का सुझाव दिया है। शांता कुमार ने कहा कि हमारे देश की आधे से अधिक जनसंख्या को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अनाज उपलब्ध कराया जाता है। यदि इस जनसंख्या को 6 महीने का खाद्यान्न एक साथ दे दिया जाए तो वर्ष में 176 लाख टन से अधिक खाद्यान्न का उठान हो जाता है। भंडारण की समस्या से निपटने का दूसरा विकल्प किसानों के पास उपलब्ध अनाज की खरीद किसान से करके उसे किसान के पास ही रहने दिया जाए और इकरार करके 50 प्रतिशत अनाज का मूल्य अग्रिम दे दिया जाए। शेष मूल्य एवं भंडारण का खर्चा सरकार द्वारा अनाज उठाने पर दे दिया जाए। उन्होंने कहा कि इससे भंडारण का विकेंद्रीकरण होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार बफर मानकों के अनुरूप ही अनाज अपने पास रखे तथा शेष खरीदे गए अनाज के निर्यात की व्यवस्था करे। सरकार यदि लोगों को दो रुपए किलो सस्ता अनाज प्रदान करने का निर्णय ले तो यह संसद के साठ वर्ष पूरे होने पर जनता को संसद की ओर से उपहार होगा।
पालमपुर (कांगड़ा)। भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्य सभा सांसद शांता कुमार ने कहा कि यूपीए सरकार का अनाज प्रबंधन अति कमजोर है। इस कारण 400 लाख टन से अधिक अनाज खुले में पड़ा है। राज्य सभा में सोमवार को चर्चा करते हुए शांता कुमार ने कहा कि देश में 680 लाख टन अनाज सरकार के पास जमा है। इस बार की फसल आने के बाद यह मात्रा 800 लाख टन से अधिक हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य निगम के पास कुल भंडारण क्षमता 400 लाख टन के करीब है। शेष अनाज का भंडारण खुले में होने से 60 हजार करोड़ का अनाज प्रति वर्ष खराब हो रहा है। शांता ने कहा कि देश के कई भागों से अनाज के लिए अपने जिगर के टुकड़ों को बेचने के समाचार पढ़ने को मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी भूख से पीड़ित लोगों को अनाज प्रदान करने का सुझाव दिया है। शांता कुमार ने कहा कि हमारे देश की आधे से अधिक जनसंख्या को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अनाज उपलब्ध कराया जाता है। यदि इस जनसंख्या को 6 महीने का खाद्यान्न एक साथ दे दिया जाए तो वर्ष में 176 लाख टन से अधिक खाद्यान्न का उठान हो जाता है। भंडारण की समस्या से निपटने का दूसरा विकल्प किसानों के पास उपलब्ध अनाज की खरीद किसान से करके उसे किसान के पास ही रहने दिया जाए और इकरार करके 50 प्रतिशत अनाज का मूल्य अग्रिम दे दिया जाए। शेष मूल्य एवं भंडारण का खर्चा सरकार द्वारा अनाज उठाने पर दे दिया जाए। उन्होंने कहा कि इससे भंडारण का विकेंद्रीकरण होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार बफर मानकों के अनुरूप ही अनाज अपने पास रखे तथा शेष खरीदे गए अनाज के निर्यात की व्यवस्था करे। सरकार यदि लोगों को दो रुपए किलो सस्ता अनाज प्रदान करने का निर्णय ले तो यह संसद के साठ वर्ष पूरे होने पर जनता को संसद की ओर से उपहार होगा।