चंबा। छात्र संघ चुनावों को बहाल करवाने के लिए तीनों छात्र संगठनों की ओर से किए गए शिक्षा बंद के दौरान छात्र राजनीति का एका देखने को मिला। जहां बड़े-बड़े दल सत्ता के लिए हाथ मिला रहे हैं, वहीं छात्र संगठनों ने अपने लोकतांत्रिक हक को बचाने के लिए सभी मनमुटाव छोड़ संयुक्त मोर्चा गठित किया है। सोमवार को इस मोर्चे ने दम दिखाते हुए कालेज का कामकाज नहीं चलने दिया। यहां तक कि कालेज के प्राध्यापकोें और अन्य स्टाफ को बैक डोर एंट्री करने पर मजबूर होना पड़ा। वहीं, कालेज परिसर सोमवार को पुलिस छाबनी बना हुआ था। डीएसपी कुलभूषण वर्मा और एसएचओ कैलाश चंद वालिया अपनी टीम के साथ कालेज के बाहर डटे हुए थे। सोमवार सुबह से ही कालेज गेट पर छात्र-छात्राओं का जमावड़ा लगा रहा। कालेज के अंदर किसी की एंट्री नहीं हो पाई। इसके बाद तीनों छात्र संगठनों के नेताओं ने कालेज पर ताला जड़ दिया। एबीवीपी, एसएफआई और एनएसयूआई के नेताओं को पहली बार एकजुट होकर कालेज गेट पर धरना देते देखा गया। एसएफआई के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य विजय राठौर ने कहा कि एचपीयू प्रशासन अपनी मनमानी चला रहा है। उन्होंने कहा शीघ्र चुनावों को बहाल नहीं किया गया तो जेल भरो आंदोलन शुरू कर देंगे। उन्होंने कालेज प्रशासन को चेताया है कि जो कालेज में धरने प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा है उसे बहाल किया जाए। उन्होंने कहा कि 24 घंटे के अंदर छात्रों के जनवादी अधिकारों पर रोक नही हटाई गई तो प्राचार्य के दफ्तर तक पहुंचने से गुरेज नही करेंगे।
एबीवीपी के जिला संगठन मंत्री अमी चंद ने कहा कि वर्ष 1993 में भी विवि ने प्रदेश सरकार से मिलकर चुनावों पर रोक लगा दी थी। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ एबीवीपी ने एक लंबी लड़ाई लड़ी थी। प्रदेश सरकार को आंदोलन के आगे झुकना पड़ा और वर्ष 2000 में चुनाव बहाल किए गए। अंमी चंद ने बताया कि शीघ्र चुनाव बहाल नहीं हुए तो एबीवीपी कार्यकर्ता गिरफ्तारियां देंगे। वहीं, एनएसयूआई के परिसर अध्यक्ष चंदन नरुला ने कहा कि चुनावों को बहाल करने के लिए एनएसयूआई अन्य छात्र संगठनों से मिलकर आर पार की लड़ाई लड़ेगी।
चंबा। छात्र संघ चुनावों को बहाल करवाने के लिए तीनों छात्र संगठनों की ओर से किए गए शिक्षा बंद के दौरान छात्र राजनीति का एका देखने को मिला। जहां बड़े-बड़े दल सत्ता के लिए हाथ मिला रहे हैं, वहीं छात्र संगठनों ने अपने लोकतांत्रिक हक को बचाने के लिए सभी मनमुटाव छोड़ संयुक्त मोर्चा गठित किया है। सोमवार को इस मोर्चे ने दम दिखाते हुए कालेज का कामकाज नहीं चलने दिया। यहां तक कि कालेज के प्राध्यापकोें और अन्य स्टाफ को बैक डोर एंट्री करने पर मजबूर होना पड़ा। वहीं, कालेज परिसर सोमवार को पुलिस छाबनी बना हुआ था। डीएसपी कुलभूषण वर्मा और एसएचओ कैलाश चंद वालिया अपनी टीम के साथ कालेज के बाहर डटे हुए थे। सोमवार सुबह से ही कालेज गेट पर छात्र-छात्राओं का जमावड़ा लगा रहा। कालेज के अंदर किसी की एंट्री नहीं हो पाई। इसके बाद तीनों छात्र संगठनों के नेताओं ने कालेज पर ताला जड़ दिया। एबीवीपी, एसएफआई और एनएसयूआई के नेताओं को पहली बार एकजुट होकर कालेज गेट पर धरना देते देखा गया। एसएफआई के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य विजय राठौर ने कहा कि एचपीयू प्रशासन अपनी मनमानी चला रहा है। उन्होंने कहा शीघ्र चुनावों को बहाल नहीं किया गया तो जेल भरो आंदोलन शुरू कर देंगे। उन्होंने कालेज प्रशासन को चेताया है कि जो कालेज में धरने प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा है उसे बहाल किया जाए। उन्होंने कहा कि 24 घंटे के अंदर छात्रों के जनवादी अधिकारों पर रोक नही हटाई गई तो प्राचार्य के दफ्तर तक पहुंचने से गुरेज नही करेंगे।
एबीवीपी के जिला संगठन मंत्री अमी चंद ने कहा कि वर्ष 1993 में भी विवि ने प्रदेश सरकार से मिलकर चुनावों पर रोक लगा दी थी। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ एबीवीपी ने एक लंबी लड़ाई लड़ी थी। प्रदेश सरकार को आंदोलन के आगे झुकना पड़ा और वर्ष 2000 में चुनाव बहाल किए गए। अंमी चंद ने बताया कि शीघ्र चुनाव बहाल नहीं हुए तो एबीवीपी कार्यकर्ता गिरफ्तारियां देंगे। वहीं, एनएसयूआई के परिसर अध्यक्ष चंदन नरुला ने कहा कि चुनावों को बहाल करने के लिए एनएसयूआई अन्य छात्र संगठनों से मिलकर आर पार की लड़ाई लड़ेगी।